‘…गैर-मुस्लिमों को मदरसे में दाखिला देना गैर-कानूनी’ : NCPCR के आदेश के बाद कट्टरपंथियों ने उड़ाई ‘टारगेट’ करने की अफवाह, अध्यक्ष बोले- मदरसे, स्कूल नहीं होते

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मदरसों के गैर मुस्लिम छात्रों की रिपोर्ट माँगी (फाइल फोटो)

मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को दाखिला देने के मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को गहन जाँच का आदेश दिया है। यह जाँच रिपोर्ट सौंपने के लिए आयोग ने 30 दिनों की समय सीमा दी है। यह आदेश सरकारी अनुदान पाने वाले सभी मदरसों के लिए जारी हुआ है। इसी पत्र में सभी मदरसों की मैपिंग भी करने के लिए कहा गया है। NCPCR के चेयरपर्सन द्वारा यह पत्र गुरुवार (8 दिसंबर 2022) को जारी हुआ है।

इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है कि ऐसा करके अल्पसंख्यकों के स्कूलों को टारगेट किया जा रहा है जिसपर एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने कहा है कि मदरसों और स्कूलों में फर्क होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनसीपीसीआर के पत्र में देश भर के तमाम प्रदेशों के मुख्य सचिव को सम्बोधित किया गया था। इस पत्र में कहा गया था कि किसी भी बच्चे को बिना उनके परिजनों की इच्छा के धार्मिक शिक्षा देना गैरकानूनी है। आयोग ने इसे अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन बताया है। NCPCR ने यह भी कहा है कि आयोग को इस बावत कई शिकायतें मिली हैं जिसके बाद इस दिशा में कदम उठाए गए हैं।

इसी पत्र में आगे बताया गया है कि आयोग को जानकारी मिली है कि मदरसों में पढ़ने वाले उन गैर मुस्लिम छात्रों को सरकारों की तरफ से वजीफा भी दिया जा रहा है। प्रियांक कानूनगो के मुताबिक जिस भी मदरसे में गैर मुस्लिम छात्र को मज़हबी तालीम मिल रही हो उसका फ़ौरन ही दूसरे स्कूल मे दाखिला करवाया जाना चाहिए।

अफवाह उड़ाने वालों को भी रोका गया

NCPCR के इस आदेश के बाद अफवाहों का बाजार गर्म करने की कोशिश की गई। इस कोशिश में @thecompanionn नाम के हैंडल ने लिखा, “अल्पसंख्यकों के स्कूलों पर निगरानी हो रही है।” सादात हुसैन ने इस आदेश पर बाकायदा एक लेख भी लिख डाला। अपने लेख में सादात ने इस आदेश को टारगेट करने जैसा बताया।

इस लेख पर कमेंट करते हुए NCPCR चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने स्पष्टीकरण दिया है। प्रियांक के मुताबिक आदेश मदरसों के लिए जारी हुआ है न कि स्कूलों के लिए। उन्होंने अफवाह न उड़ाने की सलाह देते हुए बताया कि खबर लिखने वाले को स्कूल और मदरसे में फर्क पता होना चाहिए क्योंकि मदरसे स्कूल नहीं हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया