‘बच्चों के दिमाग पर पड़ेगा बुरा असर’: NCERT को बाल आयोग का नोटिस, लड़का-लड़की के लिए अलग टॉयलेट्स पर खड़ा किए थे सवाल

NCPCR ने NCERT के निदेशक को भेजी नोटिस (प्रतीकात्मक चित्र)

NCERT में जेंडर को लेकर की गई अजीबोगरीब बातों के बाद ‘राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR)’ ने संस्था के निदेशक को नोटिस भेजा है। NCPCR को ड्राफ्टिंग कमिटी के ‘टीचर्स ट्रेनिंग मैन्युअल’ के खिलाफ शिकायत मिली थी। इसमें कहा गया है कि जेंडर की संवेदनशीलता पढ़ाने के नाम पर स्कूली छात्रों को एक बुरा अनुभव दिया गया। इसके बादल बच्चों के अधिकार के हनन के मामले में NCPCR ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया। ये शिकायत ‘इन्क्लूजन ऑफ ट्रांसजेंडर चिल्ड्रन इन स्कूल एजुकेशन: कन्सर्न्स एन्ड रोडमैप’ नामक चैप्टर को लेकर है।

NCPCR ने लिखा है, “इसके टेक्स्ट में बच्चों के लिए जेंडर न्यूट्रल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात की गई है, जो जेंडर की वास्तविकता और उनकी जरूरतों के अनुरूप नहीं है। सबके बायोलॉजिकल ज़रूरतें अलग-अलग हैं और सबके लिए एक ही व्यवस्था करने से उनके समान अधिकारों का हनन होगा। इससे बच्चों को घर और विद्यालय में विरोधाभासी माहौल मिलेगा, जिससे उनके दिमाग पर असर पड़ेगा। इसमें बच्चों के साथ पुबर्टी ब्लॉकर्स और उनकी किशोरावस्था के बारे में बात करने की सलाह भी दी गई है।”

NCPCR ने अपनी नोटिस में लिखा है कि ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्यों के बैकग्राउंड और उनकी योग्यताओं की पुष्टि नहीं की गई थी। इसीलिए, NCERT के निदेशक को इस सम्बन्ध में उचित कार्रवाई करने के लिए लिखा गया है। NCPCR को भेजी गई शिकायत में इसे एक आपराधिक षड्यंत्र करार दिया गया था। इसमें कहा गया था कि जेंडर बायोलॉजिकल है, और ये प्राकृतिक एवं आर्गेनिक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति के साथ अंत तक पहचान के रूप में जुड़ी रहती है।

इसमें कहा गया है कि हम ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए अलग से टॉयलेट्स व अन्य फैसिलिटीज विकसित कर सकते हैं, सबके लिए समा इंफ्रास्ट्रक्चर की बजाए। बताया गया है कि ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्यों का बैकग्राउंड संदिग्ध है और उनमें से एक ने CAA विरोधी अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। CAA विरोधी दंगों के कैदियों और राजनीतिक बंदियों को छुड़ाने की माँग करने वाले व्यक्ति को इसमें जगह मिल गई। साथ ही उस सदस्य द्वारा NRC को कूड़ा बताते हुए दिल्ली दंगों के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया गया था।

बता दें कि

नेशनल काउंसिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) द्वारा जेंडर और ट्रांसजेंडर विषय पर शिक्षकों के लिए जारी किया गया विवादित मैनुएल अब साइट से गायब है। 115 पेज का मैनुएल डॉ पूनम अग्रवाल, प्रोफेसर, जेंडर स्टडीज विभाग पूर्व अध्यक्ष और कई शिक्षकों ने मिलकर तैयार किया था। मैनुएल की अजीब बात ये थी कि इसमें ट्रांस्जेंडर्स के साथ होते भेदभाव के पीछे ये कारण दिया गया था कि स्कूलों में जो अलग-अलग शौचालय बनाए जाते हैं उससे ये लिंग भेद बढ़ता है।

अब इसी प्रोग्राम के एक सेक्शन में एक बेहद अजीबोगरीब मुद्दा भी उठाया गया था। लिंग विविधता पर बात करते हुए इसमें कहा गया था कि ज्यादातर स्कूलों में दो तरह के टॉयलेट होते हैं जिनका उद्देश्य ये बताना होता है कि दुनिया में सिर्फ दो सेक्स हैं- पुरुष और महिला। प्रोग्राम के दस्तावेज के अनुसार, “ढाँचागत सुविधा के रूप में टॉयलेट का इस्तेमाल बच्चों को दो लिंगों में बदलने के लिए किया जाता है। लड़कियों को इस तरह से समझाया जाता है कि वो गर्ल्स टॉयलेट में जाएँ और लड़कों को बताया जाता है कि वो लड़के वाले टॉयलेट में ही जाएँ।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया