देश में बलात्कार के मामलों की बढ़ती संख्या और इनमें न्याय की धीमी प्रक्रिया को देखते हुए मोदी सरकार ने देश भर में 1023 फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का निर्णय लिया है। इनमें केवल पॉक्सो और बलात्कार के मामलों की सुनवाई होगी। इसके ज़रिए सरकार एक साल में लंबित 1,66,882 रेप और पॉक्सो मामलों का निपटारा कर देना चाहती है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सरकार ने हर एक राज्य और हाई कोर्ट से इनके गठन और संचालन के लिए हाँ या न इसी साल 31 दिसंबर तक कर देने के लिए कहा है। इनके लिए सुझाव अगले वित्त आयोग (2020-25) की रिपोर्ट में भी होने की उम्मीद है।
https://twitter.com/TimesNow/status/1202908136832565249?ref_src=twsrc%5Etfwकानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा में बताया कि 16 राज्यों ने केंद्र सरकार को इसके लिए हाँ कर दिया है। इसके अलावा 704 फ़ास्ट -ट्रैक अदालतों का गठन हो चुका है और उनमें न्यायिक काम चल रहा है।
https://twitter.com/BJP4India/status/1202528977547476992?ref_src=twsrc%5Etfwभाजपा सांसद राजकुमारी दीया कुमारी ने इस निर्णय का स्वागत किया है।
https://twitter.com/KumariDiya/status/1203188653956239361?ref_src=twsrc%5Etfwउन्नाव मामले में भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामले को फ़ास्ट ट्रैक अदालत के हवाले करने की घोषणा कर दी है।
https://twitter.com/amritabhinder/status/1203200178695467010?ref_src=twsrc%5Etfw