केरल के हिंदुओं-ईसाइयों को कट्टरपंथी का तमगा… ‘थूक वाले होटलों’ या इस्लामी रूढ़ियों पर सवाल से दिक्कत क्यों?

इस्लामी रूढ़ियों पर सवाल से दिक्कत क्यों?

खाने में थूका गया हो या थूके जाने जैसा कुछ वीडियो में दिख रहा हो… क्या आप उस खाने को खाएँगे? उत्तर नहीं में ही आएगा, अगर आप इंसान हैं तो।

दिल्ली, गुड़गाँव, गाजियाबाद, मेरठ के थूक वाले वायरल वीडियो के बाद अब केरल के लोगों ने “थूक वाले होटलों/रेस्टॉरेंट” आदि से दूरी बनानी शुरू कर दी है। यह ट्रेंड तब पता चला जब केरल के लोग ‘Thuppal Shawarma’ से लेकर ‘Thuppal Biriyani’ जैसे कॉमेंट्स करके ऐसे होटलों/रेस्टॉरेंट के बायकॉट की बात कर रहे हैं।

Thuppal का मतलब होता है थूक। Shawarma मतलब मोटा-मोटी चिकेन रोल कह सकते हैं। Biriyani मतलब बिरयानी। ऐसे होटल जिनके मालिक मुस्लिम हैं, उनके सोशल मीडिया पोस्ट या उनसे संबंधित वीडियो के नीचे केरल के लोग ‘Thuppal Shawarma’ से लेकर ‘Thuppal Biriyani’ जैसे कॉमेंट्स कर रहे हैं।

हाल के दिनों में तंदूरी नान या रोटियों को भट्ठी में डालने से पहले उस पर थूकते हुए (या थूके जाने जैसा प्रतीत होते) कई वीडियो वायरल हुए हैं। पुलिस ने इस संबंध में कई लोगों को हिरासत में भी लिया है। ऐसे में अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना कोई गुनाह नहीं। केरल के लोग वही कर रहे हैं। या यूँ कहें कि एक कदम आगे बढ़ कर खुद को सुरक्षित कर रहे हैं तो अतिश्योक्ति नहीं।

The News Minute की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के कट्टरपंथी ईसाई और हिंदू समूहों ने “खाने में थूक” के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। इन समूहों ने वॉट्सऐप पर किस जिले में, यहाँ तक कि किस एरिया में कौन-कौन से “थूक मुक्त होटल (spit-free hotels)” हैं, उसकी सूची भी शेयर कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह सूची होटल के मालिकों से उनके यहाँ काम करने वाले लोगों और उनके धर्म के बारे में पूछ कर तैयार की जा रही है। एक फूड वीडियो ब्लॉगर और उसके वीडियो पर आ रहे कॉमेंट्स की भी चर्चा इस रिपोर्ट में की गई है।

इस रिपोर्ट के साथ लेकिन 2 दिक्कत है। पहली दिक्कत यह कि खाने में थूकने (या थूकते दिखने वाले) वाले वीडियो का बचाव किया गया है। बताया गया है कि कुछ मौलवी-मौलाना थूकते नहीं हैं खाने में बल्कि मुँह से हवा फूँकते हैं। फर्जीवाड़ा फैलाने वाले AltNews का सहारा भी इसके लिए लिया गया है। हालाँकि रिपोर्ट यह बताने में चूक जाता है कि अगर ऐसा है तो सड़क किनारे किसी ढाबे में रोटी सेंकता एक आम इंसान उसे भट्ठी में डालने से पहले उस पर थूकता या मुँह से हवा क्यों फेंकता है? क्या मौलवी-मौलाना ही ढाबे में नौकरी करते हैं?

रिपोर्ट की दूसरी समस्या है भाषा। पढ़िए जरा – “दिलचस्प बात यह है कि इस अभियान को किसी हिंदू संगठन ने नहीं बल्कि कट्टरपंथी ईसाई समूहों ने शुरू किया था। ‘सोल्जर्स ऑफ क्रॉस Soldiers of Cross‘ जैसे फेसबुक पेज केरल के ऐसे होटलों की सूची शेयर कर रहे हैं, जो “थूक मुक्त भोजन (spit-free food)” परोसते हैं। इन सूचियों में हिंदुओं या ईसाइयों के स्वामित्व वाले होटल शामिल हैं।”

मतलब खाने में थूकना (या इनके अनुसार मुँह से हवा फूँकना) कट्टरपंथ नहीं है… बल्कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए अपने आस-पास की चीजों पर नजर रखना कट्टरपंथ है। वामपंथी मीडिया जो पहले हिंदुओं को टार्गेट करती थी, अब उनके निशाने पर ईसाई भी आ गए हैं… सिर्फ इसलिए क्योंकि इन ईसाइयों को भी अपने को स्वस्थ रखने की चिंता है। शायद इसलिए भी क्योंकि अब जो ईसाई “थूक मुक्त भोजन (spit-free food)” की मुहिम चला रहे हैं, वो लव-जिहाद के खिलाफ भी आवाज उठा चुके हैं। आश्चर्य यह कि खाने वाली इस रिपोर्ट में भी लव-जिहाद का जिक्र है… शब्दों से थोड़ा खेल कर। रिपोर्ट में लव-जिहाद को एक “बदनाम कैंपेन” घोषित करते हुए इसे भाजपा और कट्टरपंथी ईसाई समूहों से जोड़ा गया है।

कुल मिलाकर The News Minute की यह रिपोर्ट कहती है – इस्लाम या मुस्लिमों के रूढ़िवादी तौर-तरीकों पर चुप रहिए… वरना कट्टरपंथी का तमगा थमा दिया जाएगा। लव जिहाद को लेकर जो हिंदू समूह बोलते थे, बोलते हैं… सब कट्टरपंथी हैं। इसी लाइन पर अगर ईसाई समूह भी बोलेंगे तो वो भी कट्टरपंथी कह दिए जाएँगे। भले ही लव जिहाद को लेकर केरल की हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार को आदेश दिया हो… क्या पता ऐसे लिबरल मीडिया समूह आने वाले दिनों में किसी रिपोर्ट में कोर्ट को ही कट्टरपंथी ना बोल दें।

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