गले का निशान तिरछा क्यों नहीं? Ligature strangulation क्यों खारिज? निशान कुर्ता से क्यों? AIIMS के डॉक्टरों के सवाल

सुशांत सिंह राजपूत के गले पर बने निशान को लेकर उठे सवाल (फाइल फोटो)

मृत्यु के बाद सुशांत सिंह राजपूत की गर्दन पर दिखे निशान को लेकर हो रही चर्चा अब सीबीआई जाँच तक पहुँच गई है। AIIMS के डॉक्टरों की टीम ने इस सम्बन्ध में कूपर हॉस्पिटल के उन डॉक्टरों से जवाब माँगा है, जिन्होंने सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमॉर्टम किया था। एम्स के तीन डॉक्टरों की टीम ने कूपर हॉस्पिटल के डॉक्टरों से पूछताछ की। एम्स के डॉक्टरों ने इस दौरान सुशांत के गले में बने निशान को लेकर भी सवाल दागे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सवाल यहाँ अटका हुआ है कि सुशांत के गले में दिखे जख्म के निशान उनके गले के बीच में थी और एकदम सीधी रेखा की तरह दिखाई दे रही थी। जबकि अगर कोई व्यक्ति इस तरह से आत्महत्या करता है तो ये निशान तिरछा बनता है और गर्दन के ऊपर होता है। साथ ही ये खरोंच की तरह भी दिखता है। एम्स के 3 डॉक्टरों की टीम ने सुशांत का पोस्टमॉर्टम करने वाली 5 डॉक्टरों की टीम से इस बाबत सवाल-जवाब किया।

साथ ही ये सवाल भी पूछा गया कि पोस्टमॉर्टम में Ligature strangulation की आशंका को कैसे ख़ारिज कर दिया गया? साथ ही गले पर के निशान कुर्ता से कैसे पैदा हो सकते हैं, ये भी पूछा गया। बताया गया था कि सुशांत सिंह राजपूत ने कुर्ते को ही फाँसी का फंदा बना कर आत्महत्या की थी। कई तथ्यों के आधार पर इसे हत्या कहा जा रहा है, इसे नकारने के लिए कूपर हॉस्पिटल के डॉक्टरों के पास क्या सबूत हैं, ये भी पूछा गया।

एम्स के डॉक्टर टी मिल्लव, डॉ आदर्श कुमार और डॉ अभिषेक यादव मुंबई में पोस्टमॉर्टम से जुड़े तथ्यों की तहकीकात करने के लिए मुंबई पहुँचे हुए हैं। इन डॉक्टरों को घटनास्थल और पोस्टमॉर्टम वाली जगह पर जाने का अधिकार दिया गया है। इन्होंने मॉर्चरी के कर्मचारियों से भी पूछताछ की है। 3 दिन मुंबई में रह कर जाँच करने के दौरान क्या निकला, इस बारे में उन्होंने आधिकारिक रूप से कुछ सार्वजनिक नहीं किया है।

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला बॉलीवुड और भारत से निकल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रहा है। ब्रिटेन में मल्टीप्लेक्सों के सामने सितम्बर 14, 2020 को बड़े विरोध-प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। प्रदर्शन की तैयारी कर रहे लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में ऐसा कर वे बॉलीवुड को सन्देश देना चाहते हैं कि वो जनता ही है, जिसने उन लोगों को यहाँ तक पहुँचाया है। बॉलीवुड के लोग भगवान नहीं हैं, ये उन्हें याद रखना चाहिए। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया