मीडिया जिसे बता रहा RSS की क्रिसमस पार्टी, संघ को 25 दिसंबर के उस भोज की खबर भी नहीं: कश्मीर से केरल तक आयोजन का हो रहा दावा

क्रिसमस पर संघ की क्रिसमस पार्टी (साभार: दैनिक गोमंतक)

देश भर में ईसाई समुदाय क्रिसमस (Christmas) का त्योहार मना रहा है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पहली बार देश भर में ईसाइयों के लिए क्रिसमस का आयोजन कर रहा है और 25 दिसंबर 2022 को इसके मौके पर भोज का आयोजित करेगा। हालाँकि, संघ ने इससे साफ इनकार किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि संघ की ईकाइ राष्ट्रीय ईसाई मंच (RIM) क्रिसमस सेलिब्रेशन का आयोजन जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक आयोजित किया जा रहा है। इस क्रिसमस भोज में देश के महत्वपूर्ण चर्चों के प्रमुख भी शामिल होंगे। वहीं, संघ के वरिष्ठ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी इन आयोजनों में शामिल होने की बात कही जा रही है।

ऑपइंडिया से बात करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह मनमोहन वैद्य (Man Mohan Vaidya) ने इस तरह के किसी भी आयोजन को सिरे से नकार दिया। मीडिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी कार्यक्रम का आयोजन करने की कोई योजना नहीं है। जो आयोजन किए जा रहे हैं, उनका संघ से कोई ताल्लुक नहीं है।

इतना ही नहीं, मीडिया में जिस राष्ट्रीय ईसाई मंच को संघ का संगठन बताया जा रहा है, उससे भी किसी तरह का ताल्लुक होने से उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्तिगत कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, उसे संघ से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

बता दें कि देश की मुख्यधारा की मीडिया लगातार इस बात कह रही है कि संघ अपने दृष्टिकोण में बदलाव और समाज के हर संप्रदाय में अपनी स्वीकृति को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईसाई समुदाय को भाजपा से जोड़ने के लिए संघ द्वारा यह पहल की गई है।

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कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार ने चर्च प्रमुखों को बता दिया है कि वे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें।” इसके अलावा, यह भी दावा किया गया है कि राष्ट्रीय ईसाई मंच की ओर से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चर्च प्रमुखों को आमंत्रित किया जा रहा है, जहाँ पिछले कुछ समय से पादरियों, चर्चों और ईसाइयों के कुछ संस्थानों पर हमले की घटनाएँ सामने आई हैं। इस कार्यक्रम में RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।

ऑपइंडिया से बातचीत में संघ के मीडिया विभाग अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि इन मीडिया रिपोर्ट में किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के दावे पर उन्हें देश के एक प्रमुख दैनिक अखबार से बात की और इस रिपोर्ट को पूरी तरह खंडन किया।

बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री जॉन बारला मेघालय हाउस में क्रिसमस भोज की मेजबानी करने की बात कही जा रही है। यह पहली बार है, जब भाजपा सरकार में इस तरह का आयोजन किया जा रहा है।

जनसत्ता की खबर का स्क्रीनशॉट

सुनील आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय ईसाई मंच को इस आयोजन का आयोजक बताया जा रहा है, उसका संघ से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई संगठन, सरकार या मंत्री-सांसद इस तरह का आयोजन कर रहे है तो उनसे संघ का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ईसाई मंच भी संघ का संगठन नहीं है।

यहाँ उल्लेखनीय है कि संघ और ईसाई संगठनों के बीच दूरी की प्रमुख वजह प्रलोभन के जरिए किया जाने वाला धर्मांतरण है। संघ धर्मांतरण को देश विरोधी गतिविधि मानता है, वहीं कुछ ईसाई मिशनरियाँ लोगों को लालच देकर धर्मांतरण के काम में लगी हैं। इसको लेकर आम लोगों और चर्च के बीच नोक-झोंक की स्थिति भी देखने को मिलती है।

संघ के दूसरे सरसंघचालक और गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (Madhav Sadashivrao Golwalkar) ने ईसाई मिशनरियों को देश के लिए खतरनाक माना था। सन 1940 से लेकर निधन होने तक लगभग 33 वर्षों तक संघ के सरसंघचालक रहे गोलवलकर ने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है।

गोलवलकर ने सन 1966 में ‘बंच ऑफ थॉट’ नाम लिखी अपनी किताब में भी इसका उल्लेख किया है। चार भागों में बँटी इस पुस्तक में ‘राष्ट्र और उसकी समस्याओं’ नाम से एक विषय है। इसमें ‘आंतरिक खतरा’ नाम से गोलवलकर ने मुस्लिम और ईसाई संगठनों को देश के लिए आंतरिक खतरा बताया है। बता दें कि ये दोनों संगठन अपनी मजहबी क्रिया-कलापों के लिए बाहरी देशों में स्थित संगठनों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

खैर जो भी हो, संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने अपनी विचारधारा को नहीं छोड़ा है। हालाँकि, संघ की भोज वाली खबर को लेकर राजनीति भी होने लगी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसको लेकर संघ को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “मोहन भागवत कभी मस्जिद और कभी मजार जा रहे हैं, कभी क्रिसमस का आयोजन कर रहे हैं। इनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। इनको सिद्धांत से कोई लेना-देना नहीं है, बस सत्ता में बने रहना है। इनको लोगों में वैमनस्यता फैलाना है, एक से दूसरे भाई को लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करना है और वोट लेना है। यही इनका उद्देश्य है।”

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ये बातें कही हैं, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा क्रिसमस पर भोज का आयोजन करने की बात कही गई है। हालाँकि, इस तरह की असमंजस और अटकलों को संघ ने नकार दिया है और कहा कि इन आयोजनों में उसकी कोई भूमिका या संबंध नहीं है। ऐसे में सीएम बघेल का यह बयान भी अब निरापद हो गया है।

सुधीर गहलोत: इतिहास प्रेमी