‘मेरा मुस्लिम नाम इस्तेमाल करने को मजबूर कर रहे’: मोपला नरसंहार पर फिल्म को सेंसर से अनुमति नहीं, घर-वापसी करने वाले निर्देशक का आरोप – PFI का दबाव

अली अकबर की फिल्म को केरल में सेंसर की मंजूरी नहीं मिली (फोटो साभार: फिल्म गप्पा)

केरल के सेंसर बोर्ड ने 27 जू,न 2022 को फिल्म निर्देशक अली अकबर उर्फ रामसिम्हन अबूबकर (Ali Akbar aka Ramasimhan Aboobakker) की आगामी मलयालम फिल्म ‘Puzha mutual Puzha Vare’ (नदी से नदी तक) को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था। यह फिल्म केरल में वर्ष 1921 में हुए मोपला नरसंहार पर आधारित है। बताया जाता है कि मोपला मुस्लिमों ने जमकर हिन्दुओं का नरसंहार किया था और बाद में इतिहासकारों ने इसे ‘जमींदारों के खिलाफ विद्रोह’ का नाम दे दिया था।

अली अकबर उर्फ ​​रामसिम्हन ने इस संदर्भ में ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “सेंसर बोर्ड ने मुझे अपनी फिल्म में तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए फटकार लगाई है और फिल्म के कुछ सीन्स कट करने के लिए कहे हैं।” यह निश्चित रूप से मोपला मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के नरसंहार को क्लीन चिट देने जैसा है।

ऑपइंडिया से बात करते हुए रामसिम्हन ने कहा कि वो लोग कई सीन्स पर कैंची चलाकर फिल्म के किरदार बदल देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने अपनी समीक्षा समिति की बैठक के दौरान उन्हें अपना मुस्लिम नाम अली अकबर को निर्देशक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया था। मलयाली फिल्मों के निर्देशक अली अकबर ने दिसंबर 2021 में इस्लाम मजहब छोड़ने का ऐलान किया था। जब मजहबी कट्टरपंथियों ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद खुशी का इजहार किया था, तब उन्होंने 13 जनवरी 2022 को पत्नी लुसिम्मा के साथ हिन्दू धर्म अपनाया था। उसके बाद वे रामसिम्हन के नाम से जाने जाते हैं।

अली अकबर ने कहा था, “करीब आठ दशक पहले मालाबार में इसी तरह एक व्यक्ति ने इस्लाम त्याग कर अपना नाम रामसिम्हन रखा था। कल अली अकबर को राम सिंह कहा जाएगा। यह सबसे अच्छा नाम है।” रामसिम्हन और उनके भाई दयासिम्हन, दयासिम्हन की पत्नी कमला, उनके रसोइया राजू अय्यर और परिवार के अन्य सदस्यों को आजादी से ठीक दो हफ्ते पहले 1947 में इस्लाम से हिंदू धर्म अपनाने के कारण इस्लामवादियों ने मार डाला था।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की समीक्षा बैठक के दौरान रामसिम्हन से सवाल किया गया था कि उन्होंने फिल्म के निर्देशक के रूप में हिन्दू नाम का इस्तेमाल क्यों किया। सेंसर बोर्ड ने यह बात जोर देकर कही थी कि वह अपने इस्लामी नाम अली अकबर का उपयोग निर्देशक के रूप में करते। दरअसल, रामसिम्हन ने फिल्म के निर्देशक के रूप में अपने हिंदू नाम और निर्माता के रूप में अपने इस्लामी नाम का उपयोग करने का फैसला किया था, लेकिन बोर्ड इस बात से सहमत नजर नहीं आया। उनके मुताबिक, निर्देशक के रूप में भी उनका नाम अली अकबर ही होना चाहिए।

उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, “मुझे लगता है कि उन्हें एक समस्या यह भी है कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने हिंदू धर्म अपना लिया और हिंदुओं के मालाबार नरसंहार पर एक फिल्म बना रहा है।”, उन्होंने कहा, “वे नहीं चाहते कि यह संदेश जाए।”

केरल सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार करने के बाद, उन्होंने समीक्षा के लिए फिल्म को सीबीएफसी (CBFC) के पास भेज दिया। निर्देशक के अनुसार, समिति की 2 बैठकों में फिल्म के किरदार को बदलने वाले कटों का सुझाव दिया गया था। अकबर को संदेह है कि स्थानीय सेंसर बोर्ड ने केंद्रीय बोर्ड के फैसले को प्रभावित किया है और फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए उन पर PFI का दबाव है।

यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय बोर्ड इस तरह से क्यों व्यवहार कर रहा है, निर्देशक ने इस्लामवादियों और वामपंथियों का जिक्र करते हुए कहा, “कृपया विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के के फेमस डायलॉग को याद करें- ‘सरकार उनकी है तो क्या हुआ, सिस्टम तो हमारा है’।

मोपला नरसंहार

मोपला नरसंहार को लेकर इतिहास में कई हृदय विदारक घटनाएँ दर्ज हैं। एक शिशु अपनी माता का स्तनपान कर रहा था। मोपला मुस्लिमों ने उस बच्चे को उसकी माता की छाती से छीन कर उसके दो टुकड़े कर दिए। एक जगह एक महिला का बार-बार इस तरह क्रूरता से रेप किया गया कि उसकी मृत्यु हो गई। उसका छोटा सा बच्चा काफी देर तक अपनी मरी हुई माँ के शरीर पर खेलता रहा और स्तनपान करने की कोशिश करता रहा। 10,000 हिन्दुओं का नरसंहार किया गया। उनकी जमीनें, मंदिर और खेत – सब छीन कर नष्ट कर दी गई।

Nupur J Sharma: Editor-in-Chief, OpIndia.