कुँवारी या शादीशुदा… कम उम्र वाली सुंदरी को चुनते हैं, मर्दों को मौत से बचाने के लिए जाना पड़ता है: 12 वीडियो से जानिए क्या झेल रहीं बंगाल में संदेशखाली की महिलाएँ

संदेशखाली में प्रदर्शन करते स्थानीय लोग (फोटो साभार : X_Debjanibhatta20)

उत्तर 24 परगना के संदेशखाली से टीएमसी गुंडों के भयावह कारनामे सामने आ रहे हैं। यहाँ टीएमसी के गुंडों के लिए रेप और गैंगरेप आम बात है। वो टीएमसी की महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते। मीटिंग में सिर्फ महिलाओं को बुलाते हैं। पति को मरने से बचाना है तो पार्टी के दफ्तर में आना पड़ेगा, वहाँ टीएमसी के गुंडे यौन शोषण करते हैं, लेकिन महिलाओं को चुप रहना पड़ता है। टीएमसी के गुंडे जमीनों पर कब्जा करते हैं, विरोध करने वालों को गैंगरेप की धमकी देते हैं। यही नहीं, उन्हें जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो रात भर उठाकर ‘भोगते’ हैं और मन भर जाने पर सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस टीएमसी के गुंडों के लिए सहायक का काम करती है। वो पीड़ितों को ही दबाती है।

ये सब उसी संदेशखाली की पीड़ित महिलाएँ कह रही हैं, जिन्होंने अब इन अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े होने के ऐलान कर दिया है और पूरे संदेश खाली में टीएमसी के फरार नेता और ममता बनर्जी के खास शेख शाहजहाँ और उनके गुर्गों शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 8 फरवरी 2024 से संदेशखाली की महिलाएँ अब टीएमसी के गुंडों का सामना लाठी-डंडों के साथ कर रही हैं। इन्हें कंट्रोल करने के लिए 10 फरवरी 2024 को प्रशासन ने धारा-144 तो लगाई, लेकिन टीएमसी गुंडों को अत्याचार करने की पूरी छूट दी। हम मीडिया संस्थानों से उन्हीं पीड़ित महिलाओं की बातचीत सामने रख रहे हैं, जिसमें वो टीएमसी के गुंडों की करतूतों को सामने रख रही हैं।

इसी कड़ी में टीवी9 बांग्ला से बातचीत में संदेशखाली की महिलाओं ने बताया है कि कैसे शिबू हाजरा और उत्तर सरदार की अगुवाई टीएमसी के गुंडों ने लोगों की जमीनों पर कब्जा किए। एक महिला ने बताया कि बीडीओ और स्थानीय पुलिस के जवान टीएमसी के पार्टी काडर की तरह काम करते हैं। यही नहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि टीएमसी के गुंडों को ‘कट मनी’ का भुगतान करना पड़ता है और अगर किसी वजह से ‘कट मनी’ नहीं दे सके, तो फिर टीएमसी के गुंडे उनकी पिटाई करते हैं। बीजेपी सांसद दिलीप घोष ने ये वीडियो एक्स पर शेयर किया है।

एक महिला ने टीवी9 बांग्ला को बताया कि कैसे टीएमसी के गुंडे युवा लड़कों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं और उन्हें आपराधिक गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं। उसने बताया कि टीएमसी के गुंडे नए और पढ़ाई लिखाई वाले बच्चों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल करते हैं। महिला ने बताया, “बच्चों से कहा जाता है कि ‘दीदी’ उनका पेट भरती हैं। वो राजनीतिक काम नहीं करेंगे तो खाने के लिए मर जाएँगे। टीएमसी के गुंडे उन बच्चों से विपक्षी कार्यकर्ताओं के घरों पर हमला करवाते हैं, लोगों को परेशान कराते हैं और लूट जैसी वारदात कराते हैं। वो बच्चों को शराब और हथियार देकर बर्बाद कर रहे हैं। वो शाहजहाँ की पसंद की औरतों को उठाने के लिए दबाव डालते हैं।”

