खून से लथपथ बेटे का हाथ जोड़े वीडियो भूल नहीं पातीं श्याम सुंदर निषाद की माँ, हरिओम मिश्रा की माँ कहती हैं – इससे अच्छा गोली ही मार देते

श्याम सुंदर निषाद की माँ (बाएँ), हरिओम मिश्रा की माँ (दाएँ)

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ की हिंसा में जो लोग मारे गए थे, उनमें हरिओम मिश्रा और श्याम सुंदर निषाद भी हैं। ये दो ऐसे नाम हैं, जिनके बारे मेनस्ट्रीम मीडिया में ज्यादा कुछ नहीं आया और इनके छोटे किसान होने के बावजूद राकेश टिकैत जैसे नेताओं ने इनके लिए आवाज़ नहीं उठाई। लेकिन, दो परिवारों ने अपने इकलौते कमाऊ पूत खो दिए। दो माँओं के आँचल से उनके लाल छिन गए।

खून से लथपथ, हाथ जोड़े श्याम सुंदर निषाद: वीडियो भूल नहीं पाती हैं माँ

सबसे पहले बात करते करते हैं श्याम सुंदर निषाद की। उनका वीडियो आप सब ने देखा होगा। उनकी पत्नी उस वीडियो को नहीं देख पा रहीं। ये उनके अंतिम समय का वीडियो है, जब वो ‘किसान आंदोलनकारियों’ से अपने जान की भीख माँग रहे हैं। सोचिए, उस माँ पर क्या बीत रही होगी जिसने इस तरह अपने बेटे का वीडियो देखा होगा जिसमें वो खून से लथपथ हाथ जोड़े मिन्नतें कर रहे और हत्यारे उनकी पिटाई कर रहे हैं।

श्याम सुंदर निषाद की माँ का नाम फूलमती है। बेटे के बारे में बात शुरू होते ही वो फूट-फूट कर रोने लगीं। फिर वो बताती हैं कि कैसे उनके बेटे के शरीर से लगातार खून बह रहा था और लाठी-डंडे चल रहे थे। फिर वो बताती हैं कि कैसे हिंसा करने वाले उनसे जबरन कहवा रहे हैं कि मंत्री ने उन्हें किसानों को कुचलने के लिए भेजा है, जबकि वो बार-बार इनकार कर रहे हैं। वीडियो इतना तक ही था।

फूलमती कहती हैं कि इसके बाद वो कुछ नहीं देख पाईं क्योंकि वीडियो आना बंद हो गया। वो बार-बार सिर्फ उसी वीडियो को याद करती हैं, जिसमें खून से लथपथ श्याम सुंदर निषाद हाथ जोड़ कर जान की भीख माँग रहे हैं। वो याद करती हैं कि कैसे उनके बेटे पर लाठी-डंडों और तलवार से हाथ-पाँव तोड़ दिए गए और वो बार-बार कहते रहे कि मंत्री ने उन्हें नहीं भेजा है। वो कई बार इस वीडियो की बात करती हैं, इसे भूल नहीं पातीं।

वो कहती हैं कि सब ने वीडियो देखा है, उसमें जो लोग उन्हें मार रहे हैं वही तो हत्यारे हैं। वो कहती हैं, “मेरा बेटा हाथ जोड़ कर जान की भीख माँग रहा। हल्ला-गुल्ला मचा हुआ है। वीडियो में हमने देखा है। वीडियो तो सबने देखा है। टीवी पर भी आया है। वो कहते रहे कि वो स्वागत के लिए (उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के) जा रहे थे। मेरे बेटे को बहुत दर्द दिया है। वो खुशामद करते थे, उन्होंने नहीं छोड़ा। सिर से खून चल रहा। हाथ खून से रंगे हुए हैं।”

हरिओम मिश्रा: बेटे की मौत को माँ ने कर लिया है कबूल, लेकिन जिस तरह से मरे…

ये श्याम सुंदर निषाद की माँ की पीड़ा थी। अब बात करते हैं हरिओम मिश्रा की। उनकी माँ कहती हैं कि उनका परिवार भी तो किसान है, कृषि के अलावा उनके पास और है क्या? उन्होंने अपने मन को मना लिया है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। लेकिन, जिस तरीके से हत्या हुई उसे वो नहीं भूल पा रहीं। वो कहती हैं कि गोली मार देते, गर्दन दबा देते, लेकिन उन्हें तलवार और भाला भोंका गया है, तब भी कोई सबूत नहीं मिल रहा कि क्या हुआ।

वो कहती हैं कि वो तो भला एक माँ हैं जिन्होंने अपना बेटा खोया है, लेकिन हरिओम मिश्रा के लिए तो पूरा गाँव रो रहा है। वो बताती हैं कि कैसे किसी को विश्वास तक नहीं होता कि हरिओम चला गया। वो कहती हैं, “मेरा बेटा कहता था कि माँ हम तो मजदूर हैं, जहाँ थोड़े पैसे मिल जाते हैं वहाँ रहते हैं। बच्चे तक उनसे प्रेम करते थे। ‘हरिओम चाचू’ कहते थे। उसके लिए सब लोग रो रहे हैं। उसके लिए सब दुःखी हैं।”

बता दें कि हरिओम मिश्रा के घर की हालत देख कर ऐसा लगता है, जैसे ये कोई पुराना गोदाम हो जो वर्षों से खाली पड़ा हो। ऊपर एलवेस्टर की छत है। घर पर लत्तियाँ और झाड़ियाँ उगी हुई हैं। टीन के दरवाजे हैं। अंदर जाने पर हरिओम मिश्रा के भाई अपने पिता को कपड़े पहनाते हुए मिलते हैं। बीमार और वृद्ध पिता उठ-बैठ भी नहीं सकते। उन्हें शौच कराने से लेकर उनकी सेवा के अधिकर कार्य हरिओम खुद करते थे।

(ये ग्राउंड रिपोर्ट ऑपइंडिया के लिए आदित्य राज भारद्वाज ने कवर की है)

Aditya Raj Bhardwaj: I play computer games take photos and ride big bikes.