कहीं हिंदू लड़कियों को स्कूल यूनिफॉर्म के नाम पर पहनाया हिजाब, कहीं ST लोगों को ईसाई बनने का लालच: मध्य प्रदेश में धर्मांतरण की दो और साजिश बेनकाब

धर्मांतरण (सांकेतिक फोटो, साभार: रॉयटर्स)

मध्य प्रदेश में दमोह में स्कूल की बच्चियों से जबरन बुर्का पहनने के लिए विवश किया जा रहा है। वहीं, छत्तीसगढ़ से लगते राज्य शहडोल में अनुसूचित जनजाति के लगभग 8 लोगों को धर्मांतरण का लालच देने के आरोप में एक पादरी को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि इससे पहले कटनी के एक स्कूल में बच्चों से ईसाई प्रार्थना करवाने का मामला समाने आया था।

शहडोल में अनुसूचित जनजाति के लोगों को पैसे का लालच देकर उनका ईसाई में धर्मांतरण किया जा रहा था। इसका खुलासा अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय की ही महिला सुनैना सय्याम ने किया है। उन्होंने इस धर्मांतरण की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुँचकर पादरी को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, 8 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है।

मामला छत्तीसगढ़ के सीमा पर स्थित मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाले जैतपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत डोंगरी टोला गाँव का है। अनुसूचित जनजाति महिला सुनैना को जानकारी मिली कि सिधिहा गोंड़ के मकान में गोंड़ समाज के लोगों का ईसाई में धर्मान्तरण कराया जा रहा है।

इसके बाद सुनैना पुलिस को सूचना देने के साथ ही वह खुद भी मौके पर पहुँच गईं। सुनैना पिछले 10 सालों ने धर्मांतरण कराने वाले मिशनरियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। वह धर्मांतरण के खिलाफ अनुसूचित जनजाति के लोगों को जागरूक कर समाज सेवा का काम कर रही हैं।

सुनैना सिधिहा गोंड़ के मकान में पहुँचीं तो अंदर पादरी के साथ अन्य लोग अनुसूचित जनजाति के लोगों को पैसे का लालच देकर उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुँच गई। इसके बाद सुनैना ने पादरी का कॉलर पकड़कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने घर में मौजूद सभी लोगों को हिरासत में लिया और थाने ले कर आई।

उपपुलिस अधीक्षक मुकेश वैश्य ने बताया कि महिला ने धर्मांतरण की शिकायत दर्ज कराई है। संबंधित लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। उधर, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का भी बयान सामने आया है। नरोत्तम ने कहा कि ये सभी छत्तीसगढ़ के रहने वाले है।

वहीं, राज्य के ही दमोह जिले में एक स्कूल में गैर-मुस्लिमों छात्राओं को बुर्का पहनाने का मामला सामने आया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि यूनीफॉर्म के नाम पर गैर-मुस्लिम लड़कियों को बुर्का पहनाया जा रहा है।

कानूनगो ने लिखा, “मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में एक स्कूल द्वारा हिंदू और अन्य ग़ैर मुस्लिम बच्चियों को स्कूल यूनीफॉर्म के नाम पर जबरन बुर्का व हिजाब पहनाये जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। इसका संज्ञान लिया जा रहा है एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु दमोह के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दमोह को निर्देश प्रेषित किए जा रहे हैं।”

उसी तरह, कटनी में एक मिशनरी संस्था द्वारा चलाए जा रहे बालगृह में बच्चों से जबरन ईसाई प्रार्थना करवाने का मामला सामने आया है। इसके बाद संस्था के खिलाफ बाल न्याय अधिनियम व मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया गया है। ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)’ के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने ईसाई संस्था के खिलाफ माधवनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। इस संबंध में जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल कल्याण समिति की भूमिका भी संदेहास्पद है।

प्रियांक कानूनगो ने बताया कि एनसीपीसीआर को कटनी के झिंझरी में चलाए जा रहे बाल गृह की शिकायतें मिली थीं। जिसके बाद आयोग ने ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित संस्थान का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान बच्चों ने उन्हें बताया कि हिंदू अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) के बच्चों से जबरन क्रिश्चियन प्रेयर करवाया जाता था। दीपावली के दिन भी बच्चों को जबरन ईसाई प्रार्थना करने पर मजबूर किया गया।

औचक जाँच में बच्चों के कूट (फर्जी) दस्तावेज बनाए जाने, बच्चों की उम्र के साथ छेड़खानी जैसे मामले सामने आए। इसके अलावा बच्चों ने बताया कि क्रिश्चियन प्रेयर में शामिल न होने वाले बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। बीमार पड़ने पर उन्हें इलाज नहीं मिलता और खेलकूद में भी शामिल नहीं होने दिया जाता है। प्रियांक ने बताया कि स्पेशल जुवेनाइल पुलिस ने बच्चों का स्टेटमेंट दर्ज कर लिया है और इस संबंध में मामला भी दर्ज कर लिया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया