शिमला की अवैध संजौली मस्जिद को तोड़ने का काम फिर एक बार रुक गया है। मस्जिद कमिटी के मुखिया ने तोड़ने का काम चालू करने के बाद रोकने को लेकर पैसे की कमी का हवाला दिया है। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय संगठनों ने बिना पैसे लिए ही अवैध ढाँचा तोड़ने के लिए कारसेवा का ऑफ़र दिया है।
संजौली की अवैध मस्जिद तोड़ने का काम सोमवार (21 अक्टूबर, 2024) से चालू हुआ था। इस दौरान मस्जिद की छत हटाई जा रही थी लेकिन यह काम अब अधर में लटक गया है। मंगलवार आते-आते यह काम ठप ही हो गया। मंगलवार को मात्र दो-तीन मजदूर ही मस्जिद तोड़ने का काम करते दिखे जो कि इसके आकार के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।
इसके बाद मस्जिद तोड़ने का यह काम पूरी तरीके से रुक गया। मस्जिद कमिटी के मुखिया मोहम्मद लतीफ़ ने इस बारे में पूछे जाने पर मीडिया को बताया कि उन्होंने पैसे की कमी के चलते यह काम रोका है। उन्होंने कहा कि जब फिर से फंड इकट्ठा हो जाएगा तो मस्जिद को तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।
मोहम्मद लतीफ़ ने कहा कि जब मस्जिद का अवैध निर्माण किया जा रहा था तब सभी मुस्लिम आगे बढ़ चढ़ कर पैसा दे रहे थे लेकिन जब इस अवैध निर्माण को तोड़ने का काम चालू हुआ तो कोई भी पैसा देने को तैयार नहीं है। मोहम्मद लतीफ़ ने कहा है कि मस्जिद तोड़ने में ₹10-15 लाख का खर्च आने वाला है। उन्होंने मजदूरों की कमी भी एक कारण बताया है।
वहीं अवैध ढाँचा गिराने के लिए पैसे की कमी वाली बात पर हिमाचल के संगठन भी आगे आए हैं। हिमाचल प्रदेश में अवैध मस्जिदों को लेकर आंदोलन कर रहे संगठनों ने बिना पैसे लिए मस्जिद तोड़ने का ऑफर दिया है। देवभूमि संघर्ष समिति के लोगों ने कहा है कि मस्जिद तोड़ने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
संजौली सिविल सोसायटी ने कहा है कि यदि मस्जिद कमिटी के पास पैसे की कमी है तो वह सहयोग देने को तैयार हैं। कमिटी ने कहा कि वह मस्जिद तोड़ने के लिए कारसेवा करेंगे और इसके लिए कोई पैसा भी नहीं लेंगे। उन्होंने यहाँ तक कहा कि वह इसे तोड़ने के दौरान खाना भी घर से ही लाएँगे।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि मस्जिद कमिटी नगर निगम कोर्ट के आदेश का सही से पालन नहीं कर रही है। उन्होंने इसको लेकर चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा है कि हाई कोर्ट ने भी मस्जिद को लेकर जल्द निर्णय की बात कही है।
हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी यही ऑफर दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि मस्जिद कमिटी उनसे मिलने आती है तो वह आर्थिक सहयोग और श्रमदान दोनों ही देंगे। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस सबकी मदद करने के लिए ही जानी जाती है और वह इस मामले में भी मदद देंगे। हिमाचल सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी निगम से सहायता लेने की बात कही थी।
गौरतलब है कि मस्जिद तोड़ने का आदेश मस्जिद कमिटी के आवेदन पर ही दिया था। इस मस्जिद का निर्माण 2010 से हो रहा था। तब से लगातार नगर निगम शिमला इसे नोटिस भेज रहा था लेकिन इसका निर्माण नहीं रोका गया और पाँच मंजिले खड़ी कर दी गईं। सितम्बर, 2024 में मस्जिद को लेकर विवाद चालू होने से पहले तक इस मस्जिद को 38 नोटिस भेजे जा चुके थे।
जब सितम्बर, 2024 में एक स्थानीय युवक के साथ मारपीट की खबर के बाद संजौली मस्जिद के विरुद्ध प्रदर्शन चालू हुए तो सब पिटारा बाहर आया। इसके बाद मस्जिद कमिटी ने विरोध प्रदर्शन बढ़ता देख इसे गिराने की बात कह दी। इसको लेकर उन्होंने खुद ही आवेदन दिया।
संजौली मस्जिद को जल्दी गिराए जाने को लेकर मुस्लिमों में दो फाड़ भी हो चुका है। 9 अक्टूबर, 2024 को मुस्लिमों के एक संगठन ने बैठक कर मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कही थी। हालाँकि, संजौली मस्जिद कमिटी ने ऐसी किसी बात से इनकार किया था।