रिपब्लिक बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, टीएमसी कार्यकर्ता और उनके गुंडों ने शेख शाहजहाँ, उत्तर सरदार और शिबू हाजरा के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर हमला किया और उनका उत्पीड़न किया, तो पुलिस ने उनका हाथ दिया। एक महिला ने पूरी बात बताते हुए कहा, “हम रात में नींद की एक झपकी तक नहीं ले सके। भारी संख्या में पुलिस वाले बाइकों और कारों पर सवार होकर पहुँचे। वो रात में जोर-जोर से हम सबको धमका रहे थे। हमारे परिवार के मर्द भाग गए थे, क्योंकि उन्हें पुलिस उठा लेती।”

बजरंग दल के कार्यकर्ता की पत्नी ने बताया, “पुलिस हमारे घर में रात 3 बजे घुसी। पुलिस वालों ने मेरे पति को गालियाँ दी और मेरा उत्पीड़न करने की कोशिश की। उन्होंने मेरा पोला (शादीशुदा बंगाली महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला कड़ा) तोड़ दिया। पुलिस ने मेरी बेटी को दूर फेक दिया। वो पुलिस वाले इतने नशे में थे कि वो सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।”

संदेशखाली की एक अन्य महिला ने स्थानीय पुलिसकर्मियों की बदतमीजियों के बारे में बताया। एक महिला ने कहा, “पुलिस वाले ने मुझसे पूछा कि मैं दूसरे मर्दों के सोती हूँ? वो कैसे ये सवाल पूछ सकते हैं। मुझे जवाब चाहिए। मैंने क्या गलत किया है कि मुझे ‘मादर**’ जैसी गालियाँ दी गई?” महिला ने आगे बताया, “पुलिस वालों ने मेरे पति को ‘सुवर का बच्चा’ कहा। वो मेरे पति को घसीटकर घर से बाहर ले गए। उन्होंने क्या गलत किया था? हमें न्याय चाहिए। क्या पुलिस वाले किसी को भी इस तरह गालियाँ दे सकते हैं?”

संदेशखाली में एक महिला ने कहा, “टीएमसी के गुंडे हमारे पतियों को जबरदस्ती पकड़ कर अपने साथ ले जाते हैं। वो उनसे काम कराते हैं और पैसे भी नहीं देते। अगर कोई पैसों की माँग करता है, तो उसे बेहरमी के साथ पीटा जाता है।”

एक महिला ने एबीपी आनंदा से बातचीत में कहा, “हम कानून को अपने हाथों में नहीं लेना चाहते। उत्तम सरदार ने हमें डंडे उठाने पर मजबूर कर दिया। वो पिछले 4 साल से हमारा उत्पीड़न कर रहा है। अब हम इसे और बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसी वज से हम यहाँ प्रदर्शन कर रहे है। हम अगर टीएमसी की बैठकों में जाते हैं, तो हमारे पतियों को उठा लिया जाता है। संदेशखाली कभी शांत माहौल वाली जगह हुआ करती थी, लेकिन उसे नष्ट कर दिया गया। हम फिर से संदेशखाली में शांति चाहते हैं।”

संदेशखाली की एक महिला ने ममता बनर्जी को निशाने पर लिया और कहा कि सरकार ने लोखिर भंडार योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को 500 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 1000 रुपए प्रति माह कर दिया है। क्या सरकार पार्टी की कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न के बदले ‘आर्थिक सहायता’ के तौर पर ऐसा कर रही है?

रिपब्लिक बाँग्ला से बात करते हुए पीड़ित महिला ने कहा, “क्या हम अपने सम्मान के बदले पैसे पा रहे हैं? क्या हमें इस लिए पैसे दिए जा रहे हैं कि टीएमसी कार्यकर्ताओं को रात में ‘कंपनी’ दें? क्या मुख्यमंत्री हमें अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए पैसे दे रही हैं?”

