तब रवींद्र पाटिल (सलमान खान हिट एंड रन केस के चश्मदीद) की घुट-घुट कर हुई थी मौत… अब आर्यन खान ड्रग्स केस के मुख्य गवाह को ‘हार्ट अटैक’

आर्यन खान ड्रग्स केस के मुख्य गवाह की मौत के बाद याद आया सलमान खान हिट एंड रन मामला (फाइल फोटो)

आर्यन खान ड्रग्स केस में अचानक मुख्य गवाह प्रभाकर सेल की मौत से जहाँ एक बड़ा ट्विस्ट आ गया है। वहीं ऐसे समय में सलमान खान मामले में भी मुख्य गवाह के मौत की घटना ताजा हो आई है। कल शुक्रवार (1 अप्रैल, 2022) को NCB के अहम गवाह प्रभाकर सेल के वकील तुषार खंडारे के मुताबिक उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताया जा रहा है। चूँकि, प्रभाकर सेल ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ड्रग्स केस में कई ऐसे सनसनीखेज खुलासे किए थे, जिसकी वजह से वो चर्चा में भी थे इसलिए मौत को संदिग्ध नज़रों से भी देखा जा रहा है।

हालाँकि, यह बॉलीवुड का यह पहला मामला नहीं है जब मुख्य गवाह की ऐसे अचानक से मौत हुई हो। सलमान खान 2002 हिट एंड रन मामले में भी मुख्य गवाह रवींद्र पाटिल की ऐसे ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जहाँ हिट एंड रन मामले में सलमान खान के बरी होने के पीछे हाइकोर्ट ने मुख्य गवाह रवीन्द्र पाटिल के संदिग्‍ध बयानों को माना था। वहीं एक हादसे के दौरान सलमान के बॉडीगार्ड रहे मुंबई पुलिस के जवान रवीन्द्र पाटिल की मौत भी रहस्यमयी तरीके से हुई थी।

बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की गाड़ी से हुए 2002 के सड़क दुर्घटना में, हादसे के बाद मामले में सबसे पहले बयान देने वालों में रवीन्द्र पाटिल ही थे। जिन्होंने साफ कहा था कि हादसे के दौरान गाड़ी सलमान ही चला रहे थे और उन्होंने शराब पी हुई थी। पाटिल ने यह भी कहा था कि घटना के समय सलमान शराब के नशे में थे। 28 सितंबर 2002 को सलमान की कार बेकाबू तरीके से बांद्रा में एक बेकरी में घुस गई थी, जिससे वहाँ फुटपाथ पर सो रहे नुरुलाह महबूब शरीफ की मौत हो गई थी जबकि मुन्ना मलाई खान, कलीम एम. पठान, अब्दुल्ला रौफ शेख और मुस्लिम शेख घायल हुए थे।

बता दें कि 1998 बैच के कांस्टेबिल रवीन्द्र पाटिल को अंडरवर्ल्ड से धमकियाँ मिलने के बाद सलमान खान का बॉडीगार्ड बनाया गया था। रवींद्र पाटिल के अनुसार वह उस समय कार में ही मौजूद थे जब हादसा हुआ और उन्होंने तेज गाड़ी चलाने के लिए सलमान को चेतावनी भी दी थी लेकिन सलमान ने उनकी एक नहीं सुनी थी।

गौरतलब है कि पाटिल की तहरीर पर ही सलमान खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन इसके साथ ही उनके बुरे दिनों की भी शुरूआत हो गई थी। मीडिया को दिए बयानों के अनुसार पाटिल ने बताया था कि उन पर अपने बयानों को पलटने का जबरदस्त दबाव है। उन्हें फोन करके धमकियाँ दी जा रही हैं।

पाटिल पर दबाव का असर इस कदर था कि साल 2006 में उन्हें विभिन्न आरोपों के चलते गिरफ्तार कर लिया गया और नवंबर में उन्हें इन्हीं आरोपों में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। नौकरी जाने के बाद रवीन्द्र पाटिल की जिंदगी मुसीबत और घुटन में गुजरने लगी। वहीं अगस्त 2007 में एक दिन वह पटरी के किनारे जीर्ण शीर्ण अवस्‍था में बेहोश मिले। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया