‘हमें ऐसा समाज नहीं चाहिए…’: बेंगलुरु दंगों में मोहम्मद कलीम को बेल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

बेंगलुरु दंगों के आरोपित मोहम्मद कलीम की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की (प्रतीकात्मक चित्र)

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के बेंगलुरु दंगों के आरोपित मोहम्मद कलीम की जमानत याचिका 28 फरवरी 2022 को खारिज कर दी। हाई कोर्ट द्वारा स्पेशल कोर्ट का फैसला बरकरार रखे जाने के बाद उसने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने उसकी याचिका पर सुनवाई की। आरोपित कलीम की तरफ से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने बहस की। उन्होंने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच को बताया कि मोहम्मद कलीम का नाम मूल FIR में दर्ज नहीं था। NIA की जाँच के दौरान उसका नाम जोड़ा गया।

एडवोकेट लूथरा ने आगे कहा, “कलीम 68 साल का है। वह जेल में 14 महीने बिता चुका है। आरोपित के खिलाफ अभी तक चार्जशीट भी नहीं लगी है।” इस सुनवाई में एडवोकेट गौरव अग्रवाल दंगों के 5 आरोपितों की तरफ से पेश हुए। इन आरोपितों के नाम आसिफ, बिलाल, आतिफ, इकरामुद्दीन और पाशा हैं। एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कोर्ट से कहा, “इस केस की जाँच पूरी हो चुकी है। साथ ही आरोपित 16 महीने से कस्टडी में हैं।” दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते। यहाँ UAPA का आरोप है और सार्वजानिक सम्पत्ति का नुकसान हुआ है।”

इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि मोबाइल लोकेशन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूत साबित करते हैं कि आरोपित घटनास्थल पर थे। उन्होंने सरकारी और निजी सम्पत्तियो को नुकसान पहुँचाया और धारा 144 का उल्लंघन किया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऑन ड्यूटी पुलिसकर्मियों पर हमला जनता के बीच भय पैदा करने के इरादे से किया गया।

2020 का बेंगलुरु दंगा

11 अगस्त 2020 में दंगाइयों की एक भीड़ ने एक फेसबुक पोस्ट को लेकर बवाल किया था। कथित तौर पर इस पोस्ट में पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया गया था। इस पोस्ट को कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवासा मूर्ति के भतीजे ने शेयर किया था। इस दौरान लगभग 200 से 300 दंगाइयों की भीड़ ने कॉन्ग्रेस विधायक के घर में तोड़फोड़ की थी। साथ ही पुलिस वाहनों को भी आग लगा दी थी। 2 थानों पर पथराव भी किया गया।

इस घटना की जाँच कर रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने सितम्बर 2020 में घटना में बच गए कुछ हिन्दुओं के मामले प्रकाशित किए थे। इसके निष्कर्ष के मुताबिक हिन्दुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। उनके घरों और वाहनों को निशाना बनाया गया। दंगे के दौरान 80 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। बेंगलुरु पुलिस ने 300 से ज्यादा आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में कुल 64 आपराधिक केस दर्ज हुए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया