NHRC ने ‘किसान आंदोलन’ से हुए आर्थिक नुकसान सहित इन मुद्दों पर माँगी रिपोर्ट: दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान सरकार को नोटिस

NHRC ने 'किसान आंदोलन' पर माँगी रिपोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने तथाकथित किसानों के विरोध प्रदर्शनों के संबंध में कई शिकायतें मिलने के बाद दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर इस पर विस्तृत रिपोर्ट माँगी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, उन्हें शिकायत मिली है कि इन राज्यों में चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन की वजह से उद्योग धंधों और परिवहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। साथ ही प्रदर्शन स्थलों पर कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है।

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विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), केंद्रीय गृह मंत्रालय व स्वास्थ्य मंत्रालय से किसान आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव और कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

NHRC’s press note. Image Source: NHRC website

उन्होंने कहा, “एनएचआरसी को शिकायतें मिली हैं। इन राज्यों में चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन की वजह से 9 हजार उद्योग धंधे ठप हो चुके हैं। यातायात पर भीषण असर पड़ा है, जिसकी वजह से लोगों को, मरीजों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही बॉर्डर पर जाम होने की वजह से लोगों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है।”

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, इस आंदोलन की वजह से कुछ जगहों पर लोगों को उनके घरों से भी नहीं निकलने दिया जा रहा है। उन्हें यह भी शिकायत मिली है कि इन प्रदर्शन स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।

इसके चलते एनएचआरसी ने चारों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी कर उनसे संबंधित ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ जमा करने को कहा है। राज्यों और केंद्र सरकार को नोटिस देने के अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने Institute of Economic Growth (IEG) से 10 अक्टूबर तक इस तथाकथित आंदोलन की वजह से उद्योगों पर पड़े प्रभाव पर एक रिपोर्ट माँगी है।

इसके साथ ही एनएचआरसी ने हरियाणा के झज्जर जिले के डीएम को बहादुरगढ़ के किसान प्रदर्शनस्थल पर मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार पर पीड़ित पक्ष को मुआवजे पर 10 अक्टूबर तक आयोग को रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है, जो उन्होंने अभी तक नहीं सौंपी है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क से कहा कि वो इन प्रदर्शनस्थलों पर अपनी एक टीम भेजें जो उन्हें सर्वे करके रिपोर्ट दें कि इस तथाकथित आंदोलन की वजह से लोगों की कमाई, उनके जीवन और बुजुर्गों पर क्या-क्या असर पड़ा है। दरअसल, तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में कई महीनों से विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कैसे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य को आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों को दोषी ठहराया था। उन्होंने कहा था, “मैं पंजाब के किसानों को बताना चाहता हूँ कि यह उनकी जमीन है। यहाँ चल रहा उनका विरोध प्रदर्शन राज्य के हित में नहीं है।” उन्‍होंने किसान संगठनों से कहा था कि वे अपना आंदोलन हरियाणा और दिल्‍ली में करें, लेकिन पंजाब में धरना आद‍ि न दें।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया