सावधान: सोशल मीडिया पर कोरोना संबंधी अफवाह फैलाया तो… 6 महीने के लिए जाएँगे जेल

कोरोना वायरस पर अफवाहें फैलाने पर हो सकती है 6 महीने की जेल (प्रतीकात्मक तस्वीर)

महामारी घोषित हो चुके कोरोना वायरस का कहर दुनिया भर में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया भर के साढ़े तीन लाख से ज्यादा नागरिक आ चुके हैं। इनमें से 16491 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 1 लाख 337 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 11204 की हालत बेहद गंभीर है। एहतियात के तौर पर भारत सहित विश्व के कई देशों ने बड़े हिस्सों में लॉकडाउन कर दिया है, इस वजह से करीब 100 करोड़ लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं।

वहीं भारत की बात करें तो यहाँ कोरोना के 451 मामले सामने आए हैं। 9 लोगों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है। भारत में अभी यह महामारी सिर्फ दूसरे चरण तक पहुँची है। भारत सरकार यह कोशिश है कि यह तीसरे चरण यानी कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन तक न पहुँचे। भारत की सरकार पूरी ताकत के साथ कोरोना वायरस के साथ जंग लड़ रही है।

सरकार इससे निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, देश भर में चिकित्सा सेवाएँ तेज कर दी गई है। जगह जगह अस्पतालों में इसके लिए आइसोलेश वार्ड बनाए गए हैं। इस बीच इसको लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म है। सोशल मीडिया से लेकर प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के माध्यम से बिना किसी आधार के, बिना किसी पुष्टि के कई अफवाहें फैलाई जा रही है। जिसकी वजह से जनता के मन में काफी संशय पैदा हो रहा है और इस घातक बीमारी पर नियंत्रण करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है, क्योंकि इस बीमारी से निपटना जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं है। 

इस मामले को उड़ीसा, असम, महाराष्ट्र और गुजरात समेत लगभग सभी राज्यों ने गंभीरता से लिया है और एक विज्ञप्ति जारी किया। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, संस्था या संगठन कोरोना वायरस से संबंधित कोई भी जानकारी बिना तथ्य का पता लगाए या फिर DMET, DPH, DHS या कलेक्टर की पूर्व मंजूरी के बिना प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया पर नहीं डालेगा। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है, तो उसे दंडनीय अपराध माना जाएगा और उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इस धारा के तहत 6 महीने की जेल हो सकती है। एडवाइजरी में कहा गया है कि ऐसा करना इसलिए आवश्यक है ताकि कोरोना को लेकर अनौपचारिक जानकारी और तेजी से फैल रही अफवाहों पर विराम लगाया जा सके, उसे रोका जा सके।

आगे विज्ञप्ति में कहा गया है कि किसी भी निजी प्रयोगशालाओं को कोरोना वायरस के परीक्षण की अनुमति नहीं है। कोरोना वायरस का परीक्षण करने के इच्छुक निजी स्वास्थ्य संस्थानों को राज्य IDSP इकाई के माध्यम से अपने परीक्षण नमूने भेजने होंगे। इसके बाद राज्य IDSP इकाई भारतीय स्टेट काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा जारी गाइडलाइन के हिसाब से परीक्षण की व्यवस्था करेगी। 

इसके साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति ने पिछले 14 दिनों में ऐसे किसी देश की यात्रा की है, जहाँ पर कोरोना वायरस के केस पाए गए हैं, तो उसे स्वेच्छा से राज्य नियंत्रण कक्ष, राज्य निगरानी अधिकारी, IDSP या फिर टोल फ्री नंबर 104 पर रिपोर्ट करना चाहिए, ताकि  DMET, DPH, DHS और कलेक्टर द्वारा माले पर संज्ञान लिया जा सके।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया