ममता-राज में TMC की हिंसक सच्चाई इंटरनेट पर ‘आमार भॉय लागे’ के नाम से आई सामने

ममता राज का निर्मम सच

बंगाल में तृणमूल के काडर ने किस तरह की दहशत हवा में घोल रखी है, इसे आपके फोन पर, आपकी आँखों के आगे नंगा सच दिखाती, एक वेब-सीरीज़ बांग्लभाषी नेट सर्कलों में और सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। 5 से 7 मिनट प्रति एपिसोड की यह साक्षात्कार सीरीज़ राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों में गहरे पैठ चुके तृणमूल आतंक को बयाँ करती है।

तेजाब, शराब: सबमें डूबी है तृणमूल

स्वराज्य पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘आमार भॉय लागे’ (मुझे डर लगता है) नाम की इस वेब-सीरीज़ के एपिसोड यूट्यूब पर अपलोड होने के साथ तेज़ी से शेयर हो रहे हैं और भारी संख्या में देखे जा रहे हैं। पहला एपिसोड मोनिशा पईलान नामक युवती पर है, जो कि एसिड-अटैक-सर्वाइवर (चेहरे पर तेज़ाब फेंके जाने से उबर रही) है। हमले का आरोपी सलीम हलदर नामक तृणमूल कार्यकर्ता है। दक्षिण 24-परगना के हसनपुर में मोनिशा पर हमला रात के दस बजे हुआ, जब वह एक कंप्यूटर-सेंटर से लौट रहीं थीं। जैसे ही वह हसनपुरा पहुँचीं, किसी ने उनका नाम पुकारा और जैसे ही मोनिशा ने मुड़ कर देखा, हमलावरों ने चेहरे पर तेजाब फेंक दिया।

चेहरा बुरी तरह जल जाने के अलावा मोनिशा ने एक आँख की पूरी रोशनी भी खो दी। 23-वर्षीया मोनिशा सलीम की पूर्व-पत्नी है और दोनों का तलाक हमले के पहले ही हो चुका था। वीडियो का description यह भी कहता है कि यह शादी मोनिशा के 18 साल के होने पर जोर-जबर्दस्ती से हुई थी, पर पति-पत्नी की नहीं बनी और जल्दी ही तलाक हो गया।

पर सलीम ने मोनिशा को अपना माल-असबाब समझना नहीं छोड़ा। उन्हें पुरुषों से बात करते देख कर उसे ईर्ष्या होने लगी और उसने मोनिशा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। दो बार पिस्तौल तान कर भी धमकी दी। रिपोर्ट के अनुसार उसे इस गुनाह के दो साल बाद गिरफ्तार किया गया और वह एक महीने में ही जेल से छूट भी गया।

दूसरा एपिसोड तापोश मंडल नामक एक भाजपा कार्यकर्ता पर है जिस पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। तापोश 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा का प्रचार कर रहे थे।

तीसरे एपिसोड में एक युवक की कहानी है जिसपर अवैध शराब का व्यापार कर रहे गुंडों ने हमला कर उसके साथ निर्मम मारपीट की। आरोप है कि वह गुंडे स्थानीय तृणमूल नेताओं के पाले हुए थे।

सभी एपिसोड ऐसी ही दहशत की घुटन से लबालब हैं। सभी तृणमूल कॉन्ग्रेस के काडर के सताए हैं, और हर एक केस में न्याय मिलना शेष है। सभी पीड़ितों ने पुलिस के असहयोग की भी बात की, और कुछ ने तो यह भी कहा है कि पुलिस ने उल्टा उन्हें ही और भी प्रताड़ित किया, जबकि आरोपितों को खुला छोड़ दिया।

दीदी की समुदाय विशेष में भी केवल वोट देने वालों के प्रति है ममता

अमित हसन नामक युवक की कहानी का विशेष ज़िक्र जरूरी है। सातवें एपिसोड में उन्हीं की कहानी है और दिखाती है कि कैसे ‘दीदी’ के लिए दूसरे समुदाय वालों में भी केवल खुद को वोट देने वाले हिन्दुतानी जिहादी-कठमुल्ले और बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठिए ही जरूरी हैं। अमित भाजपा की छात्र इकाई ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के सदस्य हैं और 2013 से ही तृणमूल के निशाने पर हैं।

2016 में उनके साथ भी तापोश की ही तरह बेरहमी से मारपीट हुई। इसके अलावा उन्हें जबरन जहरीली शराब भी पिलाई गई। उनकी जान किसी तरह बच पाई लेकिन पुलिस ने उनका केस दर्ज करने से साफ इंकार कर दिया। इसके बावजूद वह आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रचार के लिए मैदान में हैं। उनके अनुसार यदि सभी लोग डरे रहेंगे तो तृणमूल वालों की हिम्मत बढ़ती जाएगी और यह आतंक का राज कभी खत्म नहीं होगा। इसलिए उन्हें तृणमूल के आतंक का सामना करने का खतरा उठाना ही पड़ेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया