₹2000 के नोटों की वापसी से भारतीय अर्थव्यवस्था की बल्ले-बल्ले, GDP विकास भी बढ़ेगा: SBI की रिसर्च में सामने आया – खर्च से बढ़ी बाजारों में रौनक

2000 रुपए के नोटों के वापस लिए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्स्था होगी मजबूत (प्रतीकात्मक चित्र)

2000 रुपए के नोटों का सर्कुलेशन बंद होना और इसके वापस लिए जाने के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)’ के रिसर्च में ये बात सामने आई है। SBI ग्रुप के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने इस रिसर्च को प्रकाशित किया है। संस्था का मानना है कि इससे बैंक डिपॉजिट बढ़ेंगे और लोन के रिपेमेंट भी तेजी से होंगे। साथ ही सामने आया है कि कंजम्प्शन में भी तेजी आएगी।

SBI की रिसर्च में ये भी सामने आया है कि ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)’ की डिजिटल करेंसी को भी इस फैसले से मजबूती मिलेगी। इन सबसे बड़ी बात ये है कि भारत के GDP विकास में भी इस फैसले का योगदान होगा। इसे एक सही समय पर किया गया स्ट्राइक करार देते हुए SBI ने कहा है कि बैंकिंग सिस्टम डिपॉजिट की समस्या से जूझ रहा था लेकिन सही समय पर इस फैसले ने ‘Sustainability’ को मजबूत किया है।

SBI का मानना है कि इस मामले में युद्ध जैसी समस्या पैदा हो गई थी। इससे बैंक के पास बड़ी संख्या में कैश जमा होगा, जिससे अन्य सेक्टरों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि बैंकों के लिए C/D अनुपात (कैश-डिपॉजिट रेश्यो) को नियंत्रण में रखना एक बड़ी चुनौती होती है। इससे ‘कंजम्प्शन डिमांड’ में भी 55000 करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। कंजम्प्शन इसीलिए बढ़ेगा, क्योंकि ये नोटेबंदी नहीं है और 2000 के नोट एक समयसीमा तक इस्तेमाल किए जाते रहेंगे।

उम्मीद जताई जा रही है कि लोग सोना से लेकर अन्य प्रकार के निवेश में ज़्यादा रुपए खर्च करेंगे। साथ ही एसी-फ्रिज वगैरह खरीदने में बही खर्च करेंगे, जिससे बाजार की रौनक बढ़ेगी। पेट्रोल पम्पों पर 2000 के नोट बड़ी संख्या में आ रहे हैं। लोग ऑनलाइन सामान मँगा रहे हैं। मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं को दान बढ़ेंगे। अब तक 1.8 लाख करोड़ रुपए बैंकों में वापस आ चुके हैं। फ़ूड डिलीवरी के मामले में 75% लोग ‘कैश ऑन डिलीवरी (COD)’ से ऑर्डर कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया