लॉकडाउन में कैसे जुटी भीड़? पालघर मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से माँगी रिपोर्ट

पालघर मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से माँगी रिपोर्ट

पालघर में दो संतों और उनके ड्राइवर की निर्मम हत्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस से रिपोर्ट मॉंगी है।16 अप्रैल की रात इनकी भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना की सीबीआई जॉंच और शीर्ष शीर्ष अदालत की निगरानी एसआईटी गठन या फिर न्यायिक आयोग बनाने की मॉंग को लेकर दाखिल याचिका पर सु्प्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सीआईडी ​​द्वारा हो रही फिलहाल की जाँच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता से महाराष्ट्र सरकार के वकील को दलीलों की एक कॉपी सौंपने के लिए कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जाँच से संबंधित रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।

जस्टिस अशोक भूषण और संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की स्थिति के बारे में जानना चाहती है। अदालत ने यह भी पूछा कि अधिकारियों ने लॉकडाउन के दौरान भीड़ को कैसे इकट्ठा होने दिया।

दलील में कहा, “जब पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी था और किसी भी व्यक्ति को अपने घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। सभी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा गया था, इसके वावजूद इतनी बड़ी घटना घटित होना स्थानीय पुलिस को संदेह के घेरे में खड़ा करती है।”

याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा ने अपने वकील राशि बंसल के माध्यम से दायर याचिका में माँग की है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में एसआईटी का गठन करे या फिर शीर्ष अदालत के रिटार्यड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया जाए। याचिका में सीबीआई जाँच की भी माँग की गई है।

याचिका में संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ घटना को न रोक पाने के लिए एफआईआर दर्ज करने की भी माँग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए भीड़ का इकट्ठा होना पुलिस के स्तर पर बड़ी विफलता है। याचिकाकर्ता ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि
पुलिस स्वयं इस घटना में उलझी हुई थी, जैसा कि पुलिस ने घटना को रोकने के लिए बल प्रयोग नहीं किया था।

याचिका में आरोप लगाया गया कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसमें पुलिस की भागीदारी भी हो सकती है। साथ ही याचिका में अदालत से मामले को पालघर से दिल्ली के फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर करने की माँग की गई है।

आपको बता दें कि 16 अप्रैल 2020 को जूना अखाड़े से जुड़े दो साधु 70 वर्षीय कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 वर्षीय सुशील गिरि महाराज अपने ड्राइवर 30 वर्षीय नीलेश तेलगुदेवे के साथ एक अन्य साधु के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से गुजरात जा रहे थे। इसी बीच पालघर जिले के गढ़चिंचले गाँव के पास 100 से अधिक लोगों की भीड़ ने उन पर हमला किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया