हिंदुओ के प्रमुख त्यौहारों में से एक नवरात्रि महापर्व पर गुजरात के सूरत जिले अंतर्गत वेसु में एक आयोजन में जमकर बवाल हुआ है। इस बवाल का कारण यह था कि आयोजक ने गरबा कार्यक्रम में मुस्लिम बाउंसर्स को बुलाया था। इसकी जानकारी सामने आने के बाद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया।
रिपोर्ट के अनुसार, इस गरबा कार्यक्रम के आयोजकों को नवरात्रि उत्सव के लिए केवल हिंदुओं को ही काम पर रखने के लिए कहा गया था। चूँकि, नवरात्रि हिंदुओं का त्यौहार है और लोगों की धार्मिक भावनाएँ भी इस त्यौहार से जुड़ी हुईं हैं। ऐसे में, किसी अन्य धर्म के व्यक्ति के शामिल होने का कोई औचित्य नहीं था।
इस गरबा कार्यक्रम में मुस्लिम बाउंसर्स को बुलाए जाने के बारे में जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली तो उन्होंने आयोजन स्थल में जाने का फैसला किया। आयोजन स्थल में पहुँचने पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को यह भी पता चला कि मुस्लिम बाउंसर्स गरबा कार्यक्रम में आने वाले लोगों की आईडी की जाँच भी सही तरीके से नहीं कर रहे हैं।
इस घटना की जानकारी रखने वाले बजरंग दल के एक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर वे हलाल अर्थव्यवस्था को केवल मुसलमानों तक सीमित रख सकते हैं, तो हम भी कर सकते हैं। नवरात्रि एक हिंदू त्यौहार है और गरबा नृत्य हमारी देवी-देवताओं की पूजा का एक रूप है।”
गौरतलब है, किसी मांसाहारी प्रोडक्ट के हलाल होने का मतलब यह होता है कि जानवर को मुस्लिम द्वारा ही काटा जाना चाहिए। यदि किसी और के द्वारा काटा जाता है तो इसे मुस्लिम गैर-हलाल बताते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हलाल और गैर-हलाल उत्पाद के चलते सभी बूचड़खानों में केवल मुस्लिमों को ही नौकरी पर रखा जाता है। इसका कारण यह है कि कोई भी हलाल और गैर-हलाल के लिए अलग-अलग बूचड़खाने खोलना अपेक्षाकृत महंगा साबित होगा।
मांस उद्योग कोई छोटा-मोटा उद्योग नहीं है। वास्तव में, यह अरबों डॉलर की कमाई वाला उद्योग है। जहाँ सिर्फ हलाल मांस के लिए मुस्लिमों को काम पर रखा जाता है। इसी हलाल सर्टिफिकेशन के चलते ऐसे लाखों लोग खासतौर से दलित वर्ग के लोग जो परंपरागत रूप से ‘कसाई’ का काम करते आ रहे हैं, उनकी रोजी-रोटी छिन गई है।
यहाँ एक और बिंदु है, जिस पर विचार करना आवश्यक है। दरअसल, मूर्ति पूजा को लेकर इस्लाम में सबसे बड़ी सजा, मौत की सजा है। इसलिए, जो लोग हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास नहीं करते हैं और सोचते हैं कि नवरात्रि में देवी-देवताओं की पूजा करना पाप का एक रूप है, ऐसे लोगों को न केवल नवरात्रि बल्कि हिन्दुओं के किसी भी त्यौहार में शामिल नहीं होना चाहिए।
बहरहाल, बजरंग दल के कार्यकर्ता जब गरबा कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे तो उन्होंने देवी-देवताओं में विश्वास न करने वाले लोगों को गरबा कार्यक्रम स्थल से जाने के लिए कहा। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने मुस्लिम बाउंसर्स से नाम पूछे तो उन्होंने अपने हिंदू नाम बताए। जिसके बाद, मामला और गरमा गया।
इस दौरान, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि इस कार्यक्रम में कुछ ऐसे लोगों को भी प्रवेश दिया गया था जो कि सिर्फ मौज-मस्ती के लिए इस गरबा कार्यक्रम में आए थे। ये सभी लोग, नकली हिन्दू नामों के साथ कार्यक्रम में घुसे थे, जबकि सच्चाई यह है कि वे सभी मुस्लिम थे।
बता दें, बीते कुछ दिनों में, देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी कई घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ कुछ मुस्लिम युवकों ने अलग-अलग हिंदू नामों के साथ आयोजन स्थल में प्रवेश किया है। गुजरात में ही, कुछ स्थानों पर मुस्लिम भीड़ द्वारा नवरात्रि के कार्यक्रम पर पथराव की घटना भी सामने आई है।