एक बाजू गायब, सिर धड़ से अलग, बाल उखड़े हुए… कमरा खून से लथपथ: पंजाब में 80 वर्षीय संत की निर्मम हत्या

महात्मा योगेश्वर अपने आश्रम में प्रायः अकेले ही रहते थे

पंजाब में एक 80 वर्षीय संत की हत्या कर दी गई और अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस हत्याकांड के 10 दिन बीत चुके हैं। महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या वाली वारदात अभी भी लोगों की जेहन में है। हालिया घटना रूपनगर की है, जहाँ उक्त संत की उनके आश्रम में ही हत्या कर दी गई थी।

महा योगेश्वर महात्मा ‘श्री मुनि देशम आश्रम’ में अकेले रहा करते थे। वो डेरा चलाते थे और उस क्षेत्र के लोगों में खासे लोकप्रिय थे। उनकी हत्या एकदम वीभत्स तरीके से की गई थी। उनका एक बाजू गायब था। और साथ ही सिर को धड़ से अलग कर दिया गया था। उनके सिर के बाल उखाड़ लिए गए थे। पूरा कमरा खून से लथपथ था।

महात्मा सतलज नदी के किनारे अपने आश्रम में पिछले 4 दशक से वास कर रहे थे और नदी के किनारे ही बैठ कर पूजा-पाठ किया करते थे। वो मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के सरकाघाट के निवासी थे। उन्होंने मात्र 20 वर्ष की आयु में ही संन्यास ले लिया था।

डेरा प्रमुख महा योगेश्वर महात्मा की हत्या के बाद लोग पंजाब सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। वहाँ कॉन्ग्रेस की सरकार है और क्षेत्र से भी पार्टी के बड़े नेता मनीष तिवारी सांसद हैं, ऐसे में कॉन्ग्रेस पर लोगों का गुस्सा स्वाभाविक है। पालघर मामले में अर्नब गोस्वामी ने जब सोनिया गाँधी से सवाल पूछा था तो उन्हें पुलिस-प्रशासन द्वारा प्रताड़ित करवाया गया।

मार्च में कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ। उसके बाद सरकार ने लॉकडाउन लगाया। उसका सम्मान करते हुए महात्मा वहाँ अकेले रहते थे और किसी भी प्रकार के सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं करते थे। जब उनके अनुयायी आश्रम में उनके दर्शन के लिए गए तो उन्होंने पाया कि दरवाजा खुला हुआ था और उनके कमरे में ही उनकी हत्या कर दी गई थी। काठगढ़ पुलिस स्टेशन का कहना है कि उनका मृत शरीर डीकम्पोज हो चुका था

इसका अर्थ है कि एक सप्ताह से लेकर 10 दिन पहले तक उनकी हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उनकी लाश उसी कमरे में पड़ी रह गई थी। इस कृत्य के कारण स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति भी रोष व्याप्त है। पुलिस ने उस वक़्त कहा था कि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर के इन्वेस्टीगेशन चालू कर दिया गया है।

पंजाब के स्थानीय शिवसेना नेताओं ने भी इस हत्या को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस शिवसेना के नेत्रृत्व वाली सरकार में शामिल है। महात्मा योगेश्वर की आत्मा की शांति के लिए लोगों ने एक श्रद्धांजलि प्रार्थना का भी आयोजन किया।

महात्मा योगेश्वर के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म सरकाघाट के एक बड़े व्यापारिक खानदान में लाला रामरखा लाल के यहाँ हुआ था लेकिन उन्होंने संन्यास लेकर धन-वैभव को पीछे छोड़ दिया था। लोगों का आरोप है कि मीडिया भी इस मुद्दे को नहीं उठा रहा है और इस कारण इस मामले में राज्य सरकार व पुलिस आसानी से बिना कुछ किए निकल गई है।

महात्मा की जिस कमरे में हत्या की गई, वहाँ से कई कई चीजें भी गायब थीं। उनके कमरे के बल्ब, इनवर्टर और बैट्रियाँ भी गायब थीं। उनकी लाश को कुत्तों द्वारा खाए जाने की बात भी कही जा रही है। उनका आश्रम नूरपुर बेदी मार्ग पर स्थित था। महा योगेश्वर की हत्या के बाद इलाके में तनाव पसर गया था और पुलिस को स्थिति संभालनी पड़ी थी। आश्रम का दरवाजा टूटा होने के कारण लोगों को शक हुआ, जिसके बाद वो अन्दर गए थे।

हमने अधिवक्ता अमन कुमार से इस सम्बन्ध में बात की, जो अक्सर बाबा योगेश्वर से मिलते-जुलते थे। उन्होंने बताया कि महात्मा जी राजनीतिक चर्चाओं से दूर रहते थे और उन्हें पब्लिसिटी पसंद नहीं थी। उनके कई शिष्य बड़े-बड़े नाम वाले भी हैं लेकिन उन्होंने कभी फोटो वगैरह क्लिक करवा कर अपनी पब्लिसिटी कराना पसंद नहीं किया। उन्होंने कई महीने तक बद्रीनाथ में प्रवास किया था, जहाँ ठण्ड के दिनों में मात्र 4 साधुओं को ही सरकार की अनुमति थी।

महात्मा, जिनकी हत्या हुई (कुर्सी पर)

अधिवक्ता अमन ने जानकारी दी कि बाबा 5 भाई और 2 बहन थे। उनके भाई सुभाष कौशल कॉन्ग्रेस के छात्र संगठन NSUI के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनके भाई को उनकी हत्या की जानकारी न देकर प्राकृतिक मृत्यु होने की बात कही गई है। उन्हें कहीं इसका सदमा न लगे, इसीलिए लोगों ने ऐसा किया। पुलिस का दावा है कि इस मामले में गिरफ़्तारी की गई है लेकिन लोगों का कहना है कि फोरेंसिक जाँच के बाद क्या आया, ये नहीं बताया गया है। अधिवक्ता अमन ने बताया:

“हिमाचल प्रदेश में उनका जन्म हुआ। पंजाब में रूपनगर में उन्हें आश्रम के लिए जमीन मिली थी और वो वहाँ रह रहे थे। उत्तराखंड में वो प्रवास किया करते थे, बद्रीनाथ में। वहाँ उन्होंने एक चट्टान को काट-काट कर गुफा बनाई थी। कुल मिला कर 5 राज्यों में उनके अनुयायी थे। उन्होंने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुरु ने साथ दीक्षा ली थी। इस हिसाब से पीएम मोदी के गुरु उनके गुरुभाई हुए। वो भिक्षा माँग कर अपना गुजर-बसर करते थे। वो अवधूत अखाड़ा में दीक्षित हुए थे। बिरला मंदिर में वो समय-समय पर रहा करते थे। उद्योगपति कपिल मोहन अपनी हर नइ गाड़ी इनके पास लेकर आते थे। महात्मा के शिष्यों का कहना है कि इंदिरा गाँधी के समय गोरक्षा के लिए साधुओं ने आंदोलन किया था तो उन्होंने उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। इसके लिए वो जेल तक गए थे।”

लोग बताते हैं कि बाबा हमेशा हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए चिंतित रहते थे। असल में उनके आश्रम में बिजली तक नहीं थी, उनके अनुयायियों ने ही सोलर सिस्टम की व्यवस्था की थी। लोग उनके आश्रम पर ही उन्हें भोजन पहुँचाया करते थे। भिक्षा माँग कर गुजर-बसर होता था, इसीलिए वो खाना नहीं बनाया करते थे। उनकी हत्या के बाद स्थानीय लोगों ने उनके रिश्तेदारों को फोन की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। बाद में उनकी बहन के घर कॉल किया गया, जहाँ से लोग आए।

बताया जा रहा है कि लाश का पोस्टमॉर्टम करने के समय डॉक्टरों ने ये कह दिया था कि डेड बॉडी का कुछ करने लायक बचा ही नहीं है, जिसके बाद उन्हें फोरेंसिक जाँच के लिए भेजा गया। उनके शिष्यों की माँग है कि मृत शरीर वापस किए जाने के बाद उनकी समाधि बनाई जाएगी, लेकिन अभी तक वैसा कुछ नहीं हो पाया है। लोगों ने उनकी हत्या के खिलाफ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और कैंडल लाइट मार्च निकाला।

वहाँ के लोग सांसद मनीष तिवारी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो उनका कॉल नहीं उठा रहे हैं। मनीष तिवारी के बारे में कहा जा रहा है कि वो अपने दिल्ली स्थित निवास पर हैं और क्षेत्र में मौजूद नहीं हैं। लोगों का कहना है कि पंजाब की सरकार इस मामले में खुल कर कार्रवाई नहीं कर रही। महात्मा के बारे में अधिवक्ता अमन ने बताया कि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज से प्रभावित थे और कहते थे कि वो अच्छा काम कर रहे हैं।

जहाँ तक पुलिस की बात है, उनका कहना है कि इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही लूट का सामान भी जब्त कर लिया गया है। दीपक और संजय नामक आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि दिवंगत महात्मा के भाई के बयान के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार, आरोपितों ने लूट की वजह से महात्मा का क़त्ल किए जाने की बात कही है और बताया कि दो अन्य लोगों ने भी उनका साथ दिया था।

हालाँकि, ये तर्क लोगों के गले उतर नहीं रहा। पुलिस का वर्जन है कि आरोपितों ने अपना गुनाह कबूल करते हुए स्वीकार किया कि महात्मा के बारे में उन्हें सूचना मिली थी कि वो अकेले रहते हैं। पहले उन्होंने कुटिया की रेकी की, जिसके बाद लूट की योजना बनाई गई। पुलिस की मानें तो वो लोग 10 मई को 2 बाइकों से आश्रम पहुँचे थे। इसके बाद उन्होंने शराब के नशे में धारदार हथियार से महात्मा का क़त्ल कर दिया। साथ ही सोलर सिस्टम लूट कर ले गए।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.