घायल राजकुमार अग्रहरि को इस्लामी भीड़ ने पुलिस जीप से निकाला, मार डाला… 16 साल बाद धराया गोरखपुर दंगों का मास्टमाइंड शमीम, तब CM योगी को भी जाना पड़ा था जेल

गोरखपुर दंगे का मुख्य अपराधी मोहम्मद शमीम (फोटो साभार: AajTak)

उत्तर प्रदेश पुलिस ने गोरखपुर में साल 2007 में हुए दंगों के मुख्य अपराधी मोहम्मद शमीम को गिरफ्तार किया है। वह पिछले 16 साल से फरार चल रहा था। इस बीच कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई थी। लेकिन, सुनवाई के दौरान वह एक भी बार कोर्ट में पेश नहीं हुआ। गोरखपुर में हुआ यह वही दंगा है, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी हुई थी।

क्या है मामला

25 जनवरी, 2007 को गोरखपुर में मुहर्रम जुलूस निकल रहा था। इस दौरान नसीराबाद की मीनारा मस्जिद के पास राजकुमार अग्रहरी नामक युवक खड़ा हुआ था। मुहर्रम जुलूस में शामिल मोहम्मद शमीम से उसका किसी बात को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद शमीम और उसके अब्बा शफीउल्लाह समेत जुलूस में शामिल इस्लामी भीड़ ने गालियाँ देते हुए उस पर हमला बोल दिया। इस हमले में राजकुमार बुरी तरह से घायल हो गया।

मौके पर पहुँची पुलिस घायल राजकुमार अग्रहरी को अपनी जीप में डालकर हॉस्पिटल की ओर ले जा रही थी। इसी दौरान इस्लामी भीड़ ने राजकुमार को पुलिस की जीप से खींच लिया और उस पर चाकू, तलवार से ताबड़तोड़ वार किए। पहले से ही घायल राजकुमार इस्लामवादियों की चाकू और तलवार के वार सह नहीं पाए और उनकी मौत हो गई। मुहर्रम जुलूस के दौरान हुई इस हत्या के बाद गोरखपुर में दंगे भड़क गए।

बेटे की हत्या के बाद राजकुमार के पिता ने मोहम्मद शमीम और उसके अब्बा शफीउल्लाह समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, कोर्ट ने 16 अगस्त, 2007 को मोहम्मद शमीम को जमानत दे दी। जमानत मिलते ही वह फरार हो गया। इसके बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ कई बार गैर-जमानती वारंट जारी किए। लेकिन, वह कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ।

साल 2012 में कोर्ट ने मोहम्मद शमीम और उसके अब्बा शफीउल्लाह को आजीवन कारावास की सजा सुना दी। शफीउल्लाह पहले से ही जेल में था, लेकिन शमीम फरार होकर चेन्नई चला गया था। अब वह वापस लौटा तो अपने परिवार के साथ न रहकर किराए के मकान में रह रहा था। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने उसे 12 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया।

जब संसद में फूट-फूट कर रोए योगी आदित्यनाथ

मुहर्रम जुलूस के दौरान हुई हिंदू युवक की हत्या को लेकर गोरखपुर में दंगे भड़क गए थे। जब गोरखपुर हिंसा की आग में जल रहा था, तब गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ कुशीनगर में थे। हत्या की जानकारी मिलते ही उन्होंने वहीं से धरना-प्रदर्शन करने का आह्वान कर दिया। उनके आह्वान के बाद भाजपा के कई नेता गोलघर के चेतना तिराहे में धरने पर बैठ गए। योगी आदित्यनाथ भी इस कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे थे।

इसकी जानकारी मिलते ही सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार करने के निर्देश दे दिए। अधिकारियों ने उनकी गिरफ्तारी के लिए पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी की जानकारी लगते ही शहर में भीड़ उमड़ पड़ी। पुलिस लाइंस से योगी को जेल ले जाने में 8 घण्टे का समय लग गया। जबकि दूरी महज 4 किमी ही थी।

इसके बाद गोरखपुर में दंगे और तेज गए। जगह-जगह आगजनी और हिंसा की खबरें आने लगीं। पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। हिंदू व्यक्ति की हत्या और योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी के विरोध व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं। गिरफ्तारी के 11 दिन बाद 7 फरवरी, 2007 को जब योगी को जेल से रिहा किया गया, तब ही गोरखपुर में दुकानें खुलीं। दंगों का यह मुद्दा 12 मार्च, 2007 को संसद में उठा। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह पर पूर्वाग्रह के तहत गिरफ्तार करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इस दौरान वह संसद में रो पड़े थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया