61000 किमी की यात्रा, वीरगति प्राप्त 40 जवानों के परिजनों का बाँटा दर्द, उनके घरों की मिट्टी ले पुलवामा पहुॅंचे जाधव

वीरगति प्राप्त जवानों के घरों की मिट्टी सौंपते उमेश गोपीनाथ जाधव (साभार: एएनआई)

बीते साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हमले की पहली बरसी पर पूरा देश इन जवानों को नमन कर रहा है। पुलवामा में सीआरपीएफ के लेथपुरा कैंप में स्थित स्मारक पर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान महाराष्ट्र के उमेश गोपीनाथ जाधव विशिष्ट अतिथि थे।

अरसे से बेंगलूरू में रह रहे गोपीनाथ ने इस हमले के बाद एक संकल्प लिया था। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने करीब 61 हजार किमी की यात्रा की। पुलवामा में वीरगति पाने वाले 40 जवानों के घर गए। उनके परिजनों के साथ दर्द बॉंटा। उनके घरों की मिट्टी कलश में इकट्ठा की। शुक्रवार को यह कलश उन्होंने सेना को सौंप दी।

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गोपीनाथ ने अपनी यात्रा पिछले वर्ष 9 अप्रैल को बेंगलूरू से शुरू की थी। उनकी यात्रा को सीआरपीएफ के डीआइजी सनंद कमल ने हरी झंडी दिखाई थी। उमेश बताते हैं कि वह पुलवामा हमले वाले दिन वे अजमेर से अपने घर बेंगलूरू लौट रहे थे। जयपुर एयरपोर्ट पर लगी टीवी स्क्रीन पर उन्होंने सीआरपीएफ पर हमले की खबर देखी। इसके बाद ही उन्होंने जवानों के परिजनों के लिए कुछ करने का संकल्प लिया था।

अपनी इस यात्रा को ‘तीर्थ यात्रा’ मानने वाले जाधव ने बताया, “मुझे गर्व है कि मैंने पुलवामा में वीरगति प्राप्त करने वाले सभी जवानों के परिवार से मुलाकात की। उनका आशीर्वाद लिया। इस हमले में माता-पिता ने अपने बेटे को खो दिया, पत्नियों ने अपने पति को खो दिया, बच्चों ने अपने पिता को खो दिया, दोस्तों ने अपने दोस्तों को खो दिया। मैंने उनके घरों और उनके श्मशान घाटों से मिट्टी इकट्ठा की।” 

वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों की याद में बनाए गए स्मारक का लेथपुरा कैंप में शुक्रवार को उद्घाटन किया गया। सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक जुल्फिकार हसन ने गुरुवार को स्मारक स्थल का दौरा करने के बाद कहा था, ‘यह उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने का तरीका है जिन्होंने हमले में अपनी जान गॅंवाई।’ स्मारक में वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के नामों के साथ उनकी तस्वीरें भी हैं। साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का ध्येय वाक्य ‘सेवा और निष्ठा’ भी लिखा है। जाधव द्वारा एकत्र की गई मिट्टी को भी स्मारक पर रखा गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया