कब-कहाँ-कैसे करें सेक्स, चर्च में शादी के बाद थमाया नोट: चाहते थे अच्छा-गोरा-बुद्धिमान बच्चा, महिला की आपबीती सुन हाई कोर्ट भी हैरान

'संस्कारी बच्चे' पैदा करने के लिए शादी की रात महिला को थमाया नोट (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Bing AI)

2012 में केरल के एक चर्च में उसकी शादी हुई। पहली ही रात ससुरालवालों ने उसे एक नोट थमाया। इसमें बताया गया था कि वह कब, कहाँ और कैसे सेक्स करे, जिससे वह एक ‘संस्कारी बच्चा’ पैदा कर सके। इस महिला की आपबीती सुनकर केरल हाई कोर्ट के जस्टिस भी हैरान रह गए।

हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पीड़ित महिला ने ससुराल वालों पर कार्रवाई की माँग की है। उसका कहना है कि ससुराल के लोग उसे लड़का पैदा करने के लिए अलग-अलग तरीके बताते थे। इसके लिए नोट देते थे। एक पाउडर भी दिया गया था।

केरल का है मामला

39 वर्षीय पीड़ित महिला केरल के कोल्लम जिले की रहने वाली है। उसने न्याय पाने के लिए केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला ने बताया है कि उसकी 12 अप्रैल 2012 को मुवात्तुपूजा के होली मैगी चर्च में शादी हुई थी। शादी की रात पति ने उसे एक नोट दिया। इस नोट में इस बात को लेकर जानकारी दी गई थी कि वह कैसे एक लड़के को जन्म देने के लिए गर्भधारण कर सकती है।

इस नोट में बताया गया था कि किस समय, किस जगह और किस तरीके से संभोग करने पर 95% संभावना एक अच्छे, गोरे और बुद्धिमान लड़के को पैदा करने की है। महिला ने बताया कि उसके ससुराल वालों ने दावा किया यही विधि अमेरिका में रहने वाले उनके एक रिश्तेदार भी आजमा चुके हैं।

महिला ने बताया कि उसकी सास ने उसे कुछ पाउडर खिलाए और कहा कि इससे गोरा लड़का पैदा होगा। जो नोट महिला को दिया गया था, उसमें उससे गर्भ के दौरान महान व्यक्तित्वों के विषय में सोचने को कहा गया था। जब महिला ने सास से इस विषय में पूछा तो उनका जवाब सन्न करने वाला था। महिला से उसकी सास ने कहा कि ‘लड़कियाँ आर्थिक बोझ’ होती हैं, इसलिए वह अपने घर में लड़की नहीं पैदा होते देखना चाहती। महिला का कहना था कि लड़कियाँ पैसे ले जाती हैं, जबकि लड़के पैसे लाते हैं। महिला ने कहा है कि यह बहुत ही अपमानजनक था।

महिला ने बताया कि वह 2014 में अपने पति के साथ ब्रिटेन चली गई थी। यहाँ जब वह गर्भवती हो गई तो उसके पति ने उसके साथ बदसलूकी की। उसके पति ने आरोप लगाया कि वह गलत समय पर गर्भवती हुई है। पति ने उसके साथ अत्याचार करते हुए तीन माह बाद उसे घर भेज दिया, जहाँ कुछ समय बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया।

महिला ने बताया कि बेटी के पैदा होने के बाद पति उससे और भी खिन्न हो गया। वह बेटी और उससे मिलने भी नहीं आता था और ना ही बेटी के लालन-पालन में कोई रूचि दिखाता था। महिला ने बताया कि वह अपनी बेटी को लेकर इस दौरान एक माह के लिए ब्रिटेन भी गई। लेकिन एक माह तक उसका पति अपनी बच्ची को देखने भी नहीं आया।

तलाक के बाद भी पीड़ा

महिला ने बताया कि वह इन सब चीजों से परेशान हो गई थी। बीते कुछ समय से तलाक की कार्यवाही चल रही थी। इसके अंतर्गत 2022 में अदालत ने निर्णय दिया कि उसके पति को हर महीने भरण-पोषण की धनराशि देनी होगी। इसके विरुद्ध भी उसके पति ने एक याचिका डाल दी। महिला ने बताया कि इसके बाद उसने कानूनी बारीकियों के विषय में जानकारी इकट्ठा की और अपने पति तथा ससुराल पक्ष के विरुद्ध मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया।

महिला ने गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत अपने ससुराल पक्ष के विरुद्ध मुकदमा दायर किया है। यह किसी महिला के गर्भधारण के दौरान बच्चे के लिंग की जाँच या निर्धारण सम्बन्धी कार्यों पर रोक लगाता है। यह क़ानून देश में बच्चियों को कोख में ही मार दिए जाने से रोकने के लिए लाया गया था। केरल हाई कोर्ट ने इस मामले में महिला के पति और उसके परिजनों से जवाब माँगा है। अगली सुनवाई 29 फरवरी को है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया