अठावले के बाद समीर वानखेड़े का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने किया समर्थन, व्यक्तिगत हमलों के लिए नवाब मलिक निशाने पर

अठावले के बाद समीर वानखेड़े का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने किया समर्थन, व्यक्तिगत हमलों के लिए नवाब मलिक निशाने पर

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारी समीर वानखेड़े बीते कुछ दिनों से जाति-धर्म के चक्रव्यूह में फँसे हुए हैं। इसी बीच खबर है कि केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने उनका समर्थन किया है। एनसीएससी के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने रविवार (31 अक्टूबर 2021) को कहा कि एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े को अच्छा काम करने के बावजूद निशाना बनाया जा रहा है।

अरुण हलदर ने वानखेड़े के घर का दौरा करने के बाद कहा, ”एक अधिकारी अपनी ड्यूटी कर रहा है और अपनी ईमानदारी से विभाग को गौरवान्वित कर रहा है। ऐसे में कोई मंत्री उन पर और उनके परिवार व्यक्तिगत हमला कैसे कर सकता है? सरकार को जाँच करनी चाहिए कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।”

एनसीबी अधिकारी का बचाव करते हुए हलदर ने कहा, “मुझे लगता है कि वह एससी समुदाय से हैं और महार जाति से हैं। एक गरीब परिवार से होने के बावजूद वह इस पद तक पहुँचे हैं।”

हालाँकि, उपाध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य किसी भी व्यक्ति के जाति प्रमाण पत्र के बारे में संदेह होने पर जाँच शुरू कर सकता है। हलदर ने बताया, ”केंद्र सरकार में जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन अनिवार्य नहीं है, लेकिन राज्य सरकार को महाराष्ट्र के किसी भी निवासी के जाति प्रमाण पत्र की जाँच करने का अधिकार है।” सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने भी पुष्टि की है कि अगर सक्षम प्राधिकारी को कोई शिकायत मिलती है, तो उसकी नियमानुसार जाँच की जाएगी।

वहीं, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा, ”समीर वानखेड़े द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का महाराष्ट्र सरकार से सत्यापन किया जाएगा। यदि दस्तावेज वैध पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता।”

मामले की जाँच करेगी कमेटी

अधिकारियों द्वारा सूचित करने के बाद ही अनुमंडल पदाधिकारी/उप कलेक्टर द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। संयुक्त सचिव या अपर कलेक्टर रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन करती है।

इसके बाद यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार जाति जाँच समिति के पास सत्यापन के लिए जाता है। जाली या झूठे प्रमाण पत्र की शिकायत प्राप्त होने की स्थिति में प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा, “समिति सभी पक्षों को सुनती है। वो सभी प्रासंगिक प्रमाण पत्र माँगती है और यदि आवश्यक हो, तो उस आवास का दौरा करती है जिसके खिलाफ शिकायत की गई है।”

उन्होंने आगे कहा, “सामाजिक न्याय विभाग ने पूरी प्रक्रिया को बहुत सख्त कर दिया है और सभी मामलों का समयबद्ध अवधि में निपटारा किया जाता है।” नियमों के अनुसार, यदि प्रमाण पत्र जाली या गलत पाया जाता है, तो इसके लिए छह महीने की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

‘हमारे पास सारे दस्तावेज हैं’

एनसीबी द्वारा आर्यन खान की गिरफ्तारी से नाराज महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक ने वानखेड़े पर एससी कोटे के तहत नौकरी हासिल करने के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगाया था।

उन्होंने कहा था कि वो एससी सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा करके सिविल सेवा परीक्षा में बैठे और उस पद को हासिल किया। उन्होंने एक गरीब एससी का अधिकार छीना है। यह बात भी बिल्कुल सच है कि समीर वानखेड़े ने धर्म परिवर्तन नहीं किया, क्योंकि वे जन्म से मुसलमान हैं।

दरअसल, एनसीबी-मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े रविवार​ को दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के दफ्तर पहुँचे थे। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य सुभाष रामनाथ पारधी ने बताया कि वह यहाँ आयोग के समक्ष जाति प्रमाण पत्र से जुड़े मामले को लेकर आए थे। हम उनके दस्तावेजों को देखेंगे और सत्यापित करेंगे।

गौरतलब है कि रविवार को समीर वानखेड़े का परिवार केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले से मिला। केंद्रीय मंत्री ने समीर वानखेड़े के खिलाफ मलिक के आरोपों को निराधार करार दिया। समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े और उनकी पत्नी क्रांति ने रामदास अठावले से मुलाकात की। अठावले ने समीर वानखेड़े को दलित बताते हुए कहा था कि उन पर जानबूझकर आरोप लगाकर पूरे दलित समाज को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी वानखेड़े का समर्थन करेगी। हम उन्हें कुछ नहीं होने देंगे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया