Saturday, April 20, 2024
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NCERT साइट से हटा ‘लड़का-लड़की का टॉयलेट अलग क्यों’ वाला मैनुएल, अब जानिए इस ‘ज्ञान’ के पीछे कौन

115 पेज का मैनुएल डॉ पूनम अग्रवाल, प्रोफेसर, जेंडर स्टडीज विभाग पूर्व अध्यक्ष और कई शिक्षकों ने मिलकर तैयार किया था। मैनुएल की अजीब बात ये थी कि इसमें ट्रांस्जेंडर्स के साथ होते भेदभाव के पीछे ये कारण दिया गया था कि स्कूलों में जो अलग-अलग शौचालय बनाए जाते हैं उससे ये लिंग भेद बढ़ता है।

नेशनल काउंसिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) द्वारा जेंडर और ट्रांसजेंडर विषय पर शिक्षकों के लिए जारी किया गया विवादित मैनुएल अब साइट से गायब है। 115 पेज का मैनुएल डॉ पूनम अग्रवाल, प्रोफेसर, जेंडर स्टडीज विभाग पूर्व अध्यक्ष और कई शिक्षकों ने मिलकर तैयार किया था। मैनुएल की अजीब बात ये थी कि इसमें ट्रांस्जेंडर्स के साथ होते भेदभाव के पीछे ये कारण दिया गया था कि स्कूलों में जो अलग-अलग शौचालय बनाए जाते हैं उससे ये लिंग भेद बढ़ता है।

NCERT वेबसाइट से गायब हुआ लिंक

इस मैनुएल के जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने इस पर सवाल उठाए थे। पूछा गया था कि ऐसी मानसिकता वाले लोग आखिर शिक्षा क्षेत्र में कैसे हैं। जब पड़ताल हुई तो इस मैनुएल को बनाने वाले कुछ अन्य नामों के बारे में पता चला और ये भी मालूम चला कि शिक्षा क्षेत्र में ट्रांसजेंडर वर्ग के साथ होने वाले भेदभाव के पीछे ‘शौचालय’ को कारण बताने वाले ‘लोग’ खुद अपने इंस्टाग्राम पर अश्लील सामग्री शेयर कर रहे हैं।

मैनुएल बनाने वालों में एक नाम विक्रमादित्य सहाय का था। वह बाहरी टीम सदस्य थे। उनके इंस्टा पर अश्लील तस्वीरों को शेयर देखा जा सकता है। जानकारी के मुताबिक वो सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी रिसर्च में एसोसिएट के तौर पर काम करते हैं। उनके विवादित ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हैं।

विक्रम को मिलाकर एक्सटर्नल टीम सदस्यों में 6 लोग शामिल थे। जिनमें डॉ राजेश डीयू के और डॉ बिट्टू कावेरी राजारमण अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं।

स्क्रीनशॉट

इसके अलावा एक एल राम कृष्णन हैं जो कि SAATHI के उपाध्यक्ष हैं और उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से डॉक्टरेट की डिग्री भी मिली है।

स्क्रीनशॉट

डॉ मानवी अरोड़ा भी इसी सूची में एक नाम हैं और पेशे से वह एक स्वतंत्र शोधार्थी हैं। वहीं टीम की छठी सदस्य प्रिया बाबू हैं जो कि ट्रांसजेंडर रिसोर्स सेंटर की ट्रस्टी हैं।

इन 6 बाहरी सदस्यों के अलावा मैनुएल बनाने वाली डॉ. पूनम अग्रवाल को न्यूट्रिशियन (गृह विज्ञान), जैव-रसायन विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी, महिला अध्ययन, व्यावसायिक शिक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, शैक्षिक अनुसंधान में विशेषज्ञता प्राप्त है। दूसरी ओर, डॉ मोना यादव को “लड़कियों की शिक्षा और विज्ञान शिक्षा” में विशेषज्ञता प्राप्त है, जबकि डॉ. मिली रॉय आनंद के पास इतिहास / लिंग अध्ययन में विशेषज्ञता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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