हत्या की कोशिश का आरोपित वामपंथी सामने खड़ा नारेबाजी कर रहा था, केरल पुलिस ने किया नजरअंदाज

रियास को गिरफ्तार न कर तिरुवनंतपुरम की पुलिस क्या साबित हुई- मूर्ख, या डरपोक?

केरल में एक ऐसा चौंका देने वाला मामला सामने आया है जिससे या तो पुलिस की लापरवाही ज़ाहिर होती है, या फिर यह कि सत्ताधारी वामपंथियों ने किस तरह कानून ही नहीं, कानून के रखवालों को भी अपनी मुट्ठी में दबोच रखा है। केरल में पुलिस के सामने एक ऐसा वामपंथी छात्र नेता खड़ा होकर घंटों ज़ोर ज़ोर से नारे लगाता रहा, अपनी तरफ़ ध्यान आकर्षित करता रहा, जिस पर हत्या के प्रयास का इलज़ाम है। और पुलिस ने उसे कुछ भी नहीं कहा। कुछ कहना तो दूर, जब स्थानीय मलयाली मीडिया ने इस बारे में जानना चाहा, तो पुलिस वालों के हावभाव से ऐसा प्रतीत हुआ मानो उन्हें इस घटना के बारे में पता ही नहीं है।

मामला केरल स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू, कॉन्ग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई का केरल वाला धड़ा) और एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, माकपा का छात्र संगठन) के बीच गत शुक्रवार (28 नवंबर, 2019 को) को हुए हिंसक टकराव का है, जिसमें पुलिस पर भी हमला किया गया था। इस मामले में केरल पुलिस ने केएसयू की तहरीर पर जो मुकदमा दर्ज किया था, उसमें एसएफआई के नेता कर तिरुवनंतपुरम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष रियास का नाम पहले आरोपित के तौर पर था। चूँकि मामले की धाराएँ भी गंभीर थीं और हमले के पीड़ितों में पुलिस वाले भी थे, इसलिए मामला भी गैर-जमानती था।

लेकिन इसके बावजूद रियास ने उसी पुलिस थाने, कैंटोनमेंट पुलिस थाना, के सामने छात्रों का मार्च निकाला, जिसमें वह हत्या के प्रयास के आरोप में वांछित था। रियास का दुस्साहस यहीं पर नहीं रुका। उसने वहाँ पर पुलिस से सम्पर्क भी किया, और बहस भी की- वह भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से। रियास ने अपने मार्च के बाद असिस्टेंट कमिश्नर से काफी लम्बे समय तक बात की, इस मुद्दे पर की एसएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस मामले में दायर मुकदमे वापिस लिए जाएँ। इस दौरान या तो उस पूरे थाने को ही पता नहीं था कि जिस व्यक्ति की इसी थाने में दर्ज हत्या के प्रयास के मुकदमे में तलाश है, वह सामने ही खड़ा है या फिर सत्ताधारी माकपा के डर से पुलिस वालों ने इस बात को नज़रअंदाज़ किया।

मलयालम न्यूज़ पोर्टल मातृभूमि के अनुसार जब केएसयू कार्यकर्ताओं ने इसके बाबत पुलिस का ध्यान आकर्षित किया, तो भी पुलिस ने कोई हरकत नहीं की- बावजूद इसके कि 6 एसएफआई कार्यकर्ता पहले ही पुलिस की हिरासत में हैं। इसके पहले जब मीडिया ने हमलों के बारे में पूछा था तो इसी पुलिस ने कहा था कि वह हमलावरों की तलाश में हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया