Sunday, April 27, 2025
Homeदेश-समाजबाबरी मस्जिद साजिश के तहत नहीं तोड़ी गई, यह अचानक घटी: कोर्ट ने सभी...

बाबरी मस्जिद साजिश के तहत नहीं तोड़ी गई, यह अचानक घटी: कोर्ट ने सभी 32 आरोपितों को किया बरी

कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में बाबरी ध्वंस साजिशन नहीं हुआ, ये पूर्व-नियोजित नहीं था। इसे संगठन ने रोकने की भी कोशिश की, लेकिन घटना अचानक घट गई। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और...

अयोध्या के बाबरी ध्वंस मामले में सीबीआई के स्पेशल जज एसके यादव ने 2000 पन्नों का जजमेंट (फैसला) दिया। इस मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में बाबरी ध्वंस साजिशन नहीं हुआ, ये पूर्व-नियोजित नहीं था। इसे संगठन ने रोकने की भी कोशिश की, लेकिन घटना अचानक घट गई। इसके साथ ही सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है।

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और महंत नृत्य गोपाल दास उम्र और अस्वस्थता के कारण अदालत में उपस्थित नहीं थे। उमा भारती कोरोना की वजह से नहीं आ सकीं। सतीश प्रधान भी नहीं थे। हालाँकि, ये सभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फैसला सुनाने के समय उपस्थित थे। इस दौरान मीडिया तक को भी कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी। सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। आसपास की दुकानें भी बंद थीं।

अयोध्या बाबरी मस्जिद मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार (सितम्बर 30, 2020) को फैसला सुनाया। 28 वर्षों में ये पहली बार हुआ, जब अयोध्या बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में किसी अदालत का फैसला सुनाया। हालाँकि, इस फैसले को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। दिसंबर 6, 1992 को बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में फ़ैजाबाद पुलिस स्टेशन में दो अलग-अलग केस दर्ज किए गए थे।

शाम के 5:15 बजे SHO प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें डकैती, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालना, किसी धर्म के अपमान के उद्देश्य से धार्मिक स्थल को नुकसान पहुँचाना और दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का मामला दर्ज किया गया। इसके 10 मिनट बाद सब-इंस्पेक्टर गंगा कुमार तिवारी ने दूसरी एफआईआर दर्ज की।

इसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अशोक सिंघल (अब दिवंगत) सहित कई नेताओं को आरोपित बनाया गया। इसके बाद 47 और भी एफआईआर दर्ज हुए। पहले स्थानीय पुलिस और फिर CB-CID ने इस मामले की जाँच संभाली। दिसंबर 16, 1992 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ललितपुर मजिस्ट्रेट की स्पेशल अदालत का गठन किया। फ़रवरी 27, 1993 को CB-CID ने चार्जशीट दायर की।

जुलाई 8, 1993 को हाईकोर्ट ने एक अन्य नोटिफिकेशन दायर कर के जहाँ सुनवाई कर रही कोर्ट के बैठने के स्थानको ललितपुर से रायबरेली स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले में बचे 48 एफआईआर को अगस्त 1993 में राज्य सरकार ने सीबीआई के पास भेजने की अनुशंसा की। अक्टूबर 5, 1993 को सीबीआई ने लखनऊ में 40 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। सितम्बर 1997 में लखनऊ कोर्ट ने समन भेजते हुए चार्जेज फ्रेम करने की अनुमति दी।

इस मामले में कुल 49 अभियुक्त थे लेकिन उनमें से 17 की पहले ही मौत हो चुकी है। आरोपितों पर आपराधिक साजिश रचने से लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामला 28 वर्षों तक चला, जिनमें 351 गवाहों को पेश किया गया। अब तक 600 दस्तावेज पेश किए गए हैं। सीबीआई के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला सुनाया। राज्यपाल का कार्यकाल पूरा करने के बाद कल्याण सिंह के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पहलगाम हमले के बाद युनूस सरकार के कानूनी सलाहकार ने लश्कर के कर्ताधर्ता हारुन इजहार से की मुलाकात, कई आतंकी हमलों में वांछित आतंकी...

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार डॉ. आसिफ नजरूल ने पहलगाम हमले के ठीक एक दिन बाद लश्कर के बड़े आतंकी हारुन इजहार से मुलाकात की।

कौन कहता है आतंकियों का नहीं होता मजहब, एक-एक कर पढ़िए ये 14 नाम: सारे कश्मीर के, सारे मुस्लिम

पहलगाम हमले में शामिल पाँच आतंकियों की पहचान पहले ही हो चुकी है, जिनमें तीन पाकिस्तानी आतंकी आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा और दो स्थानीय आतंकी आदिल गुरी और अहसन शामिल हैं।
- विज्ञापन -