झारखंड के पाकुड़ में बकरीद पर कुर्बानी के बाद पथराव-बमबारी, स्थानीय लोगों ने गोवंश काटने का लगाया आरोप: पुलिस ने दो गाँवों की लड़ाई बताई

पाकुड़ में विवाद के दौरान की तस्वीरें (चित्र साभार: ETV Bharat & @yourBabulal/X)

झारखंड के पाकुड़ में बकरीद पर गोवंश की हत्या आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। यह हत्या खुलेआम एक व्यक्ति की जमीन पर की गई और मना किए जाने पर मारपीट और बमबाजी की गई। कुछ लोगों के घरों को तोड़े जाने की भी सूचना है। घटनास्थल पर अब सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकुड़ के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गोपीनाथपुर इलाके में बकरीद (17 जून, 2024) को कुछ लोगों ने एक प्रतिबंधित पशु को दूसरे की जमीन पर काटना चालू कर दिया। जमीन के स्वामी ने जब इस बात को मना किया गया तो पशु काटने वाले हमलावर हो गए।

पशु काटने वालों ने पास के गाँव, जो कि पश्चिम बंगाल में आता है, से बड़ी संख्या में हमलावरों को बुला लिया। इन हमलावरों ने गाँव के लोगों को मारा पीटा और पथराव चालू कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने गाँव में बमबाजी भी की। पश्चिम बंगाल से आए इन हमलावरों ने कई घरों को भी क्षतिग्रस्त किया।

विवाद की सूचना मिलने के बाद पश्चिम बंगाल और झारखंड की पुलिस यहाँ पहुँची। झारखंड के मुफस्सिल थाना क्षेत्र की पुलिस ने यहाँ पहुँच कर मामला शांत करवाया। गाँव में विवाद को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। यह अभी तनाव कम करने के लिए गाँव में डटे हुए हैं।

मुफस्सिल थाना के पुलिस अधिकारी ने ऑपइंडिया को इस विषय में बताया है कि मामला दो गाँवों के बीच लड़ाई का है। एक गाँव झारखंड में जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल में है, इसके बीच में नहर है। उनका कहना है कि दूसरे व्यक्ति की जमीन पर हत्या से पूरा विवाद चालू हुआ। उन्होंने बताया दोनों गाँवों के बीच विवाद की सूचना के 20-25 मिनट के भीतर पुलिस मौके पर पहुँच गई थी।

उन्होंने बताया कि गाँव वालों ने यहाँ गौवंश काटने का आरोप मुस्लिम व्यक्तियों पर लगाया है लेकिन पुलिस को मौके पर मांस बरामद नहीं हुआ है। दूसरी तरफ झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कानून व्यवस्था धराशायी होने की बात कही है। उन्होंने राज्य की झामुमो कॉन्ग्रेस सरकार पर घुसपैठियों पर एक्शन ना लेने का आरोप लगाया है।

बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है इस इलाके में घुसपैठिए उत्पात मचा रहे हैं, आदिवासियों की जमीनें हड़प रहे हैं, बहन-बेटियों की इज्ज़त लूट रहे हैं और स्थानीय लोगों के संसाधनों पर हक़ जता रहे हैं, इसके बाद भी सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया