जब ‘क़त्ल की रात’ डर से काँप रहे थे इमरान, भारत में उनका गुणगान कर रहे थे ‘गिद्ध पत्रकार’: अभिनंदन पर नए खुलासे के बाद क्या कहेंगे राजदीप-बरखा?

जब डर से काँप रहे थे इमरान खान (बीच में), उनके महिमामंडन में जुटे थे राजदीप सरदेसाई (बाएँ) और बरखा दत्त (दाएँ) (फोटो साभार: फेसबुक/YouTube)

आपको अभिनंदन वर्तमान याद हैं? वही अभिनंदन वर्तमान जो फ़िलहाल भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर हैं। जिस समय के वाकये को लेकर वो चर्चा में आए थे, तब वो विंग कमांडर हुआ करते थे। 40 वर्षीय अभिनंदन वर्तमान 2004 से ही भारतीय वायुसेना में सेवा दे रहे हैं। 14 फरवरी, 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था। लेथापोरा में सरपफके काफिले को निशाना बनाया गया। इस आत्मघाती बम विस्फोट में हमारे 40 जवान बलिदान हो गए थे।

पुलवामा हमला, एयर स्ट्राइक और अभिनंदन वर्तमान को बंधक बनाया

इसके बाद भारत में आक्रोश का माहौल था। सभी की ज़बान पर एक ही शब्द था – बदला। सरकार भी डॉ मनमोहन सिंह की नहीं, नरेंद्र मोदी की थी। मुंबई में 2008 में हुए 26/11 के हमलों के बाद भारत सरकार डोजियर पर डोजियर सौंपते रह गई थीं लेकिन पाकिस्तान अपनी चाल से बाज नहीं आया, न ही उसका कुछ बिगड़ा। तब UPA की सरकार थी, 2009 में NDA की सरकार 5 वर्ष पूरे करने का रही थी। मोदी सरकार ने एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।

रातोंरात भारतीय वायुसेना पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में घुसी और एयर स्ट्राइक के जरिए बड़ी संख्या में आतंकियों का संहार किया। उनके अड्डे तबाह किए गए और फिर हमारे विमान और सैनिक सुरक्षित वापस लौट भी आएँ। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से पलटवार का भी करारा जवाब दिया गया। इसी क्रम में Mig-21 उड़ा रहे अभिनंदन वर्तमान पाकिस्तानी विमानों का पीछा करते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुस गए। उन्हें पैराशूट से लैंड करना पड़ा और उन्हें पाकिस्तानियों ने बंधक बना लिया।

इसके बाद पूरे भारत को इंतजार था अभिनंदन वर्तमान की वापसी का। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाद में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि अगर पाकिस्तान अभिनंदन वर्तमान को नहीं लौटता तो वो उसके लिए ‘क़त्ल की रात’ होती। अब एक नई किताब से खुलासा है कि 9 मिसाइलें पाकिस्तान की तरफ लक्ष्य किए तैनात थीं। उस समय वहाँ PTI की सरकार थी और इमरान खान मुल्क के प्रधानमंत्री थे। भारत का मीडिया गिरोह भी इमरान खान का फैन हुआ करता था।

PM मोदी से बात करना चाहते थे डरे हुए इमरान खान

तब इस्लामाबाद में भारत के राजदूत रहे अजय बिसारिया ने अपनी पुस्तक ‘Anger Management: The Troubled Diplomatic Relationship between India and Pakistan’ में बताया है कि कैसे उस रात इमरान खान ने उनका दरवाजा खटखटाया था क्योंकि वो स्थिति को शांत करने के लिए फोन कॉल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करना चाहते थे। पाकिस्तान के हाई कमिश्नर सोहैल महमूद ने भारत के हाई कमिश्नर अजय बिसारिया को फोन घुमाया था।

वो चाहते थे कि इमरान खान की पीएम मोदी से बात कराई जाए, हालाँकि, ये संभव नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात करने से इनकार कर दिया। आखिरकार पाकिस्तान को अभिनंदन वर्तमान को रिहा करना पड़ा, इसके लिए ‘शांति के लिए प्रयास’ के बहाने बनाए गए। भारत का मीडिया गिरोह भी इमरान खान का महिमामंडन करने लगा। असल में पश्चिमी देशों ने इमरान खान को चेताया था कि अगर अभिनंदन वर्तमान को रिहा नहीं किया गया तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं।

अमेरिका और UK के राजनयिकों द्वारा निराश किए जाने के बाद इमरान खान को ये कदम उठाना पड़ा। हालाँकि, इस दौरान भारत का मीडिया गिरोह इमरान खान की जय-जयकार करता रहा। इस गिरोह का नेतित्व कर रहे थे भारत विरोधी प्रोपेगंडा को आगे बढ़ाने के लिए मशहूर राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त। आइए, पहले इन पत्रकारों के ट्वीट्स पर एक नज़र डालते हैं देखते हैं कि कैसे जब इमरान खान और उनकी सरकार डर से काँप रही थी, तब उन्हें भारत के मीडिया का एक धड़ा ‘शांति का दूत’ बता कर उनकी तारीफ करने में लगा था।

इमरान खान भारत के पत्रकारों का गिरोह

राजदीप सरदेसाई ने लिखा था, “भारत में हम भले ही इसे पसंद नहीं करें, लेकिन अगर सही दृष्टि से देखें तो फ़िलहाल इमरान खान नैतिक स्तर पर इस दिन जीत रहे हैं। आतंक का मामला रखने के लिए हमारा पक्ष मजबूत था, लेकिन हमारे नेता वोट गिनने में व्यस्त हैं।” देखिए, कैसे राजदीप सरदेसाई ने न सिर्फ भारत सरकार के नेताओं पर सवाल खड़ा कर दिए, बल्कि दुश्मन मुल्क के प्रधानमंत्री में ‘नैतिकता’ खोज ली। जब प्रधानमंत्री खुद अधिकारियों-नेताओं के साथ लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे थे, राजदीप सरदेसाई जैसे लोग ऐसे दिखा रहे थे जैसे वो सब हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।

इसी तरह बरखा दत्त ने लिखा था कि हमें इमरान खान के इस कदम का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि प्रोपगैंडा पत्रकार का ये भी मानना था कि स्थिति को ठीक करने के लिए इमरान खान ने दरवाजा खोल दिया है। बरखा दत्त को इससे भी दिक्कत थी कि टीवी एंकर्स क्यों पाकिस्तान के खिलाफ बोल रहे हैं। हरिंदर बवेजा ने इन चैनलों को ‘नॉर्थ कोरियन’ बता दिया था और इमरान खान के कदम को ‘पीस गेस्चर’ बताया था। लेखिका शोभा डे ने तो इमरान खान की तारीफ करते हुए पाकिस्तान के लोगों को धन्यवाद दे दिया था।

इसी तरह ज्योतिमणि, जो कि आगे चल कर कॉन्ग्रेस से लोकसभा सांसद भी बनीं, उन्होंने लिखा था कि अभिनंदन वर्तमान की बिना शर्त रिहाई की गई है। उन्होंने अपनी ही सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप मढ़ दिया। वहीं सुमंत रमण ने लिखा कि इमरान खान आगे निकल गए हैं और आतंकवाद पर भारत के पक्ष में चीजें होने के बावजूद वोट बैंक ने सब गुड़-गोबर कर दिया। रवि सुब्रमण्यन ने तो इमरान खान को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा राजनेता करार दिया और कहा कि दबाव में ये उनकी सबसे बड़ी पारी है।

आपने देखा, कैसे पत्रकारों ने इमरान खान के ‘डर’ को उनकी ‘दयालुता’ बता कर पेश कर दिया। पुलवामा का आतंकी हमला पाकिस्तान के समर्थन से हुआ, अभिनंदन वर्तमान को बंधक पाकिस्तान ने बनाया, लेकिन भारत के ही ये पत्रकार पाकिस्तान का गुणगान कर रहे थे। मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ कड़ा रुख क्या अख्तियार किया, ‘अमन की आशा’ की फर्जी बातें कर के भारतीय सैनिकों को केवल बलिदान देते देखने की चाहत रखने वाले इस गिरोह को ये हजम भी नहीं हुआ कि भारतीय सेना पलटवार भी कर सकती है।

आज भी पाकिस्तानपरस्ती में व्यस्त है पत्रकार गिरोह

इमरान खान को आज उनके ही मुल्क में जेल में ठूँस दिया गया है। उनकी सरकार का पाकिस्तानी फौज ने ही तख्तापलट कर दिया। सरकार भी गई, जेल भी मिली। जिस नेता का अपने ही मुल्क में ये हाल है, उसे पत्रकारों के भारतीय गिरोह ने पूरे उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा नेता बता कर पेश कर दिया। आज जब खुलासा हुआ है कि इमरान खान उस समय पीएम मोदी से हाथ मिलाने के लिए बेताब थे ताकि इस तस्वीर से पाकिस्तान का किया-धरा शांत हो जाए।

इमरान खान पाकिस्तान की राजनीति में कितने प्रासंगिक है और कितने नहीं, ये तो वहाँ होने वाले आम चुनावों के बाद पता चलेगा। लेकिन, भारत का मीडिया गिरोह खुद को उसका वफादार बनाए रखेगा जो पाकिस्तान की सत्ता में हो। अभिनंदन वर्तमान को छुड़ाने का क्रेडिट कहीं मोदी सरकार के पास न चला जाए, इसीलिए इस गिरोह ने पूरा प्रयास किया ये दिखाने का कि पाकिस्तान ने भारत पर एहसान किया है। इनका एक ही मकसद होता है – वैश्विक मंच पर किसी तरह भारत की बदनामी हो।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.