कलकत्ता हाईकोर्ट की फटकार के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार से तलब की रिपोर्ट: रामनवमी पर हुई थी हिंसा

अमित शाह और ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

रामनवमी पर पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर राजनीति तो जारी है, लेकिन कोर्ट और गृह मंत्रालय सख्त रुख अपनाए हुए हैं। एक तरफ कोर्ट बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगा रही है तो दूसरी तरफ गृहमंत्रालय राज्य सरकार से हिंसा पर डिटेल रिपोर्ट माँग रही है।

पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में मजूमदार ने हिंसा के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने लिखा है कि रामनवमी पर किस तरह धार्मिक आयोजनों, रामभक्तों और हिंदुओं को निशाना बनाया गया। बता दें कि कुछ दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से बात की थी।

गृह मंत्रालय ने बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से राज्य में हिंसा को लेकर रिपोर्ट माँगी है। अपने पत्र में सुकांत मजूमदार ने लिखा, “कल शाम को हुगली जिले में रेलवे स्टेशनों पर भारी पथराव हुआ, जिसके कारण ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। इस हिंसा को पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी यानी टीएमसी और उसके शीर्ष नेतृत्व के समर्थन के बिना जारी नहीं रखा जा सकता था।”

उन्होंने इसमें आगे लिखा, “सबसे दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा वर्तमान DGP मनोज मालवीय के नेतृत्व में पुलिस की भूमिका को लेकर है, जो अपनी रीढ़ और निष्पक्षता पूरी तरह खो चुकी है। सामान्य लोगों, विशेष रूप से प्रभावित हिंदुओं के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के बजाय, यह अल्पसंख्यक समुदाय के वास्तविक अपराधियों और अपराधियों को लेकर आँख मूँद रही है।”

अपनी चिट्ठी में मजूमदार ने लिखा, “असली दोषियों को लेकर सीसीटीवी फुटेज और वीडियो पहले से ही प्रसारित हो रहे हैं। उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। हालाँकि, केवल मुख्यमंत्री को खुश किया जा रहा है, जो अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए अपराधियों और राष्ट्र-विरोधी ताकतों का खुलेआम तुष्टीकरण कर रही हैं।”

उन्होंने लिखा है कि भाजपा के विधायक और सांसदों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाने से राज्य सरकार रोक रही है। उन्होंने कहा कि टीएमसी के नेता इन क्षेत्रों में खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन उन्हें पाँच किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया।

बता दें कि राज्य में हिंसा को लेकर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले में सोमवार 3 अप्रैल 2023 को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस हिंसा को लेकर राज्य सरकार को खूब फटकार लगाई। कोर्ट ने ममता की सरकार से 5 अप्रैल 2023 तक मामले की रिपोर्ट माँगी है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया