7 साल की हर्षानी ने मोरबी पुल हादसे में अपने माता-पिता को खोया, 4 साल का जियांश भी हो गया अनाथ: नदी में उतरे पूर्व भाजपा MLA की तस्वीर वायरल

मोरबी हादसे की तस्वीर (साभार-दैनिक भास्कर)

गुजरात के मोरबी पुल हादसे के बाद अब कई दर्दनाक कहानियाँ निकलकर सामने आ रही हैं। किसी ने अपने माँ-बाप खोए, तो किसी ने अपने मासूम बच्चे को खोया। किसी के परिवार में कोई अकेला बचा तो कहीं एक साथ कई लोगों की अर्थियाँ उठीं। ऐसी ही दर्दनाक दास्ताँ है सात वर्षीय हर्षानी चावड़ा की, जिसने इस दुर्घटना में अपने माँ-बाप को खो दिया।

हर्षानी के आँखों के सामने उसके उसके माता-पिता मच्छू नदी में बह गए। हर्षानी अपने माता-पिता अशोकभाई और भावनाबेन के साथ अहमदाबाद से मोरबी घूमने आई थी। हर्षानी के माता-पिता तो बच नहीं पाए गए लेकिन उसे (हर्षानी) को बचा लिया गया। ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए अशोकभाई के पिता ने कहा, “हमें शाम को फोन आया और हम तुरंत मोरबी के लिए रवाना हो गए। जब हम वहाँ पहुँचे तो देखा कि मेरा बेटा और उसकी पत्नी मर चुके हैं, जबकि उनकी बेटी बच गई है। हर्षानी पूरी रात अपने माता-पिता के बारे में पूछ रही थी।”

अशोकभाई मेडिकल स्टोर पर दवा सप्लाई करते थे। वह अपने परिवार के साथ कच्छ की यात्रा पर थे और उन्होंने पुल को देखने का फैसला किया था। वहीं अशोकभाई की माँ ने बताया कि उनका परिवार बेटे की आय पर निर्भर था, लेकिन अब वह चला गया है। उन्होंने बताया कि उनकी पोती घटना के वक्त अपने पिता के कंधे पर थी।

हर्षानी की दादी ने कहा, “वह सात साल की है। वह कैसे जिएगी? मेरी उम्र 70 साल से अधिक है। हम नहीं जानते कि हम किस उम्र तक उसका साथ दे सकते हैं या उसका पालन-पोषण कर सकते हैं। अगर मुझे कुछ हो गया तो उसे कौन पालेगा?”

चार वर्षीय जियांश के भी माता-पिता की मौत

वहीं मोरबी में रहने वाले हार्दिक फलदू पत्नी मिरल और चार साल के बेटे जियांश के साथ रविवार की शाम घूमने निकले थे। शाम करीब 6 बजे तीनों ब्रिज पर पहुंचे और कुछ ही देर बाद ब्रिज टूट गया। तीनों नदी में गिर गए। हादसे में हार्दिक और पत्नी मिरल की मौत हो गई, लेकिन डूब रहे जियांश को किसी ने बचा लिया। जियांश की जान तो बच गई, लेकिन अब उसके सिर पर माता-पिता का साया नहीं रहा।

चार वर्षीय जियांश अपने माता-पिता के साथ (फोटो क्रेडिट -दैनिक भास्कर )

सुभाषभाई ने 8 लोगों की जान बचाई

हादसे के वक्त चश्मदीद सुभाषभाई ने कहा कि वो लोग पुल के बगल में स्वामीनारायण मंदिर के निर्माण पर काम कर रहे थे। पुल टूटा हुआ देखकर वो लोग तुरंत दौड़े और 8 की जान बचाई। उन्होंने बताया कि वो और लोगों को नहीं बचा सके। बड़े लोग पुल की रस्सी के सहारे बाहर निकले, लेकिन छोटे बच्चे नदी से बाहर नहीं निकल पाए।

मोरबी के पूर्व विधायक लोगों को बचाने नदी में कूदे

मोरबी के पूर्व विधायक कांति अमृतिया लोगों को बचाने के लिए खुद नदी में उतर गए। इस त्रासदी के बाद कांति ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वहाँ तुरंत लाइटिंग की व्यवस्था की जाए। कलेक्टर ने उनकी सलाह पर काम किया और रेस्क्यू के लिए इंतजाम किया।

गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मरने वालों की संख्याँ 140 से ज्यादा पहुँच गई है। मृतकों में 25 बच्चे भी शामिल हैं। 170 लोग अब तक रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे हुआ था। 143 साल पुराना यह पुल 6 महीने से बंद था। हाल ही में इसकी मरम्मत की गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया