सीता को रावण के साथ नचाया… पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी ने HoD को हटाया: हिंदू विरोधी नाटक को बताया ‘पितृसत्ता का विरोध’, डायरेक्टर और राइटर पर केस

पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी में हिन्दू विरोधी नाटक को लेकर एक्शन

पॉन्डिचेरी यूनवर्सिटी (PU) हाल ही में वहाँ खेले गए एक हिन्दू विरोधी नाटक को लेकर सुर्ख़ियों में आया था। अब इस मामले में कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने ‘डिपार्टमेंट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ के विभागाध्यक्ष (HoD) को उनके पद से मुक्त कर दिया है। वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘Ezhini 2014’ के दौरान ये नाटक खेला गया था। ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने इसके खिलाफ सड़क पर उतर कर तगड़ा विरोध प्रदर्शन किया था।

यूनिवर्सिटी ने एक आंतरिक समिति बना कर उसे इस मामले की जाँच की जिम्मेदारी सौंपी है। जाँच में कुछ निकल कर आए, इससे पहले HoD को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कह दिया गया है। शुक्रवार (29 मार्च, 2024) को ये नाटक खेला गया था। स्थानीय पुलिस थाने में भी इसके खिलाफ शिकायत दी गई है। कालापेट पुलिस स्टेशन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए इस नाटक के निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर के खिलाफ FIR दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी है।

इनके खिलाफ सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की धाराएँ लगाई गई हैं। PU के अस्सिस्टेंट रजिस्ट्रार D नंदगोपाल ने छात्रों को इस उच्च-स्तरीय समिति के गठन की जानकारी दी है। समिति को कहा गया है कि वो 3-4 दिनों में जाँच पूरी कर अपनी रिपोर्ट दाखिल करे। साथ ही ”डिपार्टमेंट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ के सभी प्रोफेसरों से स्पष्टीकरण माँगा गया है। उन्होंने कहा कि पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी परिसर में शांतिपूर्ण और भाईचारे वाला माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई भी कृत्य यूनिवर्सिटी कैम्पस में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रजिस्ट्रार इंचार्ज ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं ‘सोमायणम’ नाम के इस नाटक के पक्ष में डिपार्टमेंट और उसके छात्रों ने बयान जारी कर इसका बचाव किया है। इसमें कहा गया है कि वो लोग विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आते हैं, इसीलिए सबकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और उनका ऐसा इरादा न होने के बावजूद किसी को ठेस पहुँची है तो वो माफ़ी माँगते हैं।

इसमें कहा गया है कि उन्होंने थेरुकूथू (स्ट्रीट प्ले) के अंदाज़ में महिलाओं पर पितृसत्ता के सिद्धांतों को थोपे जाने को दिखाया गया। इन छात्रों का कहना है कि प्राचीन काल में ‘महिलाओं की शुचिता’ वाला कॉन्सेप्ट था और इसे गलत साबित करने के लिए उन्होंने ये नाटक खेला। साथ ही पूछा कि महिलाओं की ‘पवित्रता’ को उसके सम्मान से जोड़ कर देखा जाता है, जबकि पुरुषों के विषय में ऐसा नहीं होता। हालाँकि, इसमें भगवान राम, माँ सीता और हनुमान जी को दिखाने जाने की ज़रूरत क्या थी, इस पर कुछ नहीं कहा गया।

याद दिला दें कि इसमें माँ सीता के किरदार का नाम ‘गीता’ और नृत्य करते हुए रावण को ‘भावना’ नाम दिया गया। वहीं सीता हरण वाले दृश्य में दिखाया गया कि माँ सीता रावण को गोमांस खाने के लिए दे रही हैं। इसमें सीता वाले किरदार से कहलवाया गया है, “मैं शादीशुदा हूँ, लेकिन हम दोस्त बन सकते हैं।” इसमें हनुमान जी की पूँछ को एंटीना के रूप में दिखाया गया। इसका निर्देशन करने वाले MPA 1st ईयर के पुष्पराज, इसमें शामिल एक्टर्स मिथुन कृष्णा, श्रीपार्वती, आदित्य बेबी और विशाख भसी हैं। रावण को माँ सीता के साथ नृत्य करते हुए भी दिखाया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया