11 साल बाद बरी हुए बंगाल के प्रोफेसर, गुनाह – CM ममता बनर्जी का कार्टून ईमेल किया था: बताया – कोर्ट के 72 चक्कर लगाने पड़े, बदला लेना चाहती थी राज्य सरकार

ममता बनर्जी के कार्टून को किया था शेयर,11 साल बाद मामले से बरी (फोटो साभार: अमर उजाला/इंडियन एक्सप्रेस)

ममता बनर्जी (Mamta Banerji) के कार्टून को शेयर करने वाले जादवपुर यूनिवर्सिटी (JU) के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्रा (Ambikesh Mahapatra) को आखिरकार 11 साल की लंबी लड़ाई के बाद मामले से बरी कर दिया गया है। महापात्रा के खिलाफ इस मामले में 12 अप्रैल, 2012 को ईस्ट जादवपुर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया गया था। उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के अलावा आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत मामला दर्ज किया गया था।

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर ने कहा वह मामले में बरी होने के बाद अच्छा महसूस कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वह उस दिन का भी इंतजार कर रहे हैं जब लोग जागेंगे और फर्जी केसों का यह दौर समाप्त होगा। प्रोफेसर ने कहा, “मैंने इन 10 सालों में अदालतों के 72 चक्कर लगाए। यहाँ तक कि 66ए के रद्द होने के बाद भी मेरा केस चलता रहा।”

प्रोफेसर ने कहा, “मेरी ओर से बिना किसी दंडनीय अपराध के 11 साल तक मामला चलता रहा। यह पुलिस प्रशासन के साथ राज्य सरकार के बदले की भावना को दर्शाता है। मेरा मामला साबित करता है कि बंगाल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 66ए को रद्द किए जाने के बाद भी मामला समाप्त नहीं हुआ। मामला चलता रहा। प्रोफेसर ने कहा कि 2017 में वह हाईकोर्ट पहुँचे, लेकिन वहाँ भी सिर्फ तारीख मिलती रही। आखिरकार 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को 66ए से संबंधित सभी धाराओं को समाप्त करने का आदेश दिया। इसके बाद वो जिला अदालत गए और वहाँ से उन्हें शुक्रवार (20 जनवरी, 2023) को राहत मिली। दरअसल मार्च 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ‘ मामले में आईटी अधिनियम की धारा 66ए को निरस्त करने का एक ऐतिहासिक फैसला पारित किया था।

उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर ने 2012 में  न्यू गरिया डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (New Garia Development Co-Operative Society Limited) के सदस्य को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक कार्टून ई-मेल किया था। इस पर तृणमूल कॉन्ग्रेस के एक कार्यकर्ता अमित सरदार ने 12 अप्रैल, 2012 को  ईस्ट जादवपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वह शिकायतकर्ता उनके मेल का प्राप्तकर्ता भी नहीं था।

अंबिकेश महापात्रा को गिरफ्तार कर पुलिस हवालात में रखा गया था। हालाँकि अगले दिन उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई। उन्होंने सत्यजीत रे की सोनार केला फिल्म पर आधारित एक कार्टून सीक्वेंस को आगे बढ़ाया था, जिसमें दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री के पद से हटाए जाने और मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने को लेकर व्यंग किया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया