बंगाल में लगातार तीसरे दिन हिंसा: अकरा रेलवे स्टेशन पर दंगाइयों का उत्पात, टॉयलेट में छिप कर्मचारियों ने बचाई जान

बंगाल में हिंसा जारी (फाइल फोटो)

देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAB) के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। रविवार (15 दिसंबर) को पश्चिम बंगाल में भी इसको लेकर प्रदर्शन हुए। पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध जारी है। बंगाल में तीसरे दिन भी उत्पातियों ने मुर्शिदाबाद के पास रेलवे स्टेशनों में तोड़फोड़ और आगजनी की। रेल पटरी पर टायर जलाकर ट्रेनों को रोका और पथराव किया। मौक़े पर पहुँची पुलिस के वाहन को भी फूँक दिया। एहतियातन कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। साथ ही 6 ज़िलों में इंटरनेट सेवाएँ भी बंद कर दी गई हैं।

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रविवार को बंगाल में मुर्शिदाबाद, बीरभूम और उत्तर 24 परगना में हिंसक प्रदर्शन हुए। इन विरोध-प्रदर्शनों के चलते यातायात प्रभावित रहा और लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। हावड़ा 24 परगना और मुर्शिदाबाद के विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनों को रेक दिया गया। इस बीच, मालदा और आसपास के ज़िलों में इंटरनेट सेवा बंद रही।

दक्षिण 24 परगना जिले में नुंगी और अकरा स्टेशनों के बीच रेल सेवाएँ बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों को ब्लॉक कर दिया। अकरा स्टेशन पर तोड़फोड़ व आगजनी की। भीड़ ने स्टेशन के टिकट काउंटर पर रखे रुपए भी लूट लिए। मुट्ठी भर रेलवे कर्मचारियों ने अपनी जान बचाने के लिए ख़ुद को शौचालय में बंद कर लिया। रेलवे के एक वाणिज्यिक कर्मचारी ने कहा, “हम अपनी जान बचाने के लिए शौचालय में छिप गए।” एक पीड़ित ने बताया, “वे क्षण बेहद भयानक थे। बाहर बहुत हंगामा हो रहा था। स्टेशन पर हमला किया जा रहा था और फिर आग लगा दी गई।” उन्होंने बताया कि पूर्वी रेलवे का अकरा स्टेशन किसी उबड़-खाबड़ युद्ध क्षेत्र से कम नहीं था।

यह सब लगभग सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शनकारियों का एक समूह ट्रेनों की आवाजाही को रोकते हुए पटरियों पर इकट्ठा हो गया। जल्द ही उन्होंने स्टेशन पर ट्रेनों पर हमला करना शुरू कर दिया। बुडगे बडग-बाउंड सियालदह लोकल के ड्राइवर को उसके केबिन से बाहर निकाल दिया गया। ड्राइवर ने बताया:

“पटरियों पर एक बड़ी भीड़ को देखते हुए, मैंने ट्रेन रोक दी। फिर उन्होंने मुझे केबिन छोड़ने के लिए कहा। जब मैंने अपने वरिष्ठों को सूचित किया, तो उन्होंने मुझे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा।”


सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिले के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगाई गई है। पुलिस के अनुसार नदिया, बीरभूम, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और हावड़ा जिलों में हिंसा, लूट और आगजनी की घटनाएँ सामने आई हैं। भाजपा महासचिव और बंगाल के पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने राज्य सरकार पर दंगाइयों को शह देने का आरोप लगाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “बांग्लादेश से लगे सभी जिलों में घुसपैठियों द्वारा हिन्दुओं के घरों में लूटपाट और आगजनी की जा रही है।”

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पश्चिम बंगाल में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वो विज्ञापन असंवैधानिक है जिसमें उन्होंने कहा था कि NRC और नागरिकता क़ानून को लागू नहीं किया जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि सरकार के प्रमुख के तौर पर ममता बनर्जी ऐसे विज्ञापनों पर सरकार के पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं।

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पश्चिम बंगाल की जनता से अपील करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी राज्य के लोगों से अपील है कि वे शांति बनाए रखने के लिए और परेशानी में फँसे लोगों की मदद करने के लिए जो कर सकते हैं वह करें। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री कम से कम विज्ञापन हटाएँगी, क्योंकि यह असंवैधानिक है।”

ख़बर के अनुसार, ममता सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए, राज्य के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा,

“इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है क्योंकि वे नहीं चाहते कि यह हिंसा लोगों की नज़र में आए। TMC पार्टी इन हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने की कसूरवार है। अगर TMC चाहती तो स्थिति पर क़ाबू पाया जा सकता था। राज्य सरकार ने अराजकता फैलाने लिए पूरी ताक़त असामाजिकों के तत्वों को दे दी है।”

वहीं, बंगाल के मंत्री सुजीत बोस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा, “हमारी मुख्यमंत्री ने इस बार फिर से कहा है, हम कभी भी हिंसक विरोध का समर्थन नहीं करते हैं। हम लोकतांत्रिक विरोध में विश्वास करते हैं। हम NRC और CAA के ख़िलाफ़ हैं। भाजपा बहुत सी बातें कहती है, लेकिन बंगाल के लोग उन्हें जवाब देते रहे हैं, ऐसा भविष्य में भी होता रहेगा।”

दरअसल, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की सरकारों ने अपने यहाँ नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं करने का ऐलान किया है। राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाते हुए बताया था कि पश्चिम बंगाल में NRC और CAB दोनों लागू नहीं किए जाएँगे।

ग़ौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक का उद्देश्य पड़ोसी इस्लामिक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के हिन्दुओं, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों जैसे उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो चुका है और इसे राष्ट्रपति कोविंद की भी मंज़ूरी मिल चुकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया