मध्य प्रदेश: कोरोना संक्रमित शाहिदा बी की बहन की भी मौत के बाद जनाजे में शामिल हुए दर्जनों लोग दहशत में

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

मध्य प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव शख्स शाहिदा बी के जनाजे में शामिल होने वाले लोगों के बीच यह जानकर दहशत फैल गई कि उसकी बहन की भी कुछ दिनों पहले मौत हो गई है। फिलहाल, इस बात का पता नहीं चला है कि शाहिदा की बहन की मृत्यु किस वजह से हुई है।

राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के जबलपुर के हनुमानताल थानांतर्गत चाँदनी चौक निवासी कोरोना पॉजिटिव शायरा बी उर्फ शाहिदा बी (62) के जनाजे में अनुमति से अधिक लोगों के शामिल होने पर पुलिस ने FIR दर्ज कर लिया है।

शाहिदा की मौत 20 अप्रैल को हुई थी। उसके जनाजे में भी अनुमति से अधिक भीड़ होने की वजह से गोहलपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज किया गया है।

शाहिदा के जनाजे में जुटाई गई 40 लोगों की भीड़

हनुमानताल पुलिस ने बताया कि शाहिदा की 19 अप्रैल को कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई थी। जिसके बाद अधिकारियों ने बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए गाइडलाइंस के मुताबिक जनाजे में शामिल होने वाले लोगों की एक सीमा तय की थी, मगर इसके बावजूद शव यात्रा में रिश्तेदारों और परिवार के 40 लोगों की भीड़ जमा की गई और रात में 11 बजे शव को मोतीनाला से होते हुए मंडी मदार टेकरी कब्रिस्तान में दफनाया गया। इसकी वजह से इलाके में दहशत फैल गई है, क्योंकि इस मार्ग से पूरे शहर में कोरोना वायरस फैलने का खतरा है।

शाहिदा की बहन के जनाजे में शामिल हुए 50 लोग

शाहिदा की मौत के एक दिन बाद ही 20 अप्रैल को उसकी छोटी बहन फिरदौस बेगम (50) की मौत हो गई। वो तलैया की रहने वाली थी। शाहिदा के जनाजे की तरह ही फिरदौस के पति मोहम्मद फ़िरोज़ ने भी उसके जनाजे में रिश्तेदारों की लगभग 50 लोगों की भीड़ इकट्ठा की थी। जिससे पूरे शहर में फिर से दहशत फैल गई। दोनों थानों में, पुलिस ने अंतिम संस्कार जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ धारा आईपीसी की धारा 188, 269 और 270 के तहत मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने भले ही दोनों के जनाजे में शामिल लोगों पर एफआईआर दर्ज कर लिया है, लेकिन प्रशासन की चूक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोरोना संदिग्ध का पहले बिना जाँच रिपोर्ट आए शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया और फिर बिना प्रोटोकॉल का पालन कराए अंतिम संस्कार होने दिया। जबकि इस तरह के मामले में तहसीलदार और आरआई की मौजूदगी में कोरोना प्रोटोकाल का पालन कराया जाना कलेक्टर की जवाबदेही थी।

गौरतलब है कि पिछले दिनों महाराष्ट्र के मालेगाँव में जनाजे के लिए 500-600 लोगों की भीड़ जुटी थी। ये सभी लोग कब्रिस्तान जा रहे थे। जबकि सरकार का आदेश है कि किसी भी प्रकार के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में 5 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए, बावजूद इसके मालेगाँव में 500 से ज्यादा लोगों की भीड़ जुट गई। पुलिस ने रास्ते में ही उन सबको रोका और भीड़ को किसी तरह तितर-बितर किया। बावजूद इसके 25-30 लोग कब्रिस्तान पहुँच गए। इसी तरह तमिलनाडु में डॉक्टरों के मना करने के बावजूद कोरोना संक्रमित मरीज का जनाजा नहीं सुनी, कोरोना संक्रमित पिता का निकाला जनाजा निकाला।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया