‘पहले कानूनों को निरस्त करें, फिर करेंगे बात’: सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से भी किसान संगठनों ने बनाई दूरी

कृषि कानूनों को लागू करने पर SC ने लगाई रोक

तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों का अड़ियल रवैया केंद्र सरकार के साथ बातचीत में भी कई बार सामने आ चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले भी उन्होंने अपने इसी रवैए का प्रदर्शन किया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सोमवार शाम किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की जाने वाली समिति से बातचीत करने से इनकार कर दिया। इससे पहले शीर्ष अदालत ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक के संकेत दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि अगर उसने कृषि कानूनों पर रोक नहीं लगाई, तो उसे खुद ये काम करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। इन याचिकाओं पर CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले से निपटने के सरकार के तौर-तरीकों से निराश है। पूरे मामले पर कोर्ट अपना फैसला मंगलवार (12 जनवरी 2020) को सुना सकता है।

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से अदालत में हलफनामा दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि कृषि कानूनों को उन्होंने जल्दबाजी में नहीं बनाया, बल्कि यह दो दशकों से हो रहे विचार-विमर्श का परिणाम है। हलफनामे में इस बात का भी जिक्र है कि नए कानूनों से देश के किसान खुश हैं, क्योंकि इसमें उन्हें विकल्प दिए गए हैं। साथ ही केंद्र ने यह भी कहा है कि उसने अपनी ओर से किसानों से जुड़ने का पूरा प्रयास किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि वो इन कृषि कानूनों पर रोक क्यों नहीं लगा रहे? उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार जिम्मेदारी दिखाते हुए इसे रोकने का आश्वासन देती है तो सुप्रीम कोर्ट एक समिति बना कर इसे देखने को कहेगा। तब तक इसे रोक कर रखा जाए।

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लेकिन, अब मीडिया खबरों के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार देर शाम एक बयान जारी करके ऐलान किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किसी कमेटी से भी बात नहीं करेगा। मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि उसे कृषि कानूनों को वापस लेने से कम कोई शर्त मँजूर नहीं है और कानूनों की वापसी से पहले उसे किसी बातचीत में दिलचस्पी नहीं है।

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बयान में संगठन की ओर कहा गया, “हम सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त होने वाली कमेटी की किसी कार्यवाही में शामिल होना नहीं चाहते। पहले कानूनों को निरस्त कीजिए, फिर हम बात करेंगे।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया