हाल ही में असम के सिपाझार में हुई हिंसा में पुलिस के 11 जवान घायल हो गए। 10,000 अतिक्रमणकारियों ने पुलिस को चारों तरफ से घेर लिया और ताबड़तोड़ लाठी-डंडे व ईंट-पत्थर बरसाने लगे। इस संघर्ष में दो अतिक्रमणकारी भी मारे गए। इस घटना के पीछे PFI का हाथ होने की आशंका है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी पूछ चुके हैं कि 60 परिवारों को खाली कराना था तो 10,000 कहाँ से आ गए?
अब पता चला है कि भारत के सबसे छोटे राज्य गोवा के क्षेत्रफल का दोगुना इलाका तो असम में सिर्फ अतिक्रमण की जद में है। कुल मिला कर 49 लाख बीघा, अर्थात 6652 स्क्वायर किलोमीटर की भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। असम के जूनियर राजस्व मंत्री पल्लव लोचन दास ने इस संबंध में 2017 में जानकारी दी थी। ये क्षेत्र सिक्किम के क्षेत्रफल से कुछ ही कम है। 3172 स्कववायर किलोमीटर के जंगल की भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।
इसमें सबसे ज्यादा अतिक्रमण वैष्णव मठों का हुआ है, जिसे असम में ‘सत्र’ भी कहा जाता है। प्राचीन मंदिरों की भूमि का भी खुल कर अतिक्रमण किया गया है। दरंग जिले में जहाँ अतिक्रमणकारियों ने पुलिस पर हमला बोल था, वहाँ भी सरकारी टीम 7000 बीघा (9 स्क्वायर किलोमीटर) जमीन पर अतिक्रमण खाली कराने के लिए गई थी। हालाँकि, इसके बाद 4000 बीघा जमीन खाली कराने में पुलिस को सफलता मिली है, वो भी बिना किसी हिंसा के।
2017 में आए इन्हीं आँकड़ों के आधार पर भाजपा ने असम विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र तैयार किया था। पिछली भाजपा सरकार ने भी काजीरंगा नैशनल पार्क की जमीन पर कब्जा जमा बैठे अतिक्रमणकारियों को निकाल बाहर करने के लिए अभियान चलाया था। 15-16वीं शताब्दी के विद्वान श्रीमंत शंकरदेव से जुड़ी कई जमीनें भी अतिक्रमण की जद में थीं, जो ‘बतदराबा थान’ के हिस्से में आती हैं।
इन अतिक्रमणकारियों में अधिकतर बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जो बंगाली में बात करते हैं। असम के आदिवासियों के लिए उन्हें खतरे के रूप में देखा जाता है। 2017 में एक सरकारी पैनल की रिपोर्ट में भी आया था कि दिन-रात जमीन कब्जाने में कुछ लोग लगे हुए हैं। आदिवासी विरोध करते हैं तो उन्हें हथियारों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही कई गाँव बसा लिए गए हैं। नदी से बने द्वीपों पर भी इनका कब्ज़ा है।
https://twitter.com/knowthenation/status/1441064546857373698?ref_src=twsrc%5Etfwबता दें कि असम में 26 सत्रों (वैष्णव मठों) की 5548 बीघा जमीन को घुसपैठियों ने कब्ज़ा रखा है। एक RTI से तो यहाँ तक पता चला था कि असम का 4 लाख हेक्टेयर जंगल क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है। ये राज्य के कुल जंगल क्षेत्रों का 22% एरिया है। एक सरकारी समिति ने पाया था कि असम के 33 जिलों में से 15 में बांग्लादेशी घुसपैठिए हावी हैं। इन अतिक्रमणकारियों ने अवैध गाँव के गाँव बसा लिए हैं।
असम की सरकार ने सिपाझार हिंसा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे हैं और माँग की है कि PFI पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए। राज्य सरकार को ये भी जानकारी मिली है कि PFI के 6 लोगों ने पिछले 3 महीनों में अतिक्रमणकारियों से 28 लाख रुपयों की वसूली की है, जिसके बदले वादा किया गया कि वो अवैध कब्जे को खाली नहीं होने देंगे। जब वो ऐसा करने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने भीड़ को उकसाया।