थू-थू होने के बाद TMC ने शाहजहाँ शेख को पार्टी से निकाला, पर केस उसी CID को दी जो संदेशखाली की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के खिलाफ कर रही जाँच

शेख शाहजहाँ और ममता बनर्जी (साभार: टेलिग्राफ इंडिया एंड एनडीटीवी)

संदेशखाली की महिलाओं से यौन उत्पीड़न करने के आरोपित शाहजहाँ शेख के मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की फजीहत हो रही है। अब इस फजीहत से बचने के लिए तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने शाहजहाँ शेख को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है। इसके साथ उसके मामले की जाँच बंगाल पुलिस की CID ब्रांच को सौंप दिया है।

तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने गुरुवार (29 फरवरी 2024) को कोलकाता में कहा, “टीएमसी ने शेख शाहजहाँ को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित करने का फैसला किया है।” इस दौरान उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि एक पार्टी है जो सिर्फ बातें करती है, जबकि टीएमसी कार्रवाई करती है।

बता दें कि शाहजहाँ शेख को बंगाल पुलिस ने गुरुवार (29 फरवरी) की सुबह नॉर्थ 24 परगना के मीनाखान इलाके से उसे गिरफ्तार किया था। लगभग 55 दिन से फरार शेख को बशीरहाट कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उसे 10 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियों की गिरफ्तारी से बचाने के लिए बंगाल पुलिस ने हिरासत में लिया और उसे हर तरह की सुख-सुविधा उपलब्ध करा रही है।

वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट सोमवार (4 मार्च 2024) को संदेशखाली मामले की जाँच CBI को सौंपे जाने की याचिका पर सुनवाई करेगा। साउथ बंगाल के ADG सुप्रतिम सरकार ने बताया कि इस गिरफ्तारी में सेक्शुअल असॉल्ट का कोई मामला नहीं है। शाहजहाँ के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं। हाल ही में दर्ज हुए मामले 2-3 साल पहले की घटनाओं के हैं और इनकी जाँच-पड़ताल में समय लगेगा।

इस बीच शेख शाहजहाँ के खिलाफ दर्ज मामलों की जाँच पश्चिम बंगाल आपराधिक जाँच विभाग (सीआईडी) को सौंपी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम उनके (शाहजहाँ शेख के) खिलाफ मामलों की जाँच करेंगे। उन्हें पूछताछ के लिए भवानी भवन (बंगाल पुलिस मुख्यालय) लाया गया है।”

शाहजहाँ को 5 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले से संबंधित दो मामलों में गिरफ्तार किया गया है। ये अधिकारी राशन घोटाले के संबंध जाँच के लिए उसके आवास पर गए थे। इसी दौरान उन पर हमला हुआ था। अधिकारियों ने बताया, “उस पर 147 (दंगा) और 307 (हत्या का प्रयास) सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।”

बता दें कि राज्य की सीआईडी ​​रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकार संटू पान के खिलाफ भी एक मामले की जाँच कर रही है। उन्हें 19 फरवरी को शाहजहाँ शेख के खिलाफ रिपोर्टिंग के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि, 22 फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट के अनुसार, रिपोर्टर संटू पान के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं किया गया है।

कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार की कड़ी आलोचना की और पूछा, “इस एफआईआर को रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए?” इसमें कहा गया, “पुलिस अधिकारियों के लिए खेद है। आप असली दोषियों को नहीं पकड़ पाए हैं। आप एक निर्दोष पत्रकार के पीछे पड़े हैं, जबकि जो लोग पकड़े नहीं गए वे कानून का मखौल उड़ा रहे हैं। आप अपनी सारी ऊर्जा इस निर्दोष पत्रकार के पीछे लगाना चाहते हैं।”

इसके अलावा, एबीपी आनंद के कार्यकारी उपाध्यक्ष सुमन डे को भी राज्य की सीआईडी ने कथित तौर पर आम ग्रामीणों को भड़काने के लिए तलब किया था। हालाँकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 26 फरवरी 2024 को इस पत्रकार के खिलाफ एफआईआर और सभी कार्रवाई पर रोक लगा दी और कहा कि रिपोर्टिंग की गलती में वास्तविक अपराध नहीं बनता।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया