कब्र जैसी डिजाइन, कुवैती झंडा-अरबी भाषा और तिरंगे का अपमान: शमशेर और बारिक पर FIR

अलीगढ़ में कब्र की तरह बनाया गया हैंडपंप का चबूतरा (साभार: दैनिक जागरण)

अलीगढ़ के अकराबाद थाना क्षेत्र में हैंडपम्पों के साथ लगे कुवैती झंडे और अरबी भाषा में लिखी पट्टिकाओं का मामला अब तूल पकड़ रहा है। छर्रा विधायक ठाकुर रविन्द्रपाल सिंह ग्रामीणों के साथ अकराबाद थाना पहुँचकर शमशेर व बारिक अली नाम के व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। 

विधायक का मानना है कि इसके पीछे विदेशी मुल्कों की साजिश है। अवैध रूप से हैंडपम्प लगाकर जनता को गुमराह करने के मामले में राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 (राष्ट्रीय झंडे का अपमान) व आईपीसी की धारा 269 (जानलेवा बीमारी के संक्रमण) के तहत शमशेर व बारिक अली के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।

बीजेपी विधायक रविंद्र पाल सिंह ने बताया कि दुभिया और खुर्रमपुर में शमशेर उर्फ भोलू व बारिक अली ने 45 हैंडपम्प लगवाए हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों की साजिश है। इन्होंने शासन और प्रशासन की अनुमति के बगैर विदेशी झंडे के साथ हैंडपम्प लगवाए। इस देश विरोधी साजिश को लेकर क्षेत्रीय जनता में आक्रोश है। इन हैंडपम्प के पास एक शिलालेख लगाए गए हैं जिन पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन पर अरबी भाषा में लिखा है, “कुवैत शेख अब्दुला नूरी चैरिटेबल ट्रस्ट हैंडपम्प लगवा रहे हैं। कुवैत राज्य आपके पक्ष में है। शेख अब्दुला नूरी चैरिटेबल ट्रस्ट भारत के भाइयों के लाभ के लिए यह हैंडपम्प स्थापित करा रहे हैं। ट्रस्ट का मुख्यालय कुवैत है।” इन शिलालेखों पर भारतीय ध्वज के साथ कुवैती ध्वज भी लगाया है। भारतीय ध्वज में 24 तीलियों के स्थान पर केवल 8 तीलियाँ ही दिख रही हैं।

भाजपा विधायक रविंद्र पाल सिंह इसे सोची-समझी साजिश और राष्ट्रद्रोह मानते हैं। उन्होंने बताया कि हैंडपम्प के चबूतरे का डिजाइन भी कब्रनुमा है। विधायक ने यह भी कहा कि हैंडपम्प 60 फीट की गहराई पर लगाए गए हैं, जिससे गंदा पानी पीकर इलाके के लोग बीमार हो रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि मॉनसून के अलावा ये इन हैंडपम्प से पानी नहीं निकलेगा, क्योंकि इस क्षेत्र का वाटर लेवल काफी नीचे है।

अलीगढ़ के एसएसपी मुनिराज ने भी इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पुलिस इसकी जाँच की जा रही है। अभी तक यह पता चला है कि इसके लिए जिला प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया