मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से मिली 5 दिन की बेल, ट्वीट करने पर पाबंदी: फिर भी पुलिस के पास ही रहेगा, जानिए क्यों

मोहम्मद जुबैर (फोटो साभार: मीडियानामा)

प्रोपगेंडा वेबसाइट AltNews के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (8 जुलाई 2022) को सुनवाई की। दोनों पक्षों के तर्क को सुनने के बाद कोर्ट ने जुबैर को अंतरिम जमानत दे दी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी के बेंच ने ज़ुबैर को सीतापुर मामले में शर्तों के साथ पाँच दिन की बेल दी है। इस दौरान ज़ुबैर को ट्वीट करने और दिल्ली छोड़ने पर पाबंदी लगाई गई है। वहीं, जमानत मिलने के बाद भी मोहम्मद जुबैर भी पुलिस की हिरासत में ही रहेगा।

जुबैर ने अदालत में कहा कि उसकी जान को खतरा है। उसे इंटरनेट पर जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। उनसे यूपी पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को रद्द करने की भी माँग की थी। बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिट पिटिशन को 13 जून को खारिज कर दिया था।

जुबैर ने अपनी याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने हिंदुओं के खिलाफ अपमानजनक एक ट्वीट के लिए यूपी पुलिस (UP Police) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था। यूपी पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में यह भी कहा है कि जुबैर ने तीन हिंदू संतों को ‘घृणा फैलाने वाले’ कहा था।

बहस के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कल (7 जुलाई 2022) को जुबैर के वकील ने कहा कि उसकी जान को खतरा है। वह न्यायिक रिमांड में है, उसकी जमानत सीतापुर अदालत ने खारिज कर दी थी और उसे रिमांड पर भेज दिया गया था। इस तथ्य का खुलासा उन्होंने शीर्ष अदालत में नहीं किया था। उन्होंने तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है।

एसजी मेहता ने कहा, “तथ्यों को छिपाने के इस तरह के आचरण को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। वह इस अदालत को यह बताए बिना कि सीतापुर अदालत ने कल उसकी जमानत खारिज कर दी थी, वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत माँग रहा है।”

इस पर जुबैर की ओर से कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिका में लिखा गया था कि सीतापुर पुलिस जुबैर की पुलिस हिरासत की माँग कर रही है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में चुनौती दिए गए आदेश इलाहाबाद उच्च न्यायालय का है। उन्होंने कहा कि एक ट्वीट के आधार पर आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज किया जा सकता।

गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि जुबैर ने अपने ट्वीट में किसी धर्म का नाम नहीं लिया है। उसने सिर्फ घृणा फैलाने वाले लोगों के बारे में कहा है। वह एक सेक्युलर है, फिर भी जेल में है। गोंजाल्विस ने कहा कि जिन्होंने घृणा फैलाई वे आज जेल से बाहर हैं, जुबैर आज जेल में है। उन्होंने AltNews को प्रतिष्ठित और घृणा फैलाने वालों का पता लगाने वाला बताया।

बता देें कि जुबैर के खिलाफ IPC की धारी 295A (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करना) और IT एक्ट की धारा-67 के तहत केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जुबैर को 27 जून को एक ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया