भारत में एक बार फिर से ‘मी टू’ के और भी कई मामले सामने आए थे। इसी क्रम में दिलीप ख़ान नामक पत्रकार पर आरोप लगे थे। तब वो ‘हिन्द किसान’ का पत्रकार था। उस पर आरोप हिमांशी जोशी ने लगाया था। हिमांशी ने बताया था कि ख़ान ने सोती हुई लड़की के कपड़ों के भीतर हाथ डाला था। इस आरोप के बाद दिलीप ख़ान के ख़िलाफ़ किसी ने आवाज़ तक नहीं उठाई। बकौल हिमांशी, दिलीप ख़ान ने एक बार कहा था कि दिल्ली में 1500 लोग जो उसके दोस्त हैं, ऐसे है जो बिना सोचे उसके एक बार कहने पर अपना और दूसरों का खून उसके लिए बहा सकते हैं।
दिलीप ख़ान ने ‘सहमति से सेक्स’ के दावे करके अपना बचाव किया था लेकिन हिमांशी का ये कहना था कि किसी को जानबूझ कर नशे में ढकेल देना और फिर उसके साथ कुछ करना सहमति में तो हरगिज नहीं आता है। दिलीप के साथियों ने हिमांशी के फेसबुक टाइमलाइन पर जाकर यौन शोषण आरोपित पत्रकार का बचाव किया था। आज भी जब हिमांशी इस मामले को उठाती है, दिलीप के गुंडे उसे प्रताड़ित करने फेसबुक पर पहुँच जाते हैं।
आश्चर्य की बात ये कि दो साल होने को आए लेकिन अभी भी दिलीप ख़ान के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई है और उलटा उसके समर्थक सोशल मीडिया पर उसका बचाव करते रहे हैं। ये मामला 2018 का है, जिसे लोगों ने नज़रअंदाज़ कर दिया। लेकिन हाँ, इसे उठाने के लिए हिमांशी को आज भी सोशल मीडिया में प्रताड़ित किया जा रहा है। हम इस लेख में विभिन्न स्क्रीनशॉट्स संलग्न कर रहे हैं, जिन्हें पढ़ कर आप इस पूरे मामले को जान और समझ सकते हैं। हिमांशी ने बताया था:
दिलीप खान ने अपनी पोस्ट में यह स्वीकार तो किया ही है कि लड़कियों को देर शाम अपने घर पर बुलाना, वहाँ रात बिताने के लिए उकसाना, उन्हें दारू ऑफ़र करना और उनकी सहमति से उनके साथ सेक्स करना उसकी सहज आदत है। लेकिन यही वो बिंदु है जो उसे कटघरे में खड़ा करता है क्योंकि दवाओं के असर के दौरान, शराब के नशे में और नींद में सहमति कोई मायने नहीं रखती। साफ है कि यह धूर्त न केवल अपनी छवि और लोकप्रियता के प्रभाव से नई-नई लड़कियों को अपने जाल में फँसाता है बल्कि जब वे अपनी व्यथा दुनिया को बताती हैं तो यह एक बार फिर अपनी मित्रमंडली के प्रभाव से उन्हें चुप करवा देने का प्रयास करता है और अपनी करनी से मुकरता है। अब उन लोगों को फ़ैसला करना है, जो इसके सपोर्ट में अंधे हुए जा रहे हैं कि क्या अपने घर की बच्चियों को वे दिलीप खान जैसे चरित्र के लोगों के साथ सुरक्षित समझते हैं या नहीं?”
ऊपर के बयान से आप समझ सकते हैं कि दिलीप ख़ान पर वहशी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं और उसे एक ‘सीरियल प्रिडेटर’ बताया जा रहा है। साथ ही कई लोग ऐसे हैं जो उसका साथ भी दे रहे हैं। उसका साथ देने वालों में एक कथित फेमिनिस्ट अविनाश पांडे का नाम भी सामने आया, जो सोशल मीडिया पर अपना नाम समर अनार्य लिखता है। वो खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता भी कहता है और पत्रकार भी है। कानपुर में कार्यरत कश्यप किशोर मिश्रा ने बताया- “इस आदमी पर अक्सर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। कोई महिला यदि इससे दूर जाने की कोशिश करती, यह खुद उस महिला और अपने किस्से उड़ाने लगता। बेहद अशिष्टता से इसे महिलाओं से मैंने बात करते देखा है।” दिलीप ख़ान, समीर अनार्य और अजित साहनी- ये तीनों ही क़ानून की जद से फ़िलहाल बाहर हैं।
इसी क्रम में एक अजित साहनी नामक व्यक्ति का भी नाम सामने आया है, जो हिमांशी को बार-बार फोन करके परेशान करता था। साहनी भी दिलीप के मित्रों में से एक है। अब तक इस मामले में ‘हिन्द किसान’ ने भी कोई कार्रवाई नहीं की है। दिलीप ख़ान ‘राज्य सभा टीवी’ में भी काम कर चुका है। अब लोग पुलिस और मीडिया संस्थान ‘हिन्द किसान’ से सवाल पूछ रहे हैं कि कार्रवाई के वादे के 2 साल बाद अब क्या स्थिति है, क्या एक्शन लिया गया है? उधर दिलीप ख़ान अब भी खुल्ला घूम रहा है, फेसबुक पर पोस्ट लिख कर अपना मोदी-विरोध दिखाने में लगा हुआ है। फ़िलहाल वो ‘AsiaVille Hindi’ में कार्यरत है।