राजस्थान में 8 महीने में पाकिस्तानी हनीट्रैप के 17 मामले: ISI हायर करता है गरीब घर की सुंदर युवतियाँ, देता है ब्लैकमेल करने की ट्रेनिंग

हनीट्रैप के जरिए भारत की सीमाओं को कमजोर करना चाहता है पाकिस्तान (प्रतीकात्मक चित्र साभार: Themes.com)

राजस्थान में पिछले 8 महीनों में हनीट्रैप के 17 मामले सामने आए हैं। इसके जरिए ISI की खूबसूरत लड़कियों को भारतीय नागरिकों और जवानों के पीछे लगाया जाता है। सोशल मीडिया के सहारे अपने झाँसे में लेकर भारतीय सेना व सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े राज़ जुटाए जाते हैं और फिर उसे पाकिस्तान पहुँचाया जाता है। कई वर्षों से पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI इस तरह की करतूतों को अंजाम देती रही है। सेना के मूवमेंट और हथियारों के बारे में जानकारियाँ इकट्ठा करना उनकी मुख्य मंशा होती है।

इस सम्बन्ध में ‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी पड़ताल में बताया है कि जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, और श्रीगंगानगर में तैनात सुरक्षा बलों के जवानों पर पाकिस्तान की नजर रहती है। इन सभी जिलों की सीमाएँ पाकिस्तान से लगती हैं। राजस्थान की 1037 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगती है। भारत इन सीमाओं पर आतंकवाद रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में सख्ती अपनाता है। पाकिस्तान अब तक स्ट्राइक के डर से अपने 15 गाँवों को खाली करा चुका है।

साथ ही वो पश्चिमी सीमा पर आतंकी कैंपों के तबाह होने से भी घबराया हुआ है। भारत की तरफ से कभी भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है, इसकी पूर्व जानकारी के लिए पाकिस्तान अब हनीट्रैप का सहारा ले रहा है। सेना में नौकरी करने करने वाले, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों और उनकी मूवमेंट पर नजर रखने वालों को फँसाया जाता है। इसके जरिए बंकरों और नई तकनीकों के बारे में सूचना जुटाई जाती है। इसके लिए खूबसूरत युवतियों को पहले प्रशिक्षण दिया जाता है।

ये सोशल मीडिया के जरिए सीमा पार के लोगों को फँसाती हैं। खासकर जिन लोगों ने सेना की वर्दी में तस्वीरें डाल रखी होती हैं, उन्हें निशाना बनाया जाता है। इसके बाद चैटिंग की प्रक्रिया शुरू की जाती है। उनके साथ घूमने-फिरने से लेकर शादी तक का झाँसा दिया जाता है। उनके अश्लील वीडियो बना कर के ब्लैकमेल का तरीका भी आजमाया जाता है। अश्लील बातें कर के अकेले मिलने के लिए बुलाया जाता है। कई मामलों में चीनी कंपनी के गैजेट्स या मोबाइल का प्रयोग कर रहे जवानों को ज्यादा निशाना बनाया गया है।

भारतीय सेना के अधिकारियों के गैजेट्स को ट्रैक करने के लिए भी कई तरीके आजमाए जा रहे हैं। उनकी इंटरनेट हैबिट्स और सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है और फिर साजिश रची जाती है। सीमा पर कितनी चौकियाँ हैं और जवानों को क्या-क्या नए आदेश मिले हैं, ये जानने में पाकिस्तान की ज्यादा दिलचस्पी है। जवानों से बात कर कैसे उन्हें ब्लैकमेल करना है, इसका प्रशिक्षण इन महिलाओं को ISI देती है। उस हिसाब से उन्हें प्रमोशन मिलता है।

ऐसा नहीं है कि भारतीय ख़ुफ़िया व सुरक्षा एजेंसियों को इसका पता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षा बलों व सेना के जवानों को हिदायत दी है कि वो ऐसी किसी भी अजान लड़कियों से बातचीत न करें। समय-समय पर उन्हें सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने की सलाह भी दी जाती रही है। जिन महिलाओं को उनके पीछे लगाया जाता है, उनके परिवारों की जिम्मेदारी ISI ही उठाता है। उन्हें टेक्नोलॉजी की भी पूरी ट्रेनिंग देकर भेजा जाता है। इसके लिए सुंदर और गरीब तबके की महिलाओं को चुना जाता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया