महेश भट्ट को पहले से थी गुलशन कुमार की हत्या की सूचना, शिव मंदिर वाली बात भी निकली थी सच!

महेश भट्ट को गुलशन कुमार की हत्या की पहले से थी जानकारी!

पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की हाल ही में चर्चा में आई किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ हर रोज एक के बाद एक नए खुलासे कर रही है। इस किताब में किए गए खुलासों ने एक तरफ जहाँ मुंबई जैसे महानगर के आईएसआई और आतंकवाद से सीधे सम्बन्ध पर कई बड़े रहस्यों से पर्दा उठाया है, तो दूसरी ओर कुछ बड़े साजिशकर्ताओं को भी बैचेन कर दिया है।

राकेश मारिया ने महेश भट्ट से ली थी गुलशन कुमार की जानकारी

राकेश मारिया ने ‘लेट मी से इट नाउ’ नाम की पुस्तक में खुलासा किया है कि क्राइम ब्राँच को पहले से ही गुलशन कुमार के हत्या के प्लान की जानकारी थी, लेकिन इसके बाद भी वे ‘कैसेट किंग’ के नाम से मशहूर टी-सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या को टाल नहीं सके। इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया है कि इस हत्या की साजिश का पता चलने के बाद उन्होंने तुरंत बॉलीवुड फ़िल्म निर्माता महेश भट्ट से जानकारी ली थी।

मारिया का कहना है कि खबरी से जानकारी मिलने के दूसरे दिन उन्होंने महेश भट्ट को फोन किया और उनसे पूछा कि क्या वो गुलशन कुमार को पहचानते हैं? मारिया ने किताबी में लिखा है- “पहले तो सुबह-सुबह मेरा फोन आने से महेश भट्ट चौंक गए थे, लेकिन उन्होंने जवाब दिया कि ‘हाँ, गुलशन कुमार को पहचानता हूँ। मैं उनकी एक फिल्म का निर्देशन कर रहा हूँ।’ भट्ट ने इसकी भी पुष्टि की कि गुलशन कुमार सुबह शिव मंदिर जाते हैं।”

महेश भट्ट से बात होने के बाद राकेश मारिया ने उनसे कहा था कि वो क्राइम ब्राँच को आगाह कर रहे हैं। उन्होंने महेश भट्ट से यह भी कहा कि वो गुलशन कुमार से कह दें कि तब तक घर से बाहर ना निकलें जब तक क्राइम ब्राँच उनसे सम्पर्क नहीं कर लेती है।

राकेश मारिया अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में लिखते हैं, “22 अप्रैल, 1997 को मेरे पास एक खबरी का फोन आया, उसने मुझसे कहा ‘सर, गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है।” मैंने उसे उसी समय पूछा कि विकेट लेने वाला कौन है? तो उसने जवाब में अबू सलेम का नाम लिया। खबरी ने आगे बताया कि अबू सलेम अपने शूटरों के साथ गुलशन कुमार को मारने की योजना बना चुका है। गुमनाम व्यक्ति (मुखबिर) ने यह भी बताया कि घर से निकलने के बाद गुलशन कुमार हर सुबह सबसे पहले पास के ही शिव मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। यही वह जगह होगी जहाँ उनका टकराव होगा।”

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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया अपनी किताब में आगे लिखते हैं, “मैंने तुरंत फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट को फोन किया और उनसे पूछताछ की कि क्या वह गुलशन कुमार को जानते हैं? भट्ट ने कहा हाँ, मैं उनके साथ एक फिल्म के निर्देशन में भी काम कर रहा हूँ।” इस पर जब राकेश मारिया ने भट्ट से यह पूछा कि क्या गुलशन कुमार हर सुबह एक शिव मंदिर जाते हैं? तो यह बात भी सही निकली।

मारिया ने गुलशन कुमार की हत्या की साजिश के बारे में भी महेश भट्ट को अवगत कराया था। मारिया ने महेश भट्ट से कहा, “मैं क्राइम ब्राँच को ब्रीफ करूँगा और वह गुलशन कुमार को घर से बाहर नहीं निकलने देंगे।” इसके बाद राकेश मारिया ने क्राइम ब्राँच से संपर्क कर गुलशन कुमार की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।

यूपी पुलिस ने दी थी गुलशन कुमार को कमांडो सिक्योरिटी 

मारिया ने अपनी पुस्तक में लिखा है, “मेरे पास अगस्त 12, 1997 को एक फोन आया जिसने गुलशन कुमार की हत्या की खबर मुझे दी और आश्चर्य की बात ये कि हत्या उसी तरह से की गई, जिस तरह से साजिश के बारे में हमें पहले से जानकारी थी। इस घटना को सुनकर मुझे बहुत बड़ा झटका लगा, क्योंकि जानकारी के बाद भी हम इस हत्या को रोक नहीं सके।” मारिया बताते हैं कि बाद में हुई जाँच में पता चला कि गुलशन कुमार की सुरक्षा में उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टुकड़ी लगी हुई थी, क्योंकि वह नोएडा में अपनी टी-सीरीज नाम से एक कैसेट कंपनी के मालिक थे। इसलिए मुंबई पुलिस द्वारा दी गई सुरक्षा को वापस ले लिया गया था।

बता दें कि अगस्त 12, 1997 को मुंबई के अंधेरी इलाके में एक शिव मंदिर से बाहर आते ही गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहा जाता है कि गुलशन कुमार से अंडरवर्ल्ड ने फिरौती माँगी थी, जिसे देने से गुलशन कुमार ने इंकार कर दिया था। इसी कारण डॉन अबू सलेम ने गुलशन कुमार की हत्या कर दी थी। इस मामले में बाद में पुलिस ने नदीम सैफी को आरोपित बनाया था। पुलिस के मुताबिक नदीम को डर था कि कहीं गुलशन उसके म्यूजिक करियर को तबाह न कर दे।

पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में कई बातों को सामने लाया है। उन्होंने मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को लेकर भी खुलासा किया है कि कसाब को पाकिस्तानी आकाओं की ओर से हिंदू बनाकर भेजा गया था और मुंबई हमले को हिंदू आतंकी हमले की तरह पेश किए जाने की योजना थी।

इसके लिए कसाब को बेंगलुरु के हिंदू निवासी के तौर पर पेश करने की योजना थी और समीर दिनेश चौधरी नाम का आईडी कार्ड देकर भारत भेजा गया था। इतना ही नहीं, उसके एक हाथ में कलावा भी बाँधा गया था, जिससे साफ हो सके कि हमला करने वाले आतंकी हिंदू हैं। लेकिन यह सभी योजना काम नहीं आ सकी और आख़िर में उसकी पहचान पाकिस्तान के फरीदकोट के रहने वाले अजमल आमिर कसाब के तौर पर उजागर हो गई। यहाँ तक कि उसने खुद अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था।

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