बाबरी मस्जिद फैसले के 24 घंटे के भीतर गोरखनाथ मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी, UP पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा

गोरखनाथ मंदिर को बम से उड़ाने की मिली धमकी (साभार:अमर उजाला )

एक तरफ जहाँ बाबरी विध्वंस मामले के सभी आरोपितों को कोर्ट ने बरी कर दिया, वहीं दूसरी तरफ गोरखपुर एसएसपी को एक शख्स ने फोन करके गोरखपुर स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी दी है। जिसके बाद अधिकारियों ने आनन-फानन में मंदिर की सुरक्षा बढ़ाते हुए अलर्ट जारी कर दिया। साथ ही मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने धमकी देने वाले व्यक्ति को बांसगाँव इलाके से गिरफ्तार कर लिया है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले के आए फैसले के कुछ घंटों बाद बांसगाँव के एक युवक ने जिले के एसएसपी को फोन कर मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी दी। पुलिस ने मंदिर की चौकसी बढ़ाते हुए फोन करने वाले युवक को कुछ ही घंटों के अंदर गिरफ्तार कर लिया। बता दें गिरफ्तार शख्स एक बार पहले भी इसी प्रकार की धमकी दे चुका है। उस दौरान भी पुलिस ने उसपर शान्ति भंग करने का आरोप लगाते हुए उसे हिरासत में लिया था और मुकदमा भी दर्ज हुआ था। बताया जा रहा है कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरोपित शिवेंद्र सिंह ने 24 घंटे के अंदर मंदिर उड़ाने की धमकी पुलिस को दी थी। साथ में यह भी कहा की बचा सकते हो तो बचा लो। जिसको सुनकर पुलिस सकते में आ गई। जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। वहीं मंदिर की सुरक्षा को भी बढ़ा दिया गया।

गौरतलब है पिछली बार दिए गए धमकी को पुलिस ने हल्के में ले लिया था। और मानसिकतौर पर पीड़ित मानकर कोई सख्ती नहीं बरती थी। लेकिन दूसरी बार उसी तरह से की गई गैर जिम्मेदाराना हरकत पर पुलिस इस बार आरोपित से सख्ती बरतने के मूड में है। एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने कहा है कि कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि आज अयोध्या के बाबरी ध्वंस मामले में सीबीआई के स्पेशल जज एसके यादव ने 2000 पन्नों का जजमेंट (फैसला) दिया। इस मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में बाबरी ध्वंस साजिशन नहीं हुआ, ये पूर्व-नियोजित नहीं था। इसे संगठन ने रोकने की भी कोशिश की, लेकिन घटना अचानक घट गई। इसके साथ ही सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है।

इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और महंत नृत्य गोपाल दास उम्र और अस्वस्थता के कारण अदालत में उपस्थित नहीं थे। उमा भारती कोरोना की वजह से नहीं आ सकीं। सतीश प्रधान भी नहीं थे। हालाँकि, ये सभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फैसला सुनाने के समय उपस्थित थे। इस दौरान मीडिया तक को भी कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी। सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। आसपास की दुकानें भी बंद थीं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया