Saturday, July 27, 2024
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‘कहीं स्तनपान करते शिशु को छीन कर 2 टुकड़े किए, कहीं बार-बार रेप के बाद मरी माँ की लाश पर खेल रहा था बच्चा’: मोपला नरसंहार

एक महिला का बार-बार इस तरह क्रूरता से रेप किया गया कि उसकी मृत्यु हो गई। उसका छोटा सा बच्चा काफी देर तक अपनी मरी हुई माँ के शरीर पर खेलता रहा और स्तनपान करने की कोशिश करता रहा।

केरल में मोपला मुस्लिमों द्वारा किए गए नरसंहार पर RSS विचारक जे नंदकुमार ने लोगों को इतिहास से अवगत कराया है। उन्होंने बताया कि किस तरह कॉन्ग्रेस की संस्थापक एनी बेसेंट ने भी मालाबार का दौरा किया था वहाँ के पीड़ित हिन्दुओं से बात की। उन्होंने लिखा है कि किस तरह एक गर्भवती हिन्दू महिला का पेट फाड़ कर भ्रूण को निकाल कर उसे क्षत-विक्षत कर दिया गया। ऐसी कई डरावनी घटनाएँ हुईं।

जे नंदकुमार ने एक और घटना का जिक्र किया। एक शिशु अपनी माता का स्तनपान कर रहा था। मोपला मुस्लिमों ने उस बच्चे को उसकी माता की छाती से छीन कर उसके दो टुकड़े कर दिए। इस घटना का जिक्र एनी बेसेंट ने भी किया है। एक जगह एक महिला का बार-बार इस तरह क्रूरता से रेप किया गया कि उसकी मृत्यु हो गई। उसका छोटा सा बच्चा काफी देर तक अपनी मरी हुई माँ के शरीर पर खेलता रहा और स्तनपान करने की कोशिश करता रहा – कितना हृदय विदारक दृश्य रहा होगा ये।

कई विद्वानों ने इसे पूरी दुनिया की सबसे क्रूरतम घटना बताई। खुद शंकरन नायर ने ऐसा बताया है, जो कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। बाबासाहब आंबेडकर का कहना था कि ये दंगा नहीं था, हिन्दुओं पर मुस्लिमों का आक्रमण था। एनी बेसेंट ने तो पूछा है कि क्या ये लोग शैतान थे? मलयालम महाकवि कुमार असन ने ‘दुरावस्था’ नाम के खंडकाव्य लिखा है कि ये मुस्लिम शैतान हैं क्या, क्या इनकी माताएँ-बहनें नहीं हैं?

एक वर्ष के भीतर पुस्तक प्रकाशित हुआ और उन्हें इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकी मिलने लगी कि वो इसे वापस लें, लेकिन उन्होंने कहा कि ये पीड़ितों से बात कर के लिखी गई है और वो इसे वापस नहीं लेंगे। 1924 में उनकी हत्या हो गई और इसका कारण आज तक पता नहीं चला। 2 दिन बाद नाव से उनकी लाश मिली। नाव का वो कमरा बाहर से बंद था। वो तैराकी में दक्ष थे। लेकिन, छोटे नदी में डूब कर उनके मरने की कहानी पर कैसे कोई विश्वास करे? क्या ये साजिश नहीं थी?

इसके बाद जे नंदकुमार ने कुछ आँकड़े सामने रखे, जिसमें सबसे प्रमुख था कि मोपला मुस्लिमों द्वारा 10,000 हिन्दुओं का नरसंहार किया गया। उनकी जमीनें, मंदिर और खेत – सब छीन कर नष्ट कर दी गई। उन्होंने बताया कि जहाँ एक वीभत्स हत्याकांड हुआ, वहाँ हमारे मारे गए भाई-बहनों की याद में एक स्मारक तक नहीं बनवाने दिया गया। लेकिन, मोपला मुस्लिमों और उनके वंशजों को सरकारी रुपयों से, हमारे टैक्स के पैसों से पेंशन दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि 100 वर्षों से हिन्दू पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने लोगों से इसके लिए आगे आने की अपील करते हुए कहा कि अच्छे लोग खामोश रहते हैं, इसीलिए अन्याय होता है। उन्होंने लोगों से तटस्थ न रहने की अपील करते हुए केरल में मालाबार के हिन्दुओं, वहाँ के पीड़ितों के वंशजों से बात कर के उनकी वेदना को समझने की अपील की। उन्होंने वीर सावरकर की पुस्तक ‘मोपला, अर्थात इससे मुझे क्या?’ नामक पुस्तक को पढ़ने की भी अपील की।

उन्होंने इस ‘खिलाफत आंदोलन’ और मोपला द्वारा हिन्दू नरसंहार की निंदा करते हुए अंत में कहा कि इसका योगदान भारत के विभाजन में भी था। उन्होंने सच्चाई के साथ खड़े होने की अपील करते हुए कहा कि इन चीजों पर फिर से अध्ययन किया जाना चाहिए। बता दें कि मोपला मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शिरकत की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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