असम में मियाँ म्यूजियम के पीछे पूर्व AAP नेता! अलकायदा से भी जुड़े तार: पुलिस ने 3 को दबोचा, संग्रहालय को सील कर चुकी है सरमा सरकार

मियाँ म्यूजियम (फोटो साभार: ANI)

असम में सील किए गए ‘मियाँ संग्रहालय’ संग्रहालय ने ना सिर्फ भूमि और संपत्ति कानूनों का उल्लंघन किया है, बल्कि इससे जुड़े सदस्यों के लिंक आतंकी संगठनों से भी जुड़े मिले हैं। ‘असम मियाँ परिषद’ के अध्यक्ष और महासचिव सहित तीन लोगों को भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (AQIS) और अंसारुल बांग्ला टीम (ABT) के साथ लिंक के लिए गिरफ्तार किया गया है।

असम के गोलपारा जिले के दपकाभिता में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत आवंटित एक घर में विवादास्पद ‘मियाँ संग्रहालय’ का खुलासा हुआ था। इसे 25 अक्टूबर 2022 को प्रशासन ने सील कर दिया था। इसके बाद मियाँ परिषद मामले का खुलासा हुआ है।

मियाँ परिषद के अध्यक्ष एम मोहर अली को गोलपाड़़ा जिले के दपकाभिता में संग्रहालय से पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मोहर अली संग्रहालय को खोलने के लिए अपने दो नाबालिग बेटों के साथ धरने पर बैठा था। मोहर एक निलंबित सरकारी स्कूल शिक्षक है। वहीं, इसके महासचिव अब्दुल बातेन शेख को मंगलवार (25 अक्टूबर 2022) की रात को धुबरी जिले के आलमगंज स्थित उसके आवास से हिरासत में लिया गया।

इसके अलावा तीसरा आरोपित तनु धादुमिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) का पूर्व नेता और अहोम रॉयल सोसाइटी का सदस्य तनु ने 23 अक्टूबर 2022 को संग्रहालय का उद्घाटन किया था। पुलिस ने डिब्रूगढ़ के कावामारी गाँव स्थित आवास से तनु को हिरासत में लिया है। उधर AAP का कहना है कि तनु को पार्टी से निकाल दिया गया है।

इन तीनों को हिरासत में लेने के बाद पूछताछ के बाद घोगरापार थाने में लाया गया है, जहाँ उनसे पूछताछ की जा रही है। तीनों पर आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

हिरासत में लिए गए तीन लोगों के नाम हाल ही में गिरफ्तार किए गए कुछ कट्टरपंथियों से पूछताछ के दौरान सामने आए हैं। नलबाड़ी के पुलिस अधीक्षक फणींद्र कुमार नाथ ने कहा, ”इस महीने की शुरुआत में हमने तीन जिहादियों- जुबैर हुसैन, अबू रेहान और हाबेल अली को गिरफ्तार किया था, जिनके एक्यूआईएस और एबीटी से संबंध थे। वे सभी, जो अब भी हमारी हिरासत में हैं, ने पूछताछ के दौरान कहा था कि मिया संग्रहालय की स्थापना में उनका कुछ योगदान था।”

संग्रहालय को सील करने की कार्रवाई से एक दिन पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संग्रहालय की फंडिंग पर सवाल उठाया था। सरमा ने कहा था, “मुझे समझ में नहीं आता कि यह किस तरह का संग्रहालय है। संग्रहालय में उन्होंने जो हल रखा है, उसका उपयोग असमिया लोग करते हैं। यहाँ तक कि मछली पकड़ने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ भी असमिया समुदाय से हैं। ‘लुंगी’ को छोड़कर वहाँ रखी गई हर चीज असमिया लोगों की है। उन्हें यह साबित करना होगा कि नंगोल (हल) का उपयोग केवल मियाँ लोग करते हैं, अन्य नहीं। अन्यथा, मामला दर्ज किया जाएगा।”

सरमा ने कहा, “संग्रहालय में केवल पारंपरिक वस्तुएँ हैं जो पूरे असमिया समाज की संस्कृति को दर्शाती हैं न कि मियाँ समुदाय की। राज्य के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए। जब मैंने मियाँ शायरी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने मुझे सांप्रदायिक कहा। अब मियाँ कविता, मियाँ स्कूल, मिया संग्रहालय यहाँ हैं… सरकार कार्यालय खुलने के बाद मामले पर कार्रवाई करेगी।”

इससे पहले, राज्य में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने संग्रहालय खोलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की थी, जिन्होंने जिले में ‘प्रवासी मुसलमानों की संस्कृति’ को प्रदर्शित करने का दावा किया था। डिब्रूगढ़ के भाजपा विधायक प्रशांत फुकन संग्रहालय के खिलाफ आवाज उठाने वालों में सबसे पहले थे। उन्होंने कहा था, “मैं राज्य सरकार से इस संग्रहालय को बंद करवाने का अनुरोध करता हूँ।” भाजपा विधायक शिलादित्य देव ने भी संग्रहालय स्थापित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की थी।

रिपोर्टों के अनुसार, ‘मियाँ‘ शब्द का इस्तेमाल उन मुस्लिमों के लिए किया जाता है जो बंगाल से माइग्रेट कर गए थे और 1890 के दशक के अंत में असम में बस गए। अंग्रेजों ने उन्हें कथित तौर पर व्यावसायिक खेती के लिए खरीदा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया