‘रंडी की मस्जिद’ पर गिरी बिजली, टूट गया गुंबद: अंग्रेज ने बनवाया, कट्टर मुस्लिमों ने दिया था यह नाम

मस्जिद का ध्वस्त हुआ गुंबद

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार (जुलाई 19, 2020) को हुई मूसलाधार बारिश से कई इलाके प्रभावित हुए। वैसे तो बारिश के समय में यहाँ जलभराव और ट्रैफिक की समस्याएँ दिखना बेहद आम बात है। मगर कल आकाशीय बिजली का कहर भी दिल्ली में देखने को मिला।

दरअसल, दिल्ली के हौज खासी इलाके में कल आकाशीय बिजली के कारण एक ऐतिहासिक मस्जिद का गुम्बद टूट गया। मस्जिद का नाम मुबारक बेगम मस्जिद है। इसका उल्लेख कई जगहों पर ‘रंडी की मस्जिद’ नाम से भी है।

रविवार सुबह करीब 6 बजे हुई इस घटना में किसी शख्स को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। मगर, 200 वर्षों से भी अधिक पुराने इस मस्जिद का गुम्बद (बीच वाला) पूरी तरह से टूट गया। मालूम हो कि मुबारक बेगम मस्जिद दिल्ली की हेरिटेज बिल्डिंगों में शुमार बताया जाता है। इसे सन् 1823 में बनाया गया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मौलवी मोहम्मद जाहिद बताते हैं कि उन्होंने रविवार को बहुत तेज आवाज सुनी, जैसे आकाश गिर रहा हो। आवाज सुनते ही वो मस्जिद की ओर भागे और देखा कि ऐतिहासिक मस्जिद का गुंबद टूट गया था। उनके अनुसार, ये आकाशीय बिजली के कारण ही हुआ है।

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अब मस्जिद कमिटी के सदस्य साबिर अंसारी का कहना है कि इस ऐतिहासिक विरासत को संभाले रखने के लिए इसे जल्द से जल्द ठीक कराना होगा। इसकी देखरेख दिल्ली वक्फ बोर्ड के हाथ में है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वे मस्जिद को ठीक कराने के लिए आर्किटेक्ट और इंजीनियरों को भेजेंगे और जल्द से जल्द मस्जिद को पहुँचे नुकसान को ठीक कराएँगे। मगर, स्थानीय निवासी अबु सुफियाँ जैसे लोगों की चिंता ये है कि अब यह मस्जिद आधुनिक डिजाइन के साथ बनवाया जाएगा। इससे यह अपना वास्तविक मूल्य खो देगा।

गौरतलब है कि एक ओर जहाँ इस घटना के बाद स्थानीय लोगों व मस्जिद कमिटी में इसे रिप्येर करवाने की चिंता है। वहीं, दूसरी ओर इसके खबरों में आने के बाद इसके नाम को लेकर ट्विटर पर यूजर्स चर्चा कर रहे हैं और यह जानने में उत्सुकता दिखा रहे हैं कि आखिर इस मस्जिद का नाम रंडी की मस्जिद कैसे पड़ा। तो आइए आज इसी का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य आपको बताएँ… 

रंडी की मस्जिद

ये बात उस समय की है, जब भारत में ब्रिटिशों का उदय और मुगलों का पतन हो रहा था। ब्रिटिश धीरे धीरे भारत पर काबिज हो चुके थे और डेविड ऑक्टरलॉनी (David Ochterlony) नाम का ब्रिटिश भी यहाँ का एक प्रमुख प्रशासक बन गया था। डेविड ऑक्टरलॉनी की 13 बीवियाँ थीं। इनमें से एक मुबारक बेगम भी थीं, जिनकी उम्र उन सब में सबसे कम थी।

इन्हीं के नाम पर मस्जिद का नाम रंडी की मस्जिद रखा गया। मौजूदा जानकारी के अनुसार, मुबारक बेगम जन्मजात मुस्लिम नहीं थीं। वह एक मराठा ब्राह्मण परिवार से थीं और नृत्य कला में माहिर थीं। उनका संबंध पुणे से था। लेकिन बाद में वो दिल्ली आईं और मुगलों के दरबार में नृत्य प्रदर्शन करती रहीं। इस बीच उसने इस्लाम अपना लिया।

मुबारक बेगम ने इसके बाद अपनी पहचान एक कट्टर मुस्लिम के रूप में स्थापित की। इसी बीच उसकी नजदीकियाँ सर डेविड से बढ़ने लगीं और आखिरकार एक समय में दोनों ने इस्लामिक रिवाजों के साथ शादी कर ली। दोनों के बच्चे भी हुए। लेकिन कुछ समय बाद बेगम की मौत हो गई।

डेविड ने मुबारक बेगम के इस्लाम से लगाव के कारण मुगल बाग में मस्जिद भी बनवाई। इसी का नाम मुबारक बेगम मस्जिद रखा गया। किंतु कट्टर मुस्लिम फिर भी मुबारक बेगम को उसके पेशे के साथ जोड़ कर ही देखते रहे और उन्होंने उसका नाम ‘रंडी की मस्जिद’ रख दिया।

बहुत समय तक इस मस्जिद में मुस्लिमों ने प्रवेश नहीं किया और उसे रंडी की मस्जिद ही बोलते रहे। नतीजतन इस मस्जिद का संबंध इतिहास से होने के कारण इसे तवज्जो तो दिया जाने लगा लेकिन इसका नाम रंडी की मस्जिद ही पड़ गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया