‘हाथों में लोहे की रॉड और हथौड़े, सिर पर किए गए ताबड़तोड़ वार’: नितेश की हत्या के वक्त मौजूद दोस्त ने बताया – झूठे मुकदमे में फँसाने की मिल रही धमकी

दिल्ली के शादीपुर में नितेश चौधरी हत्याकांड में अफ़ज़ल और हमजा भी नामजद (फोटो साभार: न्यूजरूम पोस्ट)

देश की राजधानी दिल्ली के शादीपुर में बुधवार (12 अक्टूबर, 2022) को अदनान, अबदास और उफीजा ने नितेश चौधरी नाम के युवक को बेरहमी से पीट दिया था। बाद में इलाज के दौरान नितेश की मौत हो गई। इस हत्या से नाराज हिन्दू संगठनों ने 16 अक्टूबर को पटेल नगर में सड़क को जाम कर के फाँसी की माँग की थी। अब तक मीडिया रिपोर्ट्स में आरोपितों के तौर पर महज 3 नाम लिए जा रहे हैं, जबकि पुलिस को दी गई शिकायत में ये संख्या 5 है। घटना में नामज़द हुए 2 अन्य आरोपित हमजा और अफ़ज़ल हैं।

बाईक सवारों ने दी गालियाँ तो शुरू हुआ झगड़ा

इस घटना की पुलिस में शिकायत आलोक कुमार दुबे ने दर्ज करवाई है। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। रंजीत नगर थाने में दी गई शिकायत के मुताबिक, 12-13 अक्टूबर की रात लगभग 12:15 बजे अलोक अपने 2 दोस्तों के साथ मंदिर वाली गली में टहल रहे थे। बताया गया कि इस दौरान कुछ लड़के बहुत खराब ढंग से बाइक चलाते आए और तीनों दोस्तों को गंदी-गंदी गालियाँ देनी शुरू कर दी। शिकायत में झगड़े की शुरुआत की वजह यही बताई गई है।

अपनी शिकायत में अलोक ने मस्जिद का जिक्र करते हुए लिखा कि झगड़े के दौरान दूसरे पक्ष का एक लड़का मस्जिद की तरफ भाग कर भीड़ बुलाने गया। शिकायत में बताया गया है कि तुरंत ही दूसरे पक्ष से 20-25 हमलावर आ गए, जो किसी पहले से रची गई हमले की साजिश जैसा प्रतीत होता है। आरोप लगाया गया है कि हमलावरों के हाथों में हॉकी, लोहे की रॉड, बेस बॉल के डंडे और हथौड़े थे। अलोक के मुताबिक, हमलावरों ने अलोक और उसके दोनों साथियों को बुरी तरह से मारा जिसमें नितेश की मौत हो गई।

नितेश के सिर पर किए गए वार

शिकायत में कहा गया कि हमलावरों ने निशाने पर खास तौर पर नितेश थे। शिकायतकर्ता के मुताबिक, नितेश को अलग खींच कर ले जाया गया और उसके सिर पर ताबड़तोड़ वार किए गए। अलोक ने बताया है कि हमलावरों ने नितेश को मरा जान कर छोड़ दिया। पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र में लिखा गया है कि नितेश के साथियों को धमकी दी गई कि अगर वो बच गया वो सुबह सबको देखा जाएगा। अलोक ने दावा किया है कि नामजदों के अलावा लगभग आधे दर्जन हमलावरों को वो देख कर पहचान लेगा।

शिकायत में अलोक ने बताया है कि हमले में सबसे ज्यादा चोटें नितेश को आई थीं। साथ ही आलोक भी इस हमले में घायल हो गए थे। पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि बाद में पुलिस की PCR आई और उन्होंने अलोक व नितेश को अस्पताल में भर्ती करवाया।

किसी अस्पताल ने माँगे ढेर सारे पैसे तो किसी ने बताया फुल

अपनी शिकायत में अलोक दुबे ने खास तौर पर राम मनोहर लोहिया (RML) और गंगाराम अस्पताल का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि नितेश का परिवार उन्हें पहले राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गया जहाँ पर बेड ही मौजूद नहीं था। बताया गया है कि बाद में नितेश के घर वालों ने उसे दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती करवाने का प्रयास किया, जहाँ इतने पैसे माँग लिए गए कि वो नितेश के परिजनों की पहुँच से बाहर थे।

अलोक ने कहा कि बाद में हालात को देखते हुए नितेश को एम्स में भर्ती करवाने की कोशिश भी हुई, पर वहाँ भी बेड न होने की जानकारी दी गई।

शिकायतकर्ता को ही झूठे मुकदमे में फँसाने की धमकी

शिकायतकर्ता अलोक ने अपनी शिकायत में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अलोक के अनुसार, उनके और नितेश के पूरे इलाज और इस दौरान हुई मौत के बीच किसी पुलिस वाले की मौजूदगी अस्पताल में नहीं थी। शिकायतकर्ता की मानें तो अगर इलाज के दौरान पुलिस मौजूद होती तो शायद नितेश की जान बच जाती। शिकायत में इस बात का भी जिक्र है कि पुलिस पीड़ित का बयान ही लेनेको लेकर गंभीर नहीं थी। अलोक ने आरोप लगाया है कि शिकायतकर्ता होने के बाद भी उनको ही फर्जी मुकदमे में फँसाने की धमकी दी जा रही है।

ऑपइंडिया के पास इस घटना की FIR कॉपी मौजूद है। FIR कॉपी में पुलिस ने बताया है कि किसी दीपक जैन नाम के व्यक्ति ने पुलिस को झगड़े की सूचना फोन पर दी थी। पुलिस मौके पर पहुँची तो उन्हें जो जानकारी मिली थी कि लड़कों के 2 गुटों के बीच झगड़ा हुआ है। पुलिस को घटनास्थल पर ईंटें और खून के छींटे बिखरे हुए मिले। शुरुआत में पुलिस ने यह केस IPC की धारा 308 के तहत दर्ज किया था। तब शिकायतकर्ता रंजीत नगर थाने के ही असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) सुखबीर सिंह थे।

FIR कॉपी में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर के हवाले से पुलिस ने शिकायतकर्ता अलोक को अस्पताल में आने के दौरान नशे में होना बताया है। पुलिस ने अलोक द्वारा मेडिकल न करवाने की ये वजह बताई है। पुलिस का कहना है कि अलोक खुद ही दूसरे अस्पताल में चला गया था, जिस से उसके बयान नहीं नोट हो पाए।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।