संदेशखाली में प्रदर्सन के दौरान एक महिला ने बताया, “तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता बाइक पर 20-30 के ग्रुप में आते हैं और वे इलाके की हर महिला की जाँच करते हैं। वे सबसे कम उम्र की और सबसे अच्छी दिखने वाली महिला को चुनते हैं और उसे अपने साथ ले जाते हैं। वह कहती हैं, वे रात-रात भर उसके साथ संबंध बनाते हैं, और उसे तभी छोड़ते हैं जब वे “संतुष्ट” हो जाते हैं।”

महिला शेख शाहजहाँ और उसके आदमियों की ओर से फैलाए गए आतंक और डर को बयान करती है। महिला ने कहा कि “जिस भी महिला पर इन गुंडों की नजर पड़ गई, भले ही वो कुँवारी हो या शादीशुदा, वो उसे उठा ले जाते हैं। यही नहीं, शादीशुदा महिलाओं के पति को भी उसपर कोई हक नहीं होता। बस उन्हें महिला पसंद आनी चाहिए, इसके बाद सबकुछ उनकी मर्जी।” इस बात को वहाँ मौजूद एक महिला ने भी दोहराया।

एबीवी आनंदा से बात करते हुए एक पीड़ित ने बताया, “हम सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। टीएमसी के गुंडों ने हमें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया है। यहाँ तक कि उन्होंने ग्रामीणों द्वारा बनवाई गई कंक्रीट की सड़क को भी नष्ट कर दिया।” एक महिला ने बताया है कि उन्हें पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है।

एक महिला ने रिपब्लिक बाँग्ला के साथ अपनी आपबीती साझा की। महिला ने कहा, “टीएमसी के गुंडों ने मेरी खिड़की तोड़ दी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ खींचा और बाहर को कहा। उन्होंने कहा कि वो उसका (महिला का) गैंगरेप करेंगे। ये सब पुलिस की मौजूदगी में हो रहा था। वहाँ एक और महिला को बाल पकड़ कर खींचा गया और उसकी साड़ी खींचकर अलग कर दी गई। संदेशखाली में महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं। वो मेरे पति के सामने ही मुझसे बदतमीजी करते रहे। हम शांति चाहते हैं। मुझे लगता है कि ऐसी जिल्लत भरी जिंदगी जीने से बेहतर है मर जाना।”

एक महिला ने रोते हुए बताया, “टीएमसी के कार्यकर्ता सिर्फ महिलाओं को ही पार्टी में बुलाते हैं और उनका शोषण करते हैं। हमें अपने पतियों की जान बचाने के लिए उनकी बात माननी (यौन उत्पीड़न के लिए हाँ) पड़ती है।” महिला ये बात कहती हुई रो पड़ती है और कहती है कि टीएमसी के गुंडे ये भी नहीं सोचते कि वो पार्टी सपोर्टर है।

संदेशखाली में आखिर चल क्या रहा है?

पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिला है। यहाँ संदेशखाली नाम की जगह है। इस साल की शुरुआत में इसी जगह के टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ पर रेड करने की गई ईडी की टीम पर जानलेवा हमले हुए थे। यहाँ गुरुवार (8 फरवरी 2024) को केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को फंड न देने को लेकर टीएमसी नेताओं ने संदेशखाली के त्रिमोहानी बाजार में लोगों के साथ मिलकर रैली निकाली थी। इस रैली में शाहजहाँ शेख के नारे लगाने पर बवाल मच गया।

संदेशखाली की महिलाओं और पुरुषों ने लाठी-डंडे लेकर टीएमसी के गुंडों को दौड़ा लिया। इस दौरान दोनों ओर से मारपीट शुरू हो गई। इसके अगले दिन शाहजहाँ शेख के गुंडों ने पलटवार किया, तो ग्रामीणों ने कई जगहों पर उत्पात कर दिया। इस बवाल में कई लोग घायल भी हो गए। इसके बाद ही पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू करने के साथ ही इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थी। हालाँकि ऊपर के वीडियो में पीड़ित महिलाएँ उन्हीं अत्याचारों को बयान कर रही हैं, जो इस दौरान महिलाओं ने झेला।

ये खबर मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है, पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

Dibakar Dutta: Centre-Right. Political analyst. Assistant Editor @Opindia. Reach me at dibakar@opindia.com