डॉक्टरों की नहीं सुनी, कोरोना संक्रमित पिता का निकाला जनाजा: 200 लोग हुए क्वारंटाइन

प्रतीकात्मक तस्वीर

कुछ समय पहले दुबई से लौटे 70 वर्षीय व्यक्ति एक व्यक्ति की मौत की खबर चेन्नई से आई थी। उन्हें 2 अप्रैल को स्टैन्ली मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया और 2 घंटे बाद मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने इस बीच कोविड-19 की जाँच के लिए उनका सैंपल लिया और शव परिजनों को सौंप दिया। परिवारवालों से डॉक्टरों ने कहा कि मृतक कोरोना संक्रमित हो सकते हैं इसलिए तय दिशा-निर्देशों के तहत ही उनका दाह संस्कार करें।

बावजूद इसके मृतक के परिवार ने लोगों को इकट्ठा कर जनाजा निकाला। डॉक्टरों की सलाह नकारते हुए सभी रिवाज़ पूरे किए। 4 मार्च को जब मृतक की रिपोर्ट आई तो पता चला की वे कोरोना पॉजिटिव थे। इसके बाद उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का इल्जाम लगा दिया। अस्पताल प्रशासन ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि इस संबंध में मृतक के बच्चों को सब अच्छे से समझाया था।

अब इस मामले में पुलिस ने मृतक के दो बेटों पर मामला दर्ज किया है। न्यू इंडियन एक्प्रेस के मुताबिक, कीलाकरई पुलिस ने मृतक के दो बेटों को “सच्चाई दबाने” के लिए हिरासत में लिया है। इन पर महामारी रोग अधिनियम, तमिलनाडु सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल ने शव WHO प्रोटोकॉल के तहत सील बॉडी बैग में सौंपा था। लेकिन मृतक के बेटों ने इसकी अनदेखी करते हुए बैग से शव निकाल स्नान कराया। लोगों को जुटाकर जनाजा निकाला और पूरे रीति-रिवाज के साथ शव को दफनाया।

कीलाकरई गाँव के प्रशासनिक ऑफिसर मरिमुत्थु ने सोमवार को कीलाकरई पुलिस थाने में इन दोनों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया। दोनों भाइयों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार इस प्रकार किया जिससे कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता था। दोनों के ख़िलाफ़ सच्चाई छिपाई के मामले में केस दर्ज हुआ है। रामनाथपुरम के एसपी वी. वरुण कुमार ने बताया कि मृतक को कोरोना वायरस वाले वार्ड में भर्ती किया गया था और उन्हें कोरोना संदिग्ध बताया गया था।

मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने उनसे जानकारी छिपाई। इसलिए उन्होंने शव को दफनाते हुए कोई एहतियात नहीं बरता। जानकारी के अनुसार, मृतक के शव को उसी दिन एंबुलेंस से ले जाया गया था और अगले दिन करीब 10 बजे उन्हें दफना दिया गया। बताया जा रहा है कि जनाजे में रामनाथपुरम के विधायक और पूर्व मंत्री एम मणिकंदन सहित कई लोग शामिल हुए थे। इसे देखते हुए करीब 200 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। इसकी सूचना राज्य की स्वास्थ्य सचिव बीला राजेश ने मंगलवार को दी।

सारी स्थिति साफ होने के बाद परिजन अब भी दावा कर रहे हैं कि अस्पताल में न तो उन्हें उनके पिता के कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी गई और न ही उनका सैंपल लिया गया। इसके अलावा उनका कहना है कि शव भी उन्हें एक हरे कपड़े में मिला। उनके मुताबिक शनिवार को जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो इसकी सूचना उन्हें दी गई। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों के सभी इल्जामों को खारिज किया है। उनका कहना है कि मृतक का शव COVID-19 प्रोटोकॉल के अनुसार लपेटा गया था और चेतावनी के साथ सौंपा गया था कि वे संक्रमित हो सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया