‘लाल आतंक’ पर छत्तीसगढ़ के प्रहार से छलनी हुई कॉन्ग्रेस, जवानों का रक्त भूल नक्सलियों के एनकाउंटर को बता रही ‘फेक’: सर्जिकल स्ट्राइक पर भी माँगा था सबूत

छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल ने काँकेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के बाद सुरक्षा बलों पर उठाए सवाल (फोटो साभार: The Hindu/Facebook)

भारत दशकों से ‘लाल आतंक’ से त्रस्त रहा है। बिहार-झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक, नक्सलियों ने लगातार खून बहाए। बिहार में तो एक दौर ऐसा था जब लोगों को रात-रात भर जाग कर हथियारों के साथ घर-परिवार की सुरक्षा करनी शुरू कर दी थी। छत्तीसगढ़ में तो नक्सलियों ने कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का ही खात्मा कर दिया, नरसंहार के जरिए। अब उसी छत्तीगसढ़ में सुरक्षा बलों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया है। नक्सलियों के खिलाफ ये सबसे बड़े ऑपरेशन्स में से एक है।

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि मृतकों में एक दर्जन से भी अधिक महिलाएँ हैं, जो खतरनाक हथियारों के साथ पुरुष नक्सलियों की सुरक्षा में आगे रहती थीं। राज्य पुलिस के ‘डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG)’ और ‘बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स (BSF)’ ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। एक तरह से देखा जाए तो ये पिछले एक दशक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है नक्सलियों के खिलाफ, क्योंकि अभी भी तलाशी अभियान जारी है। इससे पहले 2016 में 30 और 2021 में 25 नक्सली मारे गए थे।

लेकिन, इस बार खास बात ये है कि सुरक्षा बलों की तरफ से कोई क्षति नहीं हुई है। ये ऑपरेशन काँकेड़ जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र अंतर्गत चलाया गया। AK-47 से लेकर राइफल और गोला-बारूद के अलावा कई हथियार बरामद किए गए। बस्तर के आईजी सुंदर राज P ने स्पष्ट कर दिया है कि कुल 30 हथियार बरामद हुए हैं, नक्सलियों के साहित्य भी बड़ी मात्रा में मिले हैं। जो 2 बड़े नक्सली मारे गए हैं, वो हैं – शंकर राव और ललिता। बस्तर में इस साल 79 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है।

पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि मारे गए लोगों में सभी नक्सली हैं, किसी के ग्रामीण होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वालों का काम ही यही है। उन्होंने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है, नक्सलियों का सफाया जारी रहेगा और आगे भी सुरक्षा बल बढ़त बनाए रहेंगे। पुलिस का मानना है कि वो सही दिशा में जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसे बड़ी सफलता करार देते हुए कहा है कि जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से नक्सलवाद-आतंकवाद में कमी आई है और छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद नक्सल विरोधी अभियान में गति आई है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 3 महीने में ही 80 से ज्यादा नक्सली ढेर हुए हैं, 125 से ज्यादा गिरफ्तार हुए हैं और 150 से अधिक ने आत्म-समर्पण किया है। उन्होंने नक्सलवाद को उखाड़ फेंकने का प्रण भी दोहराया। जहाँ एक तरफ भाजपा नक्सलवाद पर प्रहार की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कॉन्ग्रेस पार्टी ये साबित करने में लगी है कि ये एक फर्जी मुठभेड़ था। वैसे ये कॉन्ग्रेस की पुरानी फितरत है। जब वो पाकिस्तान में भारत की सर्जिकल या एयर स्ट्राइक पर देश की सेना के खिलाफ जाकर बयान दे सकते हैं तो फिर नक्सलियों का समर्थन कौन सी बड़ी बात है उनके लिए।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जिन्हें हाल के चुनाव में करारी हार मिली है, उन्होंने काँकेड़ मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए कहा है कि भाजपा के शासनकाल में फर्जी एनकाउंटर होते हैं। उन्होंने अपनी सरकार में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए जाने का दावा करते हुए भाजपा सरकार पर जनजातीय समाज के लोगों की फर्जी गिरफ़्तारी का आरोप भी मढ़ दिया। उन्होंने दावा किया कि कवर्धा में ही लोगों को धमकाया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने पूर्ववर्ती के आरोपों का कड़ा जवाब दिया है।

उन्होंने कहा सलाह दी कि हर चीज पर सवाल नहीं खड़ा करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ये घटना किसी भी तरह से फर्जी है तो भूपेश बघेल ये प्रमाणित करें। वहीं गृह मंत्री विजय शर्मा ने चुनौती दी कि भूपेश बघेल इस मुठभेड़ को फर्जी साबित करें, या फिर जवानों से माफ़ी माँगें। असल में भूपेश बघेल एक तो कॉन्ग्रेस नेता हैं उपर से हाल ही में उनकी हार हुई है, शायद इसी कारण वो उलूल-जलूल बयान दे रहे हैं। सुरक्षा बलों ने अभी 17 नक्सली कमांडरों की सूची बनाई है जिनके खिलाफ तलाशी अभियान तेज़ की जाएगी।

पिछले 15 दिनों में ही छत्तीसगढ़ में 42 नक्सली मारे जा चुके हैं। अब सामने आ रहा है कि ‘ऑपरेशन प्रहार’ चलाया जाएगा, जिसके जरिए उन नक्सलियों को निशाना बनाया जाएगा जो युवकों का ब्रेनवॉश कर उन्हें हथियार उठाने के लिए उकसाते हैं। मांडवी हिड़मा इस 17 सदस्यीय सूची में सबसे ऊपर है, जिसके सुकमा के जंगलों में छिपे होने की आशंका है। इसी तरह मुपल्ला लक्ष्मणा राव माड़ के घने जंगलों में छिपा हुआ है। 51 वर्षीय हिड़मा AK-47 चलाने में दक्ष है।

नक्सलियों की धर-पकड़ और उन्हें ढेर करने के लिए हमारे जवाब अब आधुनिक तकनीक का भी सहारा ले रहे हैं। उन्हें जंगलों में ख़ाक छाननी होती है, अपनी जान खतरे में डालनी होती है, परिवार से दूर रहना पड़ता है – तब जाकर नक्सल वारदातें कम होती हैं और आम लोग चैन से सोते हैं। लेकिन, भूपेश बघेल जैसे नेता सुरक्षा बलों पर ही सवाल उठाते हैं। अब जब विरोध हो रहा है तो भूपेश बघेल अपने बयान से पलट गए और जवानों को बधाई देने लगे।